बजती जब छम-छम पायल,
दिल होकर रह जाता घायल,
सच बोलूँ तो है ये दिल नादां,
तेरी इक मुस्कान का कायल।
जैसा भी यह इश्क है मेरा, तेरे प्यार ने पाला है,
अनुराग जताने का तेरा, हर अन्दाज निराला है।
अंतर का प्यासा मतवाला,
तुम बनकर आई मधुबाला,
ममस्पर्शी भाव जगाकर,
साकी बन भरती रीता प्याला,
इक बेसुध को होश में लाई,प्रिये तू ऐसी हाला है,
अनुराग जताने का तेरा, हर अन्दाज निराला है।
देखी जो सूरत,गला सुराही,
आकाश ढूढने लगा बुराई,
मिलन की पहली रुत बेला पर,
चाँद ने हमसे नजर चुराई।
खुसफुसाके कहें सितारे,कैसी किस्तम वाला है,
अनुराग जताने का तेरा, हर अंदाज निराला है।
आई जबसे हो तुम घर-द्वारे,
दमक उठे सब अंगना-चौबारे,
पूरे हुए, बुने वो मेरे नटखट,
हर अरमां, हर ख्वाब कुंवारे।
कांटे ख़त्म हुए गुलों ने,घर-दामन सम्भाला है,
अनुराग जताने का तेरा, हर अंदाज निराला है।
मिले तुम, अहोभाग हमारा,
निष्छल है प्रेमराग तुम्हारा,
उत्सर्ग प्रबल,सबल,सम्बल,
अतुल,अनुपम त्याग तुम्हारा,
मन मोदित है, भले ही रंग जिगर का काला है,
अनुराग जताने का तेरा, हर अंदाज निराला है।
वाह वाह , गोदियाल जी।
ReplyDeleteगृह स्वामिनी स्तुति का यह अंदाज़ भी निराला है।
बेहतरीन प्रस्तुति।
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (21 -07-2013) के चर्चा मंच -1313 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteआज तो गजब ढा दिया !
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना के लिए आपका आभार !!
मिले तुम, अहोभाग हमारा,
ReplyDeleteनिष्छल है प्रेमराग तुम्हारा,
उत्सर्ग प्रबल,सबल,सम्बल,
अतुल,अनुपम त्याग तुम्हारा,
मन मोदित है, भले ही रंग जिगर का काला है,
अनुराग जताने का तेरा, हर अंदाज निराला है।
वाकई आपका भी अंदाजे बयाँ निराला है, बहुत ही सुंदर रचना.
रामराम.
सच में आपका अंदाज़ भी एकदम निराला है. पूरे हुए, बुने वो मेरे नटखट,
ReplyDeleteहर अरमां, हर ख्वाब कुंवारे - स्तुति सार्थक हुई !
बेहद सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteगृहस्वामिनी धन्य हुई होंगी!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteसाझा करने के लिए शुक्रिया!
जय जय जय जय, जय गृह स्वामिनि
ReplyDeleteइक बेसुध को होश में लाई,प्रिये तू ऐसी हाला है,
ReplyDeleteअनुराग जताने का तेरा, हर अन्दाज निराला है। ..
जबरदस्त .. आप कभी कभी ही इस रस में डूबते हैं ... पर आज तो अंतस तक जैसा नहला दिया इस भाव रस से ... लाजवाब गौदियाल साहब ...
गजब की स्तुति ....
ReplyDeleteसुन्दर....बस यही स्तुति निरंतर बनी रहे ...यही कामना ...!!!!
ReplyDeleteवाकई ऐसे खयालों में बुराई भी आकाश ढूंढने लगती है। क्या बात है, बहुत ही सुन्दर।
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