...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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मौन-सून!
ये सच है, तुम्हारी बेरुखी हमको, मानों कुछ यूं इस कदर भा गई, सावन-भादों, ज्यूं बरसात आई, गरजी, बरसी और बदली छा गई। मैं तो कर रहा था कबसे तुम...
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नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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देशवासियों तुम हमें सत्ता देंगे तो हम तुम्हें गुजारा भत्ता देंगे। सारे भूखे-नंगों की जमात को, बिजली-पानी, कपड़ा-लत्ता देंगे। ...
नाती-पोता नेहरू, कर्ता धर्ता *शेख |
ReplyDeleteअब्दुल्ला के ब्याह में, दीवाना ले देख |
दीवाना ले देख, मरे कश्मीरी पंडित |
निर्बल बिन हथियार, जवानो के सिर खंडित |
डंडे से गर मोह, संघ को भेजो पाती |
वह *मोहन तैयार, करो रविकर तैनाती ||
*भागवत
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteZabardast :-)
ReplyDeleteबिल्कुल सटीक व्यंग है.
ReplyDeleteरामराम.
सटीक कटाक्ष किया है !!
ReplyDeleteऐसा हो जाये तो फिर बात ही क्या है.
ReplyDeleteबहुत ही सटीक व्यंग,आभार.
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