Thursday, July 18, 2013

जिनकी खुद की कोई प्रेरणा नहीं वो औरों के क्या प्रेरणास्रोत बनेगे ?


देश की सड़कें तो पिछले कुछ दशकों से इस बात की आदी हो चुकी है कि रसूकदार लोगो के उनपर चलने के लिए न कोई कायदे कानून होते हैं और न ही कोई ट्रैफिक पुलिस के चालान का डर, इसलिए अब उन सड़कों को कोई शर्म जैसी चीज महसूस नहीं होती।  लेकिन छवि में दिख रहा स्कूटर अवश्य खुद को लज्जित महसूस कर रहा होगा कि न सिर्फ भारी भरकम शरीर वाला एक इंसान, बल्कि २०१४ में देश की सत्ता पर काबिज होने के प्रबल दावेदार एक बड़ी पार्टी के अध्यक्ष पद को सुशोभित कर चुका व्यक्ति बिना हैलमेट उसपर सवार होकर देश के नियम-कानूनों को खुले-आम धत्ता बता रहा है। 

      

8 comments:

  1. अच्छा, हमको लगा कि इतना बड़े नेता को स्कूटी में चलने के कारण नेता लहने का अधिकार नहीं। हेलमेट तो लगाना ही था, कैसे भूल गये। हेलमेट में चेहरा जो नहीं दिखता है।

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  2. हेलमेट लगा लेते तो पता कैसे चलता की इतने बड़े नेता स्कूटी चला रहे हैं .... इनके लिए सब माफ है

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  3. हेलमेट लगा लेते तो मीडिया और लोगों को कैसे पता चलता कि नेताजी स्कूटर पर जा रहें है ! यही तो विडम्बना है !!

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  4. हेलमेट आम जनता के लिये है ताऊओं के लिये नही.

    रामराम.

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    1. जी ताऊ जी , वैसे भी ताऊओं की प्रेरणा की "पूर्ती " तो पहले ही हो चुकी :)

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  5. नियन-कानून आम आदमी के लिए बने हैं ,वे तो इन सब से ऊपर हैं !

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  6. नेता अपने सर पर किसी को नहीं बिठाते।

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संशय!

इतना तो न बहक पप्पू ,  बहरे ख़फ़ीफ़ की बहर बनकर, ४ जून कहीं बरपा न दें तुझपे,  नादानियां तेरी, कहर  बनकर।