अभी कल ही की तो बात है। उच्चतम न्यायालय ने झारखंड की अदालत को चारा घोटाला कांड में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से संबंधित मामले मे फैसला सुनाने से रोक दिया था। इसे लालू प्रसाद यादव के लिए एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है। लालू प्रसाद यादव की अपील पर कोर्ट ने यह व्यवस्था दी थी। लालू प्रसाद ने इस बिनाह पर निचली अदालत के न्यायाधीश के प्रति पक्षपात की आशंका व्यक्त करते हुए न्यायालय में दावा किया कि सुनवाई कर रहे निचली अदालत के न्यायाधीश, नीतीश कुमार मंत्रीमंडल के एक वरिष्ठ मंत्री के रिश्तेदार है।
जब सुप्रीम कोर्ट का कल यह फैसला आया था तो कुछ अजीब सा मन हुआ था। हालांकि जो मैं सोच रहा हूँ, वह मेरी क़ानून के बारे में अल्प जानकारी की वजह से यह संभव है कि शायद मैं गलत सोच रहा हूँ।
उक्त फैसले के बाद कल शायद लालूजी से ज्यादा खुश कोई और रहा हो, और वे मन ही मन सोच रहे होंगे कि क्या पटकनी दी है उन्होंने। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने लिली थॉमस केस की सुनवाई के दौरान जो ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, उससे तो मुझे यही लगता है कि हालाँकि इस खेल में लालूजी बहुत माहिर है, और यह आम धारणा है कि राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर उन्होंने चारा घोटाले से सम्बंधित अपने खिलाफ किसी फैसले को उन्होंने यहाँ तक घसीटा है। किन्तु खुदानाखास्ता अगर आगे चलकर निचली अदालत का फैसला उनके खिलाफ गया और उन्हें अगर दो या अधिक साल की सजा मुक़र्रर की जाती है तो लालूजी तो गए काम से !! लालूजी के चेहरे की ये मुस्कराहट तो कहीं गुम होकर रह जायेगी।
आज सर्वोच्च अदालत ने जो ऐतिहासिक फैसला दिया है, आइये एक नजर उस पर डालते है;
अदालत ने फ़ैसला दिया है कि जिन नेताओं को दो साल या उससे अधिक की सज़ा सुनाई जाएगी, उसकी सदस्यता तत्काल रद्द हो जाएगी। इतना ही नहीं, क़ैद में रहते हुए किसी नेता को वोट देने का अधिकार भी नहीं होगा और ना ही वे चुनाव लड़ सकेंगे। क्योंकि जेल जाने के बाद उन्हें नामांकन करने का हक़ नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट का ये फ़ैसला तत्काल प्रभाव से ही लागू माना जाएगा। हालांकि आज से पहले सज़ा पा चुके लोगों पर ये फ़ैसला लागू नहीं होगा। कोर्ट ने कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद ये ऐतिहासिक फ़ैसला दिया है।
अब जब भी उनके ऊपर चल रही चारा घोटाले से सम्बंधित जांच और अदालती कार्यवाही का फैसला यदि उनके खिलाफ गया तो बेचारे लालूजी यह अवश्य सोचगे कि काश, उनपर फैसला पहले आ गया होता, कम से कम सुप्रीम कोर्ट के इस नए फैसले से तो बच जाते !! इसीलिए कहा जाता हैं कि वक्त बदलते देर नहीं लगती।
लोगों के लिए तो यह मन्त्रणा और यन्त्रणा के बीच झूलनेवाली स्थिति है।
ReplyDeleteकर्मों की सजा मिलने में देर अवश्य हो रही है पर अंधेर नही होगी.
ReplyDeleteरामराम.
दो साल की छूट क्यों , यह समझ नहीं आया !
ReplyDeleteडा० साहब , हाल में मैंने एक व्यंग्य लिखा था " यदि सुखी और लम्बी उम्र चाहते हो तो लोक सभा और विधान सभाओं के चुनाव लड़िये " जिसमे इस विषय पर कुछ प्रकाश डाला था। हमारे संविधान निर्माताओं और जुडिशियरी को भी मालूम था कि यह प्रजाति डेड दो साल की सजा तो पैदा होते ही भुगत लेते है अपने कर्मों की वजह से अत; यह छूट प्रदान की गई है :)
Deleteअच्छा फैसला है !!
ReplyDeleteऐतिहासिक निर्णय..यह बहुत आगे तक जायेगा, भारतीय राजनीति की दिशा निर्धारित करने में।
ReplyDeleteAb aayaa Oont pahad ke neeche !
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ReplyDeleteइस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत है,,,
लालू कोई जय प्रकाश नारायण थोड़े हैं, ये सुविधानुसार अपने को बदल लेते हैं।
ReplyDeleteहां कोर्ट का आदेशवा तो बहुते गंभीर है। का हो लालू जी..
कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री असली चेहरा : पढिए रोजनामचा
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फैसला जो भी हो तत्काल प्रभाव से लागु हो जाये तो अच्छा है।
ReplyDeleteलालू जेसे शातिर लोगों की गुनाह सामने नहीं आती ..देश की बदकिस्मती मानिये।
पधारिये और बताईये निशब्द
:-) Sahi kaha....
ReplyDeleteलालू जी को तो सिर मुंडाते ही ओले पड़ गए ...
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