...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
-
स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
-
पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
-
शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
नाती-पोता नेहरू, कर्ता धर्ता *शेख |
ReplyDeleteअब्दुल्ला के ब्याह में, दीवाना ले देख |
दीवाना ले देख, मरे कश्मीरी पंडित |
निर्बल बिन हथियार, जवानो के सिर खंडित |
डंडे से गर मोह, संघ को भेजो पाती |
वह *मोहन तैयार, करो रविकर तैनाती ||
*भागवत
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteZabardast :-)
ReplyDeleteबिल्कुल सटीक व्यंग है.
ReplyDeleteरामराम.
सटीक कटाक्ष किया है !!
ReplyDeleteऐसा हो जाये तो फिर बात ही क्या है.
ReplyDeleteबहुत ही सटीक व्यंग,आभार.
ReplyDelete