Wednesday, December 16, 2009

लो फ्लोर राजनीति की तकनीकी खामियां !

यों तो अपर फ्लोर में भी सफ़र करते वक्त हमें कभी बैठने के लिए एक अदद सीट नहीं मिली, मगर इस "लो फ्लोर" राजनीति में तो मुसाफिर त्रिशंकु बनकर रह गया, न ठीक से बैठ पाता है और न ही खडा रह पाता है! वो भी क्या दिन थे, जब अपर फ्लोर में भले ही बैठने के लिए सीट न मिलती हो, मगर पिछले हिस्से में खड़े होकर, अन्य मुसाफिरों संग बतियाते हुए ऑफिस से घर और घर से ऑफिस का डेड-दो घंटे का सफ़र यूँ ही कट जाता था! खैर, आज जब हर चीज गिर रही है(महंगाई के अलावा) तो ये भी अपर फ्लोर से गिरकर लोअर फ्लोर पर आ गई ! हाँ नहीं बदला तो सिर्फ इसकी मार झेलने वाला, वह वही है !

अगर ईमानदारी और कुशलता से अपर फ्लोर वाली का संचालन ठीक से किया जाता तो सफ़र के लिए बहुत ही सुन्दर और आरामदायक व्यवस्था उसी में हो सकती थी, मगर इस देश को तो राजनीति की भ्रष्टता मार गई! एक वाकया याद आ रहा है, किसी काम से फरीदाबाद से लौट रहा था, बदरपुर के पास एक आरटीवी ड्राइवर ने गलत दिशा से गाडी को घुमाते हुए मेरी गाडी का बम्पर तोड़ डाला! ४६ डिग्री के तापमान में गुस्से में तमतमाते हुए मैंने उस आरटीवी के ड्राइवर के एक लगा दी ! पास खड़ा ट्रैफिक पुलिस का जवान भी अबतक हमारे करीब आ चुका था! मैंने उससे जब उस गाडी का चालान काटने को कहा तो उस जवान का जबाब सुनिए " आपने इसको(आर टी वी के ड्राइवर) एक लगा दी वहाँ तक ठीक है, रही बात चालान की तो आप नहीं जानते की ये गाडी किसकी है ? ये विधूड़ी की है, उसने आगे कहा! "

तो यह है हमारे इस देश की राजनीति ! जनता के खून पसीने की गाडी कमाई के टैक्स का सदुपयोग करते हुए इन्होने जब ये लो फ्लोर की राजनीति खरीदने का निर्णय लिया होगा, तब खूब फूल-प्रसाद भी निर्माता ने इनके चरणों में अर्पित किया होगा, अब हाल ये है की हर रोज कोई न कोई लो फ्लोर आग पकड़ लेती है क्योंकि उस चढ़ावे को वापस वसूलने के लिए निर्माता ने घटिया सामग्री इस्तेमाल की होगी ! तकनीकी खामियों में जहां तक मुझे लगता है इसका ऑटोमैटिक गेअर सिस्टम एक कारण हो सकता है ! क्योंकि सडको पर जिस तरह इन लो फ्लोर का संचालन ड्राइवर लोग करते है, और जाम वाली स्थिति में उसमे जल्दी-जल्दी ऑटोमैटिक गेअर का इस्तेमाल होने की वजह से और साथ में ब्रेक पर दबाब होने की वजह से इसका पिछला टायर अधिक गर्म हो जाता है, और आग पकड़ लेता है ! मेरे ख्याल से इस पर ऑटोमैटिक गेअर सिस्टम न रखके मैनुअल गेअर सिस्टम होना चाहिये !

12 comments:

  1. बहुत ही सही कहा आपने, अपनी कलम को यूं ही मजबूती दिलाते रहिये, शुभकामनायें ।

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  2. भैया मुझे तो ये गाडी वाडी चलाने का तजुर्बा नही है ।

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  3. उम्मीद है टाटा सुन रहे होंगे।
    वैसे ये टीदिंग प्रोब्लम्स हैं और जल्दी ही इनको काबू कर लिया जायेगा।

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  4. तकनीकी खामियाँ दूर हो जाए आसान नही है..सबसे अच्छा तो यही हॉंगा की ड्राइवर ही बदल जाए..शायद कुछ सुधार हो जाए इस लो फ्लोर की राजनीति में..

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  5. समाधान जरूरी है।
    वाहन निर्माता को इन खामियों को दूर करना चाहिए!

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  6. bahut badhiya janaab !

    mubaaraq ho !

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  8. गोदियाल जी,
    आप नाहक चिंता कर रहे हैं...तरक्की हुई है न...लोकसभा के 97% सांसदों की संपत्ति दस लाख या ज़्यादा है...बेचारे बचे तीन फीसदी सांसद...

    जय हिंद...

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  9. कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना ........ बहुत करारा व्यंग मारते हैं आओ गौदियाल जी .........

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  10. बहुत सही बात है धन्यवाद्

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।