खबर : गडकरी ने लालू और मुलायम को सोनिया का कुत्ता कहा!
पापा ये बीजेपी वाले भी न... हमारी
इज्जत का ज़रा भी ख्याल नहीं रखते !
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
-
स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
-
पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
-
शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
ha ha ha........, bahut badhiya, thahaka marakar hansane ke liya majboor kar diya.
ReplyDeletekutton ke liye
ReplyDeletedoob marne ki baat..........
बढ़िया
ReplyDeletewah wah kya baat hai, kutton ko netaon se tulna karna yani ki kutton ka apmaan .... ha ha ha !
ReplyDeleteसत्य वचन जी
ReplyDeletehAhA hAAA hAAAA :))
ReplyDeleteफिर पापा ने क्या कहा?
ReplyDelete:)
ReplyDeletebahut khub kaha aapne
ReplyDeleteha ha ha....
ReplyDeletekunwar ji,
bahut.khob...
ReplyDeleteare wahhhhhhhhhh
ReplyDeleteक्या बात है
ReplyDeleteVaise pilla kahte to jyaada achhaa nahi hota ? ....
ReplyDeleteSuper Nice.
ReplyDeleteगजब!
ReplyDeleteवैसे ये गजब हमने कार्टून के लिए नहीं बीजेपी वालों के लिए कहा है :-)
This comment has been removed by the author.
ReplyDeletewah...,wah,.,.,
ReplyDeletebahut khoob .
टिप्पणी-२
ReplyDelete४. ज्ञानदत्त ने जो पोस्ट लिखी वो उसकी और फ़ुरसतिया की सोची समझी रणनीती थी. ये दोनों लोग सारे ब्लागरों को बेवकूफ़ समझते हैं. इनको आजकल सबसे बडी पीडा यही है कि इन दोनों का जनाधार खिसक चुका है. समीरलाल को लोकप्रिय होता देखकर ये जलने लेगे हैं.
ज्ञानदत्त ने जानबूझकर अपनी पोस्ट मे समीरलाल के लेखन को इस लिये निकृष्ट बताया कि उसको मालूम था इस पर बवाल मचेगा ही. और बवाल का फ़ायदा सिर्फ़ और सिर्फ़ मिलेगा ज्ञानदत्त अऊर अनूप को. और वही हुआ जिस रणनीती के तहत यह पोस्ट लिखी गई थी. समीरलाल के साथ साथ ज्ञानदत्त अऊर अनूप भी त्रिदेवों में शामिल होगये. अबे दुष्टों क्या हमारे त्रिदेव इतने हलकट हैं कि तुम जैसे चववन्नी छाप लोग ब्रह्मा विष्णु महेश बनेंगे? अपनी औकात मत छोडो.
५. ज्ञानदत अऊर अनूप ऐसे कारनामे शुरु से करते आये हैं. इसके लिये हमारी पोस्ट 'संभाल अपनी औरत को नहीं तो कह चौके में रह' का अवलोकन कर सकते हैं. और इनकी हलकटाई की एक पोस्ट आँख की किरकिरी की पढ सकते हैं. ज्ञानदत्तवा के चरित्तर के बारें मा आप असली जानकारी बिगुल ब्लाग की "ज्ञानदत्त के अनाम चमचे ने जारी की प्रेस विज्ञप्ति" इस पोस्ट पर पढ सकते हैं जो कि अपने आप मे सौ टका खरी बात कहती है.
६. अब आया जाये तनिक अनूप शुक्ल पर = इस का सारा चरित्तर ही घिनौना और हलकट है. इसकी बानगी नीचे देखिये और अब तो आप को हम हमेशा ढूंढ ढूंढ कर बताता ही रहूंगा.
शेष भाग अगली टिप्पणी में....
टिप्पणी-३
ReplyDeleteअ. आप सबको टिप्पू चच्चा तो याद ही होंगे. अब बताईये टिप्पू चच्चा की क्या गलती थी? टिप्पू चच्चा कभी कभार अपना बिलाग पर कुछ उनकी अपनी पसंद की टिप्पणीयां छापकर टिप्पणी चर्चा किया करते थे. अऊर चच्चा ने गलती से अनूपवा की चिठ्ठाचर्चा वाला टेंपलेटवा लगा लिया. बस अनूपवा अऊर उसके छर्रे को मिर्ची लग गईल.
एक रोज अनूपवा के छर्रे* (इस छर्रे का नाम हम इस लिये नही ले रहा हूं कि जबरन इसको क्यों प्रचार दिया जाये) ने चच्चा के लिये टिप्पणि करदी कि टिप्पू चच्चा तो गुजरे जमाने की बात हो गईल. यहीं से सारा झगडा शुरु हुआ. चच्चा ने अनूपवा से टिप्पणी हटाने का आग्रह किया जो कि नही हटाई गई.
ब. इसी से नाराज होकर चच्चा टिप्पूसिंह ने अनूपवा अऊर उसके तथाकथित छर्रे के खिलाफ़ मुहिम चलाई पर अफ़्सोस च्च्चा थक गये पर अनूप ने वो टिप्पणी नही हटाई. बेशर्मी की हद होगई.
स.उल्टे अनूपवा ने अजयकुमार झा साहब को परेशान कर दिया कि तुम ही टिप्पू चच्चा हो. झा साहब को तब टेंपलेट बदलना त दूर लिंक लगाना नाही आता था. लेकिन साहब अनूप तो त्रिदेव हैं फ़तवा दे दिया त देदिया.
द. इसी अनूपवा अऊर इसके छर्रे ने बबली जैसी महिला को इनकी चिठ्ठाचर्चा पर सरे आम बेइज्जत किया. अपनी कल की पोस्ट मे ये दावा (अपने से छोटो और महिलाओं को मौज (बेइज्जत) नही लेते) करने वाले अनूप बतावो कि बबली तुमको तुम्हारे से छोटी और महिला नही लग रही थी क्या?
इ. अनूपवा आगे फ़रमाते हैं कि वो कभी किसी से बेनामी कमेंट नही करवाते. तो बबली के लिये आज तक यहां वहां बिखरे कमेंट और दूसरे ढेरों ब्लागो पर बिखरे कमेंट, तुम्हारे समर्थन मे लगाई गई हिंदिब्लागजगत की पोस्ट तुमने लगाई या तुम्हारे छर्रों ने लगाई? जिस पर तुम्हारा कमेंट भी था. अब तुम कहोगे कि हमारे समर्थन मे त एक ही लगी है समीरलाल के समर्थन मा बाढ आगई, तो अनूप शुकुल तुम्हारी इतनी ही औकात है.
क्रमश:
टिप्पणी-४
ReplyDeleteअब हमार ई लेक्चर बहुते लंबा हुई रहा है. हम इहां टिप्पू चच्चा से अपील करूंगा कि चच्चा आप जहां कहीं भी हो अब लौट आवो. अब तो अनूपवा भी पिंटू को बुला रहा है वैसन ही हम तौका बुलाय रहे हैं. हम तुम मिलकर इस अनूपवा, ज्ञानदत्तवा और इन छर्रे लोगों की अक्ल ठीक कर देंगे, लौट आवो चच्चाजी..आजावो..हम आपको मेल किया हूं बहुत सारा...आपका जवाब नाही मिला इस लिये आपको बुलाने का लिये ई टिप्पणी से अपील कर रहा हूं. अनूपवा भी अपना दूत भेज के ऐसन ही टिप्पणी से पिंटू को बुलाय रहा है. त हमहूं सोच रहे हैं कि आप जरुर लौट आवोगे.
चच्चाजी सारा ब्लाग्जगत तुम्हरे साथ है. आकर इन दुष्टों से इस ब्लाग जगत को मुक्त करावो. सोनी जी के शब्दों मे तटस्थता भी अपराध है. हे चच्चा टिप्पू सिंह जी आपके अलावा अऊर किसी के वश की बात नाही है. अब तक केवल अनूपवा अऊर उसका छर्रा ही था अब त एक बहुत बडा हाथ मुंह पर धरे बडका आफ़सर भी न्याया धीश बन बैठा है. आवो च्च्चा टिप्पूसिंह जी...औ हम आपको मेल किया हूं. मुझे आपकी टिप्पणी चर्चा मे चर्चा कार बनावो. क्योंकि मेरी पोस्ट पर तो इन लोगों के दर से कोई आता ही नही है.
अब हम अपने बारे मा बता देत हूं... हम सबसे पुराना ब्लागर हूं. जब अनूपवा भी नही थे ज्ञानदत्तवा भी नाही थे और समीरलालवा भी नाही थे. ई सब हमरे सामने पैदा भये हैं. अब हम आगया हूं अऊर चच्चा टिप्पू सिंह का इंतजार कर रहा हूं. अब आरपार की बात करके रहेंगे.
इस हिसाब से हम आप सबके दद्दाजी लगते हैं औ हमे दद्दा ढपोरसिंह के नाम से पुकारा जाये.
छर्रे का मतलब ज्ञानदत्तवा स्टाइल मा समझा देत हैं.
छर्रे = pupil = प्युपिल = चेलवा = शिष्य = पढा जाये :- अव्यस्क व्यक्ति
श्रंखला जारी रहेगी............
आपके इस आलेख से सहमत होते हुए अति उग्र टिप्पणीकारों से निवेदन है कि बस बहुत हो चुका...अब इस विवाद का शमन होना चाहिए।
ReplyDelete---------------------
मौत से जूझते एक ब्लॉगर को जरुरत है आपके शुभकामनाओं की ---> http://diwakarmani.blogspot.com/2010/05/blog-post_14.html
हास्य के साथ वीर रस की टिप्पणी ।
ReplyDelete