...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा मजेदार, अब तो आप कार्टुनिस्ट बन ही गये, बधाई हो।
ReplyDeleteस्केनर की सुविधा हो तो कागज पर बनाएं, या फिर माउस से लिखने के स्थान पर टाइप करें.
ReplyDeleteबाकी तो हा हा हा हा
Great Bhai. Ab CBI, Judiciary ka NARCO karana hoga tabhi desh ka bhala haga. Chhote se Cartoon ne badi baat kah di.
ReplyDeleteफिर एक टेस्ट फारेंसिक एक्सपर्ट का भी करवा डालना..
ReplyDeleteमैं तो बैंक गया था खाते की एमआरआई कराने। कुछ भी न निकला।
ReplyDeleteसही है... सच में भी हंसी नकलती है.
ReplyDeleteरोने की नयी विधा है
हा हा हा हा हा हा
हा हा हा हा
ReplyDeleteहा.. हा... हा... सच में लाजवाब कार्टून है ....... दे धना धन .....
ReplyDeleteआप तो ब्लाग जगत के सभी कार्टूनिस्ट को पीछे छोड गये? लाजवाब्
ReplyDeleteहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
ReplyDeleteआभार
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मुम्बई ब्लोगर मीट दिनाक ०६/१२/२००९ साय ३:३० से
नेशनल पार्क बोरीवली मुम्बई के त्रिमुर्तीदिगम्बर जैन टेम्पल
मे होनॆ की सुचना विवेकजी रस्तोगी से प्राप्त हुई...
शुभकामानाऎ
वैसे मै यानी मुम्बई टाईगर इसी नैशनल पार्क मे विचरण करते है.
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जीवन विज्ञान विद्यार्थीयों में व्यवहारिक एवं अभिवृति परिवर्तन सूनिशचित करता है
ताउ के बारे मे अपने विचार कुछ इस तरह
ब्लाग चर्चा मुन्नाभाई सर्किट की..
:)
ReplyDeleteअब तो आप नामी कार्टूनिस्टों की सूची में शामिल हो ही जाएंगें :)
बहुत ही उम्दा!
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ReplyDelete.
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बेहतरीन!
वैसे इस मामले ने हम सब को बाकी दुनिया के लिये उपहास का पात्र बना दिया है। दो बेकसूर मर गये और मारने वाले को पकड़ना तो दूर, यह तक पता नहीं लग पाया कि मारा किसने ? यह सब हुआ नारको टेस्ट और साइकोएनालिसिस को जरूरत से ज्यादा महत्व देने और कॉमन सेन्स को दरकिनार करने से ही। फिर मीडिया के दखल ने मामले को ही उलट पुलट कर रख दिया... अब तो यह भी समझ नहीं आता कि मुलजिम कौन है और मजलूम कौन?
आपने कार्टून में CBI पर व्यंग्य तो किया है पर मेरा मन आज भी कहता है कि कभी न कभी यह केस एक ऐसे अधिकारी को मिलेगा जो COMMON SENSE का इस्तेमाल कर अगर CLUTTER FREE दिमाग से सोचेगा, इसे अपने और अपने पेशे के लिये एक चुनौती की तरह लेगा तो कातिलों को सजा जरूर मिलेगी।
kis kis ka narco karwaiega sir... aur narco test karne wale unko record karne wale case file karne wale aur faisla sunane walon ka kya karein...
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