...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
हे भगवान हमारे बीनू फ़िरंगी को तो बख्श दो दुष्टों.
ReplyDeleteरामराम.
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ReplyDeleteगुरुवर मिड डे मील पर, पाले नव फरमान |
Deleteकुत्तों को पकड़ा रहे, पा जोखिम में जान |
पा जोखिम में जान, प्यार से उसे जिमायें |
खा के पहला ग्रास, अगर कुत्ता बच जाए |
आय जान में जान, किन्तु कुक्कुर कुल बढ़कर |
सरपट जाते भाग, पड़ें मुश्किल में गुरुवर ||
बहुत अच्छा कॉर्टून बनाया आपने।
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteकमाल का कामयाब कार्टून ...
ReplyDeleteवाकई वह मिड डे मील देख कर ही भागा है ! कुत्ते समझदार होते हैं !
कार्टून उन बच्चों की दयनीय दशा याद दिलाता है जिनका काम खाये बिना भी नहीं चलता !
ReplyDeleteहे भगवान..
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