अपनी "छवि" बदलनी चाही,
अबके हमने इस होली में,
श्वेत-वसन स्व: अंग चढ़ाकर,
अबीर, गुलाल, रंग लगाकर,
निकले घर से टोली में।
PLANNING FOR HITTING THE STREET !
नज़ारे उत्सव पर बड़े-बड़े थे,
पिचकारी लेकर चाँद खड़े थे,
ना-नुकूर के खेल-खेल में
मल दिया गुलाल ठिठोली में।
SWEET TREATS :)
फिर ऐसा चढ़ा रंग होली का ,
हाथ बढ़ा हमजोली का ,
कुछ लहंगे में थिरके तो,
कुछ थिरके फिर चोली में।
हसीं ख़्वाबों को संग में लेके,
फिर रंग-बिरंगे सपने देखे,
आँख खुली देखा सूरज
छुपता घर की खोली में।
अपनी "छवि" बदलनी चाही,
अबके हमने इस होली में।
मगर अफसोस कि बदल नहीं पाए
AND FINALLY; BEATING THE RETREAT !! :) :)
लगता है अबकी होली बड़ी मस्ती के साथ मनाई है,,,आपने
ReplyDeleteRecent post: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,
:)
ReplyDeleteमस्ती हो रही है होली की ... दिख रहा है ब्लॉग पर ...
ReplyDeleteमस्त लाइनें हैं पर नहीं बदलेगी क्षवि आपकी ...
होली की बधाई ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच-1198 पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर!
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होली तो अब हो ली...! लेकिन शुभकामनाएँ तो बनती ही हैं।
इसलिए होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
अकेले अकेले , पीये जा रहे हो ,
ReplyDeleteहमें साथ लेते , किधर जा रहे हो।
होली की मदमस्त शुभकामनायें।
डा० साहब, ये तो मैं होली पर पानी की बचत कर रहा था :)
Deleteबड़ी मस्ती की होली रही आपकी ,मुबारक हो
ReplyDeletelatest post हिन्दू आराध्यों की आलोचना
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति!:)
ReplyDeleteलगता है छवि बदलने के चक्कर में खुद ही बदल गये !!
ReplyDeleteसुन्दर रचना !!
आभार !!
होली की शुभकामनायें..
ReplyDeleteहोली पर मंगलकामनाएं।
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