Tuesday, July 30, 2013

बनाने वाले ने हमें भी अगर, ऐसा ऐ काश बनाया होता


बनाने वाले ने हमें भी अगर, ऐसा ऐ काश बनाया होता,
किसी यूरोप की मेम को, हमारी भी सास बनाया होता।
     
गोरी सी इक जोरू होती,और हम वी.वी.आईपी भी होते,  
हर मोटे रईस ने अपना, हमें खासमखास बनाया होता। 
  
चाटुकारों की इक पूरी फ़ौज,चरण वन्दना में लींन होती,
कहीं भी बेधड़क घुसने का,हमारा भी पास बनाया होता।

कहाँ से कहाँ पहुँच जाते, फिर हम चूड़ी बेचने वाले भी ,

शहर के हर शागिर्द ने हमें, अपना ब़ास बनाया होता।

ऐ बनाने वाले , भाग्य हमारा ऐसा झकास बनाया होता, 

किसी यूरोप की मेम को, हमारी भी सास बनाया होता।    

14 comments:

  1. बात तो शतप्रतिशत सही कही है !!

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  2. बनाने वाले ने हमें भी अगर, ऐसा ऐ काश बनाया होता,
    किसी यूरोप की मेम को, हमारी भी सास बनाया होता।

    हा हा हा....इस जन्म में तो दिल के अरमाँ आसुंओं मे ही बहते दिखै सैं मन्नै तो.:)

    पर अगले जन्म में आपकी यह आरजू अवश्य पूरी होगी, इति बाबा वचनम.

    रामराम.

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    1. खोजो शाला इक बड़ी, पढ़ते जहाँ अमीर |
      मनचाहा साथी चुनो, सुन राँझे इक हीर |
      सुन राँझे इक हीर, चीर कर दिखा कलेजा |
      सुना घरेलू पीर, रोज खा उसका भेजा |
      प्रथम पुरुष को पाय, लगाए दिल वह बाला |
      समय गया पर बीत, पुत्र हित खोजो शाला ||

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  3. गोरी गोरी पर्तों में काले दाग जमे रहते हैं,
    प्यार तो घर का ही, सब सहमे रहते हैं।

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  4. पूर्व जन्म के पुन्न से बनाता ऐसा जोग
    लगा रहे पूंजीपति किसम किसम के भोग
    किसम किसम के भोग भाग जग जाते अपने
    गजब गुदगुदी नींद, नींद में मीठे सपने
    मीठे सपने देख रहे सासू के प्यारे
    उनकी दुनिया और रहे वे जग से न्यारे

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  5. हास्य की सुन्दरतम अभिव्यक्ति ,
    वाह वाह वाह

    एक शाम संगम पर {नीति कथा -डॉ अजय }

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  6. रविकर जी की की सलीह ठीक लग रही है -
    (अपना)समय गया वह बीत,पुत्र का हित अब सोचो
    बेटा उनके हाथ सौंप ,निज आश्रय खोजो !

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  7. गोरी गोरी सास के सपने
    सपने किसके हुए अपने ।

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  8. रोचक ...पर बात तो प्रासंगिक है आज के दौर में ....

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  9. चाटुकारों की इक पूरी फ़ौज,चरण वन्दना में लींन होती,
    कहीं भी बेधड़क घुसने का,हमारा भी पास बनाया होता ...

    क्या बात है गौदियाल जी ... किस पे इशारा है आज ...

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  10. व्यंग्य पूर्ण मजेदार प्रस्तुति।।।

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  11. बर्ट जी ढेर हुए, व्‍यंग्‍य पंक्तियां ऐसी
    हाथ की मारीचिका भारतभूमि प्‍यासी

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।