Thursday, March 28, 2013

अबके इस होली में !



अपनी "छवि" बदलनी चाही,
अबके हमने इस होली में,   
श्वेत-वसन स्व: अंग चढ़ाकर,
अबीर, गुलाल,  रंग लगाकर,
निकले घर से  टोली में। 

PLANNING FOR HITTING THE STREET !

नज़ारे उत्सव पर बड़े-बड़े थे, 
पिचकारी लेकर चाँद खड़े थे,
ना-नुकूर के खेल-खेल में 
मल दिया गुलाल ठिठोली में। 




SWEET TREATS :)


फिर ऐसा चढ़ा रंग होली का , 
हाथ बढ़ा हमजोली का ,
कुछ लहंगे में थिरके तो, 
कुछ थिरके फिर चोली में।

STATUTORY WARNING: DRINKING IS INJURIOUS TO HEALTH
 
हसीं ख़्वाबों को संग में लेके,
फिर रंग-बिरंगे सपने देखे,
आँख खुली  देखा सूरज 
छुपता घर की खोली में।   
   

अपनी "छवि" बदलनी चाही,
अबके हमने  इस होली में।  



मगर अफसोस कि बदल नहीं पाए  

AND FINALLY; BEATING THE RETREAT !! :) :)














11 comments:

  1. लगता है अबकी होली बड़ी मस्ती के साथ मनाई है,,,आपने

    Recent post: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,

    ReplyDelete
  2. मस्ती हो रही है होली की ... दिख रहा है ब्लॉग पर ...
    मस्त लाइनें हैं पर नहीं बदलेगी क्षवि आपकी ...
    होली की बधाई ...

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच-1198 पर भी होगी!
    सूचनार्थ...सादर!
    --
    होली तो अब हो ली...! लेकिन शुभकामनाएँ तो बनती ही हैं।
    इसलिए होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  4. अकेले अकेले , पीये जा रहे हो ,
    हमें साथ लेते , किधर जा रहे हो।

    होली की मदमस्त शुभकामनायें।

    ReplyDelete
    Replies
    1. डा० साहब, ये तो मैं होली पर पानी की बचत कर रहा था :)

      Delete
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!:)

    ReplyDelete
  6. लगता है छवि बदलने के चक्कर में खुद ही बदल गये !!
    सुन्दर रचना !!
    आभार !!

    ReplyDelete
  7. होली की शुभकामनायें..

    ReplyDelete

प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।