आज के इस अवसादपूर्ण वातावरण मे इन्सान की रोजमर्रा की जिन्दगी एक मशीन बन कर रह गई है। और जिसकी रोज की दिनचर्या मे ज्यादातर लम्हे इन्सान को ढेर सारी उलझनों मे ही उलझाकर तनावग्रस्त बनाये रखते है। मगर साथ ही कभी-कभी इन्सान के जीवन मे उन कुछ खुशहाल पलों का भी एक भिन्न तरह का योगदान रहता है, जो उसे तनाव तो देते है मगर खुद की चिन्ता-फिकर से थोडा हटकर, देश और दुनिया के बारे मे भी सोचने का अवसर प्रदान करते है।
जैसा कि विदित है कि आज रविवार है, यानि छुट्टी का दिन। और मै समझता कि मानव सभ्यता के विकास का वह दौर शायद सबसे विद्धतापूर्ण दौर रहा होगा, जिसमे निति निर्धारको और निर्णयकर्ताओं ने यह दूरदर्शितापूर्ण बात इन्सान के जीवन के लिये तय की कि हर इन्सान को साप्ताहिक अवकाश लेना/देना जरूरी है।
इन्सान इत्मिनान से फुर्सत के पलों मे अपने-अपने स्वभाव, शारीरिक गुणों और मानसिक क्षमताओ के बलबूते भिन्न-भिन्न कल्पनाओं की उडाने उड्ता है। ये काल्पनिक उडाने हमारे आस-पास घटित हो रहे घटनाक्रम पर बहुत कुछ निर्भर करती है। ऐसे ही कुछ विचार फुर्सत के चन्द लम्हों मे मुझे भी अक्सर उद्ववेलित करते रहते है, जिनमे से कुछ को मैं निम्न प्रकार से आप लोगो के समक्ष पेश कर रहा हूं;
अ) एक खबर: फलां-फलां नेता ने फ़लां-फ़लां व्यक्ति द्वारा उसके काले कारनामे उजागर करने पर उन कारनामों की बात को न सिर्फ़ फर्जी बताया बल्कि उसे अपने खिलाफ एक साजिश भी करार दिया और उस फ़लां-फलां व्यक्ति पर मान-हानि का दावा ठोकने की धमकी भी दे डाली।
मैं क्या सोच रहा था ?: मैं सोच रहा था कि आज जबकि हर कोई इस बात को भली भांति जानता है कि आज राजनीति मे अधिकाशत: चोर, डाकू, कातिल, लुटेरे,बलात्कारी, भ्रष्टाचारी ही घुसे पडे है, जिनका कोई दीन-ईमान नही। और जिस इन्सान का कोई ईमान ही नही, भला उसका मान कैसा? इस पतन के लिये कोई और नही बल्कि ये नेता ही खुद जिम्मेदार है, तो क्या अब हमारे कानूनों मे यह सुधार लाने की जरुरत नही है कि कोई भी राजनेता मान-हानि का दावा नही कर सकता ?
आ) एक खबर:एक ट्रक ने तीन लोगो को कुचलकर मार डाला, पुलिस ने ट्रक ड्राइवर को गिरफ़्तार कर उस पर नकारात्मक ड्राइविंग का आरोप लगाते हुए, गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया।
मैं क्या सोच रहा था: ट्रक ड्राइवर पर ट्रक को ठीक से चलाने की जिम्मेदारी थी, जिसमे असफ़ल रहने पर उसे सजा भुगतनी पडेगी। देखा जाये तो प्रधान-मन्त्री और उसके मन्त्री मण्डल के सदस्य भी एक तरह से ड्राइवर ही है, जिन पर देश को ठीक से चलाने की जिम्मेदारी होती है। अगर वे लोग अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह ठीक से नही करते और परिणामस्वरूप यदि देश मे लोग मरते है तो क्या इनपर भी नकारात्मक ड्राइविंग का आरोप लगाते हुए गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा नही चलना चाहिये ?
इ) एक खबर:सी आई ए के एक पूर्व विश्लेषक के मुताविक अगर अब अमेरिका पर आतंकी हमला हुआ तो पाक का खात्मा हो जायेगा।
मै क्या सोच रहा था: मुम्बई हमलों के बाद हमें संयम बरतने और पाक से वार्ता की नसीहत देने वाले ये गोरी चमडी के रंगभेदी और नश्लभेदी बन्दर दुनिया को अपने बाप की जागीर अभी तक समझते है। ये खुद इतने बडे मूर्ख हैं या फिर हमे ही मूर्ख समझते है कि आतंकवाद के खिलाफ लडाई लड्ने के लिये पाकिस्तान को नौसैनिक विमान और हथियार दे रहे है। क्या हम इतना भी नही समझते कि पाकिस्तान की नौसेना को अमेरिकी सहायता का आतंकवाद के खिलाफ लडाई मे भला क्या औचित्य?
ई) एक खबर: २९ अप्रैल २०१० को चीन के टाक्सिंग शहर के एक किंडरगार्टेन के २९ बच्चों को चाकू मारने वाले वहां के एक बेरोजगार युवक को वहां की अदालत ने १५ दिन के भीतर-भीतर मौत की सजा सुना दी।
मैं सोच रहा था: अपने देश मे तो एक विदेशी आतंकी को भी सालों तक मौत की सजा नही दी जाती, ऊपर से करोडो उसके लालन-पालन पर खर्च किये जाते है। इससे क्या कभी हमारा (अ) न्याय-तंत्र कोई सबक लेगा?
आज बस इतना ही, वैसे बाइ दी वे आप लोग क्या सोचते है?
अद्यतन समाचार ब्लॉग पर लगाने के लिए आभार!
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक विषय का चयन और प्रेरक प्रस्तुती के लिए धन्यवाद / वास्तव में इस देश के भ्रष्ट मंत्रियों ने आम लोगों की जिन्दगी को नरक बना दिया है /
ReplyDeleteGodiyaal ji appne har khabar ka jo vishleshan kiya wa shat pratishat satya hai..
ReplyDeletemain soch raha hoon ..aap ye badhiya-badhiya khabr kaha se laaye hai ....jaankaari bhi mili ......dhnyvaad
ReplyDeleteजय राम जी की।
ReplyDeleteभगवान परशुराम जयंती की हार्दिक बधाई
रोचक व ज्ञानबर्धक
ReplyDeleteट्रक ड्राइवर ज्यादा तर सरदार होते है जी, लेकिन कई ट्रक ड्राइवर बाबू टाईप के होते है जि ही ही ही ही करते रहते है, वो ट्रक क्या खाक चलायेगे, ओर चाप लुसी से कोई ट्रक ड्राईवर नही बन सकता:)
ReplyDeleteबहुत ही जबरदस्त विषय का चयन। आपको बधाई।
ReplyDeleterochak vishay.
ReplyDeleteहर संस्था का काम करने का अपना ही तरीका हो सकता है. हम भी चीन, अमरीका की नक़ल टीप कर पाकिस्तान जैसे पिछलग्गू हो सकते हैं या अपनी मौलिक विचारधारा को सामने लाकर सफल हो सकते हैं.
ReplyDeleteअक्षय तृतीया की शुभकामनाएं!
बहुत अच्छा लगा .............
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ReplyDeleteमहाराज सोचते तो हम भी कुछ कुछ आप की ही तरह है पर हमारे और आपके सोचने से होता क्या है ??
ReplyDeleteवैसे बढ़िया पोस्ट रही !!
ऐसे ही चलेगा.... जब तक भी चलेगा..
ReplyDeleteप्रशंसनीय ।
ReplyDeleteआपका कहना सच है .... अधिकतर विकसित देशों में ऐसा ही क़ानून है ... सरकारी कर्मचारी की पार्सनल ज़िम्मेवारी का प्रावधान क़ानून में होना चाहिए ...
ReplyDeleteमै समझता कि मानव सभ्यता के विकास का वह दौर शायद सबसे विद्धतापूर्ण दौर रहा होगा, जिसमे निति निर्धारको और निर्णयकर्ताओं ने यह दूरदर्शितापूर्ण बात इन्सान के जीवन के लिये तय की कि हर इन्सान को साप्ताहिक अवकाश लेना/देना जरूरी है।
ReplyDelete....rochak, gyaanvardhak, prasansaneey.samasaamayik samacharon ke liye dhanyavaad.
सामयिक सार्थक और चिंतनशील लेख के लिए आभार
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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