याद आएगी शनै:-शनै:,
सबको अपनी नानी,
सबको अपनी नानी,
जब न दूध का दूध होगा,
न पानी का पानी।
न पानी का पानी।
यूं तो अभी भी ये
कहाँ हो रहा,किंतु विकल्प हैं,
कहाँ हो रहा,किंतु विकल्प हैं,
तब की सोचो,
जब न दूध ही होगा और न पानी।
जब न दूध ही होगा और न पानी।
कि मसला-ऐ-नीर है,
और मसला बड़ा गंभीर है,
और मसला बड़ा गंभीर है,
उपाय ढूढिये यथार्थपूर्ण,
बंद करो जंग ज़ुबानी।
बंद करो जंग ज़ुबानी।
हम और तुमने तो
खा-पी लिया खुदगर्जों,
खा-पी लिया खुदगर्जों,
ज़रा सोचोकिसके लिए
पैदा कर रहे हम परेशानी।
पैदा कर रहे हम परेशानी।
छवि गूगल से साभार !
सच पानी बिना जीवन जीवन नहीं रहेगा ...
ReplyDeleteजागरूक प्रस्तुति हेतु आभार..
पानी के लिए आगाह कराती बहुत ही सुंदर गजल,,,
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें!
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सही है हम आने वाली पीढियों का भविष्य खराब कर रहे हैं.
ReplyDeleteरामराम.
सार्थक संदेश देती सुंदर रचना
ReplyDeleteअपनी ही संतानों को प्यासा छोड़ना -कैसे मानव हैं हम !
ReplyDeleteसार्थक संदेश देती सुंदर रचना, पानी बिना जीवन जीवन नहीं रहेगा।
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ReplyDeleteआने वाली खतरा के लिए चतावनी देती सुन्दर रचना
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जल तो बचाना ही होगा नहीं तो अन्त शीघ्र आ जायेगा..
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुत विचारणीय और समयानुकूलन पोस्ट।
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा बिन पानी सब सून। सुन्दर रचना आभार।
ReplyDeleteनये लेख : भगत सिंह, 20 रुपये के नये नोट और महिला कुली।
विश्व जल दिवस (World Water Day)
विश्व वानिकी दिवस
"विश्व गौरैया दिवस" पर विशेष।