कागजों पर हमारे देश में बहुत ही लुभावनी कार्यवाहियां होती है, मसलन भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इस देश में बेटियों के लिए बड़े-बड़े प्रोत्साहन की घोषणाये करता है, राज्य सरकारें बेटी होने पर पता नहीं क्या-क्या खाते खुलवाकर इनाम बाटती फिरती है, उन्हें मुफ्त शिक्षा और पता नहीं क्या-क्या सुविधाए उपलब्ध कराती है। मगर फिर सवाल वही की हकीकत में क्या सचमुच ऐसा होता है? पासबुके खुल भी रही हों तो क्या गारंटी है कि वह पास बुक किसी गरीब की ही बेटी के नाम है ? क्या मापदंड हमारे पास है यह देखने के लिए कि वह पासबुक किसी नेता या नौकरशाह की बेटी के नाम नहीं है? सुनने और पढने में यह भली ही हास्यास्पद लगता हो लेकिन हकीकत भी इससे बहुत दूर नहीं है।
आज देश बाजारीकरण और ग्लोबलाइजेशन के दौर से गुजर रहा है, जहां सुई से लेकर सेटेलाईट तक की कीमतों का निर्धारण दुनिया के तमाम बाजारी शक्तियां निर्धारित करती है। अन्य देशो के मुकाबले हमारे इस देश में सदियों से सोना एक विवाहित स्त्री का मुख्य आभूषण रहा है और एक गरीब से भी गरीब व्यक्ति को अपनी बेटी के व्याह के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए कम से कम डेड से दो तोला सोना तो चाहिए ही होता है। और आज जिन खुले बाजार की ताकतों के बलबूते पर, वायदा कारोबारियों की मिलीभगत के चलते सोना आसमान चढ़ता जा रहा है उससे तो नहीं लगता कि आने वाले समय में इस देश में पहले ही बेरोजगारी और महंगाई की मार झेल रहा एक गरीब, अपनी बेटी के हाथ पीले कर पायेगा। आज के सोने के भावों पर नजर डाले तो अन्तराष्ट्रीय बाजार में सोना १२०० से कुछ अधिक डालर प्रति औंस( करीब तीन तोला यानि २८.३६ ग्राम) तक पहुँच गया है। इसे अगर भारतीय मुद्रा में देखे तो (१२००*४७/२.८३) करीब १९५००/- के आसपास तक सोना जा सकता है, जोकि अभी १८००० रूपये के ऊपर है। अब आप खुद सोचिये कि अगर एक गरीब व्यक्ति कुछ भी न करे और सिर्फ दो तोले सोने के साथ भी लड़के वालो को अपनी लडकी पकडाए तो ४० से ५० हजार रूपये तो उसे तब भी चाहिए।
मेरा इस देश की सरकार से सवाल और आग्रह है कि आज की इन परिस्थितयों में, जबकि यह सरकार कुछ भी नियंत्रण रख पाने में अपने को इन शक्तियों के आगे असमर्थ पा रही है, यदि वाकई सरकार लड़कियों के विषय में गंभीर है तो लड़कियों के बेहतर भविष्य और प्रोत्साहन के नाम पर कोरे प्रोत्साहनों और अरबो रूपये इधर से उधर करने के बजाये, उन गरीब लोगो को सोना सब्सिडी पर उपलब्ध कराये, जिन्हें अपनी बेटियाँ व्याहनी है। क्या कोई मेरी इस बात को सुनेगा ?
नहीं बंधु यह अधिकार या तो अमीरों के पास है या फिर नेताओं के। गरीब का यहां क्या औकात।
ReplyDeleteइस सरकार का सारा जोर करुनानिधि एंड फ़ैमिली को नियंत्रित करने में लग गया, मंहगाई तो अगले चुनाव के ४-६ महीने पहले थोड़ा कम कर देंगे कुछ दिन के लिये
ReplyDeleteबात तो सही है आपकी!
ReplyDeleteपर "नक्कारखाने में तूती की आवाज" को कौन सुनता है?
कुछ कर पाने लायक इच्छाशक्ति है क्या सरकार में?
बहुत सही कहा आपने.....
ReplyDeleteखैर शादी तो हो जाती है जी पर उस शादी का बोझ उठाते उठाते घर का मुखिया पूरी जिदंगी गुजार देता है। पता नही लोग शादी ब्याह में इतना खर्च क्यूँ करते है? अभी पिछले ही दिनों सुना कि एक शादी में इतना खर्च हुआ सुनकर दंग रह गया मैं तो। और तो और एक छुचक में लगभग 20 लाख रुपये खर्च किए यह भी सुना। पता नही ये लोग कौन है? और ये क्या दिखाना चाहते है?
ReplyDeleteसही कहा आपने ...
ReplyDeleteसरकार की अपनी शैली है , जहाँ
उचित - अनुचित की परवाह नहीँ की जाती |
व्याह का क्या कहें ...
लोग तोले भर सोने में मर्यादा बनाने के ढोंग को
निभाने के लिए बनिए के यहाँ अपनी
मर्यादा लुटा आते हैं .......
हमको भी तो सुधरने की जरूरत है ........
.............. आभार ...............
बहुत दुखद .. सचमुच क्या करें लोग ??
ReplyDeleteसरकार का शादी के खर्चों से कोई लेना देना नहीं है। यदि कुछ करना है तो समाज को खुद ही कुछ करना होगा। विवाह के साथ जब तक संपत्ति जुड़ी रहेगी तब तक वैवाहिक संबंध भी आम नही होंगे।
ReplyDeleteसरकार का शादी के खर्चों से कोई लेना देना नहीं है। यदि कुछ करना है तो समाज को खुद ही कुछ करना होगा। विवाह के साथ जब तक संपत्ति जुड़ी रहेगी तब तक वैवाहिक संबंध भी आम नही होंगे।
ReplyDeleteसरकार का शादी के खर्चों से कोई लेना देना नहीं है। यदि कुछ करना है तो समाज को खुद ही कुछ करना होगा। विवाह के साथ जब तक संपत्ति जुड़ी रहेगी तब तक वैवाहिक संबंध भी आम नही होंगे।
ReplyDeleteबहुत ही भयावह स्थिति है.
ReplyDeleteजब सिर्फ कोरे वादे और दिखावटी इरादे होते हैं तब सिर्फ और सिर्फ एक ही तबके का भला होता है. जिनके पास पैसा है.
या तो लडकी की ब्याह के लिए सोना सस्ती दर पर उपलब्ध कराए या फिर , शादी ब्याह में सोने का आदान प्रदान गैर कानूनी घोषित करके सश्रम कारावास की सजा का प्रावधान करे ।
ReplyDeleteसुझाव आपका अच्छा है, पर कौन सुनेगा?
ReplyDeleteगौदियाल साहब, ये जिम्मेदारी सरकार की ही नही, हम सब की भी तो है।
ReplyDeleteअगर शादियों में ये दिखावा बंद हो जाए तो आधी समस्या वहीं ख़त्म हो जाती है।
फ़िर लालच को भी त्यागना होगा।
काश, इसकी चिंता इस देश के नीर्ति निर्धारकों को भी होती।
ReplyDelete--------
अदभुत है हमारा शरीर।
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा?
Fake accounts generally opens. The person who is realy need, does not get a single penny. Kitne Gareeb logo ke pass dilli ka ID Proof hai. Agar nahi tau benefits nahi milega. Only 50% population have the ID Proof of Delhi.
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