रोज की भांति सुबह तड़के जागा और बाहर बरामदे में खडा हाथ पैर हिला-डुला रहा था कि सामने पार्क के कोने पर एक इंसानी आकृति सी दिखी! गौर से देखा तो वह अपने मोहल्ले में झाडू-पोचा करने वाली अहिल्या थी ! पार्क के कोनो में पड़े कागजो को समेट रही थी! जिस रास्ते पर सुबह अपने पालतू कुत्ते को लेकर टहलने के लिए जाता हूँ, वहीं एकदम सड़क के किनारे ही अहिल्या बाई झुग्गी डाल रहती है ! मैं जब पास से गुजरा तो वह कुछ कागज़ चूल्हे में डाल आग जलाने की कोशिश कर रही थी! मुझे देख नमस्कार बाबू जी बोली ! मैंने भी नमस्कार कहा और पूछा, ज्यादा ठण्ड हो गई है, आज सुबह-सुबह कागज समेट कर ले जा रही थी ! वह बोली , बाबूजी क्या करे, चुल्हा जलाने के लिए लकडिया ही नहीं है, और महंगाई इतनी हो गई ! फिर वह देश की एक ख़ास नेता को भद्दी गाली देने लगी ! मैंने कहा,क्या करे, इन्हें जिताते भी तो तुम्ही लोग हो ! वह बोली, नहीं बाबूजी हम तो इन्हें कभी वोट देते ही नही , क्योंकि ये जब भी आते है महंगाई बढ़ती है !
मैं आगे बढ़ा और सोचने लगा कि जब इस देश का निम्न वर्ग कहता है कि ये तो इन्हें कभी वोट देते ही नहीं, मध्यम वर्ग कहता है कि हम लोग तो पढ़े लिखे है इसलिए ऐरे-गैरे को हम वोट डालते ही नहीं! और उच्च वर्ग तो शायद ही वोट डालने निकलता हो, तो फिर वह हरामी है कौन? जो इन चोर उचक्कों को जिता कर पिछले ५०-६० सालो से इस देश का बेड़ा गरक करने पर तुला है? हिंद वासियों, उसे पहचानो और मारो उस काली भेड़ को ! अरे मोटी बुद्धि वालो, ये डंडा पकड़ कर कहा जा रहे हो ? मारने से मेरा आशय डंडे से मारना नहीं, उसको उसी शैली में मारो जिस शैली में वह अपनी गंदी तरकीबे अपनाकर पिछले बासठ साल से इस देश के हर गरीब को तिल-तिल मरने पर मजबूर कर रहे है! जागो हिंद वासियों, जागो !!
मैं आगे बढ़ा और सोचने लगा कि जब इस देश का निम्न वर्ग कहता है कि ये तो इन्हें कभी वोट देते ही नहीं, मध्यम वर्ग कहता है कि हम लोग तो पढ़े लिखे है इसलिए ऐरे-गैरे को हम वोट डालते ही नहीं! और उच्च वर्ग तो शायद ही वोट डालने निकलता हो, तो फिर वह हरामी है कौन? जो इन चोर उचक्कों को जिता कर पिछले ५०-६० सालो से इस देश का बेड़ा गरक करने पर तुला है? हिंद वासियों, उसे पहचानो और मारो उस काली भेड़ को ! अरे मोटी बुद्धि वालो, ये डंडा पकड़ कर कहा जा रहे हो ? मारने से मेरा आशय डंडे से मारना नहीं, उसको उसी शैली में मारो जिस शैली में वह अपनी गंदी तरकीबे अपनाकर पिछले बासठ साल से इस देश के हर गरीब को तिल-तिल मरने पर मजबूर कर रहे है! जागो हिंद वासियों, जागो !!
बासठ साल की आजादी के बाद, आज यह लोकतंत्र शर्मिन्दा है !
जागो हिन्दवासियों ! मानवता का खूनी दुश्मन अभी ज़िंदा है !!
जागो हिन्दवासियों ! मानवता का खूनी दुश्मन अभी ज़िंदा है !!
खबर दैनिक हिंदुस्तान के सौजन्य से !
हालात तो शर्मसार करने लायक है ही गोदियाल साहब। आपकी चिन्ता भी जायज है।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बिल्कुल सही कहा आपने , आपकी चिन्ता जायज है । और जो एक बात समझ नहीं आती गोदियाल जी कि जब आंतकी हमले देश पर होते है तो नेता जल्दि नहीं मरता , जरा इसके पिछे का कारण बताने की कृपा करियेगा कि ऐसा होता क्यों है ।
ReplyDeleteजब बुरे उम्मीदवारों में कम बुरे को वोट देने का आप्शन हो तो यही होगा , इन्हें चुनाव लड़ने से रोकने का उपाय करना होगा
ReplyDeleteअभी अभी कूडे बीननेवाली मात्र पांच से सात वर्ष की दो बच्चियों को कुत्तों के द्वारा दौडाए जाने पर भयानक चीत्कार करते हुए भागते देखा .. इसके कारण परेशान दिमागी हालत को ठीक करने कंप्यूटर पर बैठी तो आपने महंगाई से त्रस्त इस अहिल्या बाई की कहानी सुना दी .. यही सब हो रहा है भारतवर्ष में .. सरकार और वैज्ञानिकों का पक्ष लेनेवालों को विकास दिख रहा है !!
ReplyDeleteमिथिलेश जी पिछले आम चुनाव के बाद मैंने इस विषय पर एक लेख लिखा था , " कुछ बाते जो अनोखी लगी इस चुनाव में " आप मेरे इस लेख को इस लिंक पर पढ़ सकते है ;
ReplyDeletehttp://godiyalji.blogspot.com/2009/05/blog-post_13.html
पहले तो यह बताओ सस्ता जहर मिल कहाँ गया जो रोटी की जगह आदमी ने खा लिया? भूखों मरने की नौबत आ गई है.
ReplyDeleteपता नहीं मशीन कहाँ से वोट उगलती है? :(
धिक्कार है हमें व हमारे चुनाव को!
ReplyDeleteघुघूती बासूती
जायज़ है आकी चिंता और आपका आक्रोश .......... कम से कम ऐसा क़ानून तो होना ही चाहिए की कोई भी नेता २ बार से ज़्यादा चुनाव नही लड़ सकता ...... कम से कम कुछ फ्रेश ब्लड तो आए राजनीति में .........
ReplyDeleteधिक्कार है हमें व हमारे चुनाव को!
ReplyDeleteकाश, यह बात इस देश के ठेकेदारों तक भी पहुंचती।
ReplyDelete------------------
ये तो बहुत ही आसान पहेली है?
धरती का हर बाशिंदा महफ़ूज़ रहे, खुशहाल रहे।
bahut zabardast baat kahi hai jaago voter jaago!! sabhi kahte hain inko hamne vote nahi diyaa kyaa pakistaan se mangaaye hain????
ReplyDeletegodiyal ji
ReplyDeleteisi baat ka to rona hai.........har insaan aahat hai ........badlaav to aaj bhi aa sakta hai magar bhagat singh roj paida nhi hote.........kya fark hai halaton mein ..........kya isiliye aazadi payi thi ? aaj to garib aur garib ho gaya hai .....delhi jaise shahar mein zara puchiye to sahi wo 2 waqt ki roti ka jugaad kaise karta hai jabki achche achche insaanon ka in halaton mein jeena doobhar ho raha hai.
आपका कहना सही है. हालात अफ़्सोसजनक हैं.
ReplyDeleteरामराम.
बासठ साल की आजादी के बाद,
ReplyDeleteआज यह लोकतंत्र शर्मिन्दा है !
जागो हिन्दवासियों ! मानवता का खूनी
दुश्मन अभी ज़िंदा है !!
गोदियाल जी!
इसकी नाभि में अमृत कुण्ड है!
इन्तजार कर रहे हैं कि
किसी राम का अवतार हो!
चिन्ताजनक स्थिति। आपसे सहमत हूं।
ReplyDeleteGeneral and Poor story of Indians. Jitna ander jayegen utna hi shrmsar karne wali gareebi milegi. Government na hamare liye hai...na aapke liye. Hum sub bhagwan barose chal rahe hai....
ReplyDelete