Monday, May 10, 2010

कूटनीतिक तौर पर देखा जाए तो सबसे सफल राष्ट्र कहा जा सकता है पाकिस्तान को !


पाकिस्तान एक नाकाम राष्ट्र है, पाकिस्तान एक अस्थिर और असफल राष्ट्र है...पाकिस्तान एक आतंकवादी राष्ट्र है, पाकिस्तान की नीव ही घृणा की बुनियाद पर पडी है, पाकिस्तान का कोई ईमान नहीं है, इत्यादि, इत्यादि, ऐसी बाते तो हम लोग अक्सर बोल, सुन लिया करते है, मगर यह बात सुनने में बड़ी अटपटी लगेगी, अगर मैं कहूँ कि पाकिस्तान कूटनीतिक तौर पर दुनिया का एक सबसे सफल राष्ट्र है।

यूँ तो पाकिस्तानियों ने "मौके का फ़ायदा उठाना" वाला गुरुमंत्र प्राचीन मुग़ल आक्रमणकारियों से ही सीख लिया था, किन्तु अलग पाकिस्तान राष्ट्र के बन जाने के बाद उन्होंने इस कहावत को यथार्थ के धरातल पर बखूबी उतारा। आज हम जितना मर्जी पाकिस्तान को बुरा-भला कहे, लेकिन सच्चाई यही है कि पाकिस्तान ने अपने जीने का जुगाड़ बखूबी ढूंढ लिया है। ज़रा सोचिये , क्या था पाकिस्तान के पास ऐसा जिसकी बदौलत वह दुनिया के अग्रणी राष्ट्रों के सामने खडा हो पाता? वह आज भले ही हर दूसरे हफ्ते भीख का कटोरा लेकर पश्चमी राष्ट्रों के आगे हाथ फैलाता नजर आता हो, मगर हम यह भूल जाते है कि भीख मांगना भी एक कला है, और हर भिखारी उसे पाने में सफल नहीं हो पाता। उसके पंजाब और सिंध प्रांत को छोड़ दे तो बाकी प्रदेशो में तो वहाँ के वाशिंदों के खाने के लिए भी पर्याप्त अनाज नहीं हो पाता। अगर वह दुनिया के अन्य देशो को निर्यात करने हेतु अपनी आतंकवाद की फसल नहीं तैयार करता तो आज उसकी स्थिति सूडान,युगांडा और ईथियोपिया से भी बदत्तर होती। उसके पश्चिमोतर प्रान्तों में जिस तरह के वार-लोर्ड रह रहे है , अगर उनके समक्ष गैर इस्लामिक देशो का हौवा नहीं खडा किया गया होता तो वे आपस में पाकिस्तानियों का ही रोज कत्लेआम करते रहते ।

उस देश के पास कुछ ख़ास संसाधन न होते हुए भी , आज दुनिया का सबसे बड़ा हथियार यानि परमाणु बम है, लम्बी दूरी तक मार करने वाले मिसाइल है, संयुक्त राष्ट्र में पैरवी के लिए दो स्थाई सदस्य , अमेरिका और चीन पक्के तौर पर है। अमेरिका हर वक्त दोस्ती के लिए उसके आगे पीछे घूमता रहता है, उसे सारे उन्नत लड़ाकू हथियार और विमान दे रहा है, हर साल अरबों डॉलर फ्री में दे रहा है, यह जानते हुए भी कि यही पाकिस्तान उसके डसने के लिए जहरीले नाग पैदा कर रहा है, और पाल रहा है। अभी हाल का ही वाकया ले लीजिये, उसके एक नाग ने न्यूयार्क के लोगो को डसने की एक असफल कोशिश की। अभी तो अमेरिका दुनिया को दिखाने के लिए उस पर गुर्रा रहा है, आँखे तरेर रहा है मगर देखना, कुछ ही दिनों बाद वह उसके लिए करोडो डालर की अगली किश्त मंजूर करने वाला है। चीन हर संभव सैन्य और असैन्य तकनीकी सहायता उसे दे रहा है, मुस्लिम राष्ट्र सारे उसके पक्ष में है, और इस्लामिक आतंकवाद का मुख्य पोषक सउदी अरबिया उसे करोडो की सहायता देता है। यानि फ्री-फंड का बैठकर खा रहा है । हमारा तो जब कोई राष्ट्रपति अमेरिका जाता है तो उसके तो कपडे भी उतरवा लिए जाते है, मगर पाकिस्तान का वहां एक मंत्री भी रेड कारपेट सम्मान पाता है, एयरपोर्ट पर । आज दुनिया का बच्चा-बच्चा भी पाकिस्तान का नाम जानता है, वह भले ही आतंकवाद की ही वजह से क्यों न हो। अभी कुछ सालों पहले तक तो पश्चिम के लोग इंडोनेशिया और इंडिया में फर्क ही नहीं कर पाते थे। वो तो भला हो ओसामा बिन लादेन का जो उसकी वजह से अमेरिका और पश्चिमी राष्ट्रों ने आतंकवाद का अर्थ समझा, नहीं तो भारत में चल रहे पाकिस्तानी आतंकवाद से कितने लोग परिचित थे ? भारत को परेशान करना उसका जन्मजात मकसद था और वह उसमे पूरी तरह सफल रहा। भारत से जब ऐसी खबरे जाती है कि कसाब पर अब तक पचास करोड़ रूपये खर्च हो चुके भारत के, तो मन ही मन मुस्कुराता होगा। बेशर्म बनकर दुनिया को मूर्ख बनाता है तो वो भी तो उसकी एक खासियत ही है जीने (survive) की।

तो अब आप ही बताईये कि पाकिस्तान एक असफल राष्ट्र किस नजरिये से है?

19 comments:

  1. "…भीख मांगना भी एक कला है, और हर भिखारी उसे पाने में सफल नहीं हो पाता…" एकदम फ़ुल्टू सहमत…

    और खुद की कनपटी पर पिस्तौल रखकर भीख माँगने वाला भिखारी तो और भी अनोखा होता है… :) :)

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  2. पाकिस्तान को बचाय रखने में जितनी मदद भारत के सेकुलर गिरोह ने दी है शायद उतनी उसे अमेरिका से भी प्राप्त नहीं हुई होगी।
    सुरेश जी से सहमत

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  3. नीति विहीन कूटनीति
    जी हाँ ! पाकिस्तान अपनी नीतियों को (दुर्नीतियों को) अमली जामा पहना रहा है. सफल है

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  4. छल कपट भी कूटनीति का एक अंग बन गया है जिसमे पाकिस्तान को महारत हासिल है ....

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  5. पाकिस्तान दा जवाब नही .....

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  6. गोदियाल साहब,
    पाकिस्तान की तारीफ़(ऐसी) सुनकर मजा आ गया।
    अब एक बात आप सुन लीजिये। इतिहास उठाकर देख लीजिये, अमेरिका ने अविकसित या विकाससील देशों में जिसको भी दोस्त बनाया है, उसी की बाद में ऐसी तैसी की है। सद्दाम हुसैन, ओसामा जैसे भी अमेरिका के ही पाले हुये थे। पाकिस्तान को अभी भीख मिल रही है, फ़िर सीख मिलेगी।

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  7. आज पाकिस्तान जैसे कूटनितिज्ञ लोग,हमारे देश और हमारे समाज में हर जगह बैठे हैं / जिधर भी नजर जाती है वहीं कुत्तों की पूछ ज्यादा है ,इन्सान की कोई औकाद है ही नहीं / हमारे देश के ज्यादातर मंत्री भी पाकिस्तान के चरित्र की प्रतिमा हैं / वो तो भला हो हमारे देश के उन इन्सान के रूप में भगवान का जिसके वजह से व्यवस्था घिसत रही है /

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  8. भईया आप ने बहुत अच्छा लिखा, लेकिन हमारे नेता ही जब इन के तलवे चाटे तो बाकी देश वाले क्या करे.... काश एक लाल बाहदुर शास्त्री ओर पेदा होता

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  9. भारतीय कूटनीतिज्ञों को पाकिस्तान से सीख लेना चाहिये...

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  10. पकिस्तान अमरीका के लिए महत्वपूर्ण है.

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  11. सुब्रमण्यम जी से सहमत...
    अमेरिका को इस वक्त पकिस्तान कि ज़रुरत है...
    गोदियाल साहब बहुत ही सही पोस्ट डाली है आपने....

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  12. बिल्क्कुल सही कहा आपने साहब,
    सुरेश चिप्लुकर से भी सहमत की खुद की कनपटी पर पिस्तौल रखकर भीख माँगने वाला भिखारी तो और भी अनोखा होता है

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  13. आज हिंदी ब्लागिंग का काला दिन है। ज्ञानदत्त पांडे ने आज एक एक पोस्ट लगाई है जिसमे उन्होने राजा भोज और गंगू तेली की तुलना की है यानि लोगों को लडवाओ और नाम कमाओ.

    लगता है ज्ञानदत्त पांडे स्वयम चुक गये हैं इस तरह की ओछी और आपसी वैमनस्य बढाने वाली पोस्ट लगाते हैं. इस चार की पोस्ट की क्या तुक है? क्या खुद का जनाधार खोता जानकर यह प्रसिद्ध होने की कोशीश नही है?

    सभी जानते हैं कि ज्ञानदत्त पांडे के खुद के पास लिखने को कभी कुछ नही रहा. कभी गंगा जी की फ़ोटो तो कभी कुत्ते के पिल्लों की फ़ोटूये लगा कर ब्लागरी करते रहे. अब जब वो भी खत्म होगये तो इन हरकतों पर उतर आये.

    आप स्वयं फ़ैसला करें. आपसे निवेदन है कि ब्लाग जगत मे ऐसी कुत्सित कोशीशो का पुरजोर विरोध करें.

    जानदत्त पांडे की यह ओछी हरकत है. मैं इसका विरोध करता हूं आप भी करें.

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  14. सही कह रहे सर जी....

    कुंवर जी,

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  15. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

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  16. चर्चा मंच से आया हूँ , रोचक लगा ब्लॉग

    http://madhavrai.blogspot.com/
    http://qsba.blogspot.com/

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  17. वैसे पडोसी है
    पर भिखारी है ....

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।