Friday, March 22, 2013

बिन पानी सब सून !



याद आएगी शनै:-शनै:, 
सबको अपनी नानी,
जब न दूध का दूध होगा, 
न पानी का पानी। 

यूं  तो अभी भी ये 
कहाँ हो रहा,किंतु विकल्प हैं,
तब की सोचो, 
जब न दूध ही होगा और न पानी। 

कि मसला-ऐ-नीर है, 
और मसला बड़ा  गंभीर है,  
उपाय ढूढिये यथार्थपूर्ण,
बंद करो  जंग ज़ुबानी।  

हम और तुमने तो 
खा-पी लिया खुदगर्जों, 
ज़रा सोचोकिसके लिए 
पैदा कर रहे हम परेशानी।


छवि गूगल से साभार !

11 comments:

  1. सच पानी बिना जीवन जीवन नहीं रहेगा ...
    जागरूक प्रस्तुति हेतु आभार..

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  2. पानी के लिए आगाह कराती बहुत ही सुंदर गजल,,,

    होली की हार्दिक शुभकामनायें!
    Recent post: रंगों के दोहे ,

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  3. सही है हम आने वाली पीढियों का भविष्य खराब कर रहे हैं.

    रामराम.

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  4. सार्थक संदेश देती सुंदर रचना

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  5. अपनी ही संतानों को प्यासा छोड़ना -कैसे मानव हैं हम !

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  6. सार्थक संदेश देती सुंदर रचना, पानी बिना जीवन जीवन नहीं रहेगा।

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  7. जल तो बचाना ही होगा नहीं तो अन्त शीघ्र आ जायेगा..

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  8. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ

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  9. बहुत विचारणीय और समयानुकूलन पोस्‍ट।

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।