देश की सड़कें तो पिछले कुछ दशकों से इस बात की आदी हो चुकी है कि रसूकदार लोगो के उनपर चलने के लिए न कोई कायदे कानून होते हैं और न ही कोई ट्रैफिक पुलिस के चालान का डर, इसलिए अब उन सड़कों को कोई शर्म जैसी चीज महसूस नहीं होती। लेकिन छवि में दिख रहा स्कूटर अवश्य खुद को लज्जित महसूस कर रहा होगा कि न सिर्फ भारी भरकम शरीर वाला एक इंसान, बल्कि २०१४ में देश की सत्ता पर काबिज होने के प्रबल दावेदार एक बड़ी पार्टी के अध्यक्ष पद को सुशोभित कर चुका व्यक्ति बिना हैलमेट उसपर सवार होकर देश के नियम-कानूनों को खुले-आम धत्ता बता रहा है।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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संशय!
इतना तो न बहक पप्पू , बहरे ख़फ़ीफ़ की बहर बनकर, ४ जून कहीं बरपा न दें तुझपे, नादानियां तेरी, कहर बनकर।
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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आज तडके, दूर गगन में, एक अरसे के बाद, फुरसत से, सूरज अपनी महबूबा, चाँद से मिला, और कुछ पलों तक दोनों एक दूसरे को निहारते रहे, जी...
अच्छा, हमको लगा कि इतना बड़े नेता को स्कूटी में चलने के कारण नेता लहने का अधिकार नहीं। हेलमेट तो लगाना ही था, कैसे भूल गये। हेलमेट में चेहरा जो नहीं दिखता है।
ReplyDeleteहेलमेट लगा लेते तो पता कैसे चलता की इतने बड़े नेता स्कूटी चला रहे हैं .... इनके लिए सब माफ है
ReplyDeleteअजीब बात है नेताओं की।
ReplyDeleteहेलमेट लगा लेते तो मीडिया और लोगों को कैसे पता चलता कि नेताजी स्कूटर पर जा रहें है ! यही तो विडम्बना है !!
ReplyDeleteहेलमेट आम जनता के लिये है ताऊओं के लिये नही.
ReplyDeleteरामराम.
जी ताऊ जी , वैसे भी ताऊओं की प्रेरणा की "पूर्ती " तो पहले ही हो चुकी :)
Deleteनियन-कानून आम आदमी के लिए बने हैं ,वे तो इन सब से ऊपर हैं !
ReplyDeleteनेता अपने सर पर किसी को नहीं बिठाते।
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