ये दिल निसार करके जाना
कि राहे जफा होते है लोग,
सच में, हमें मालूम न था
कि यूं भी बावफा होते है लोग !
सोचते थे कि नेमत है
खुदा की ये जज्बा,
इल्म न था कि
वफ़ा की कस्मे खाने वाले,
इस कदर बेवफा होते है लोग !
दिल और आँख का
ऐसा आपसी
देखा जो समन्वय 'परचेत',
नजर देखे, दिल शकूं पाए,
मनीषी ऐसे ही नफ़ा होते है लोग !
वफा, खफा, जफा, दफा को बहुत ही करीने से सजाया है!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना है!
आग लगा जाते है घरों में, दनल से नफरत करने वालों के,
ReplyDeleteबेवक्त नीर बहाने वाले, उस वक्त ही क्यों दफा होते है लोग !
इंसान के दोगले चरित्र को उजागर करती बात, बहुत बढ़िया रचना है
निसार राहे वफ़ा करके जाना कि राहे जफा होते है लोग,
ReplyDeleteसच में, हमें मालूम न था कि यूं भी खफा होते है लोग !
nice
एक किरदारे-बेकसी है मां
ReplyDeleteज़िन्दगी भर मगर हंसी है मां
दिल है ख़ुश्बू है रौशनी है मां
अपने बच्चों की ज़िन्दगी है मां
ख़ाक जन्नत है इसके क़दमों की
सोच फिर कितनी क़ीमती है मां
http://blogvani.com/blogs/blog/15882
बहुत गहराई लिए अल्फाज हैं | बहुत खूब |
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक प्रस्तुती / दोगले ही दोगले हैं आज तो ,लेकिन सत्य ,न्याय और ईमानदारी पे चलने वाले को भी आज दोगला बोला जाने लगा है ,क्योकि वह अपना पराया देखे वगैर किसी की भी गलती को उसे बताता है ऐसे में उसके अपने उसे दोगला कहते हैं / निश्चय ही यह शर्मनाक है / हमारे ख्याल से इंसानियत की राह में किसी का साथ छोड़ देना ही सबसे बड़ी बेवफाई और दोगलापन है /
ReplyDeleteबहुत खूब ,बहुत बढ़िया रचना है|
ReplyDeleteअति सुन्दर रचान
ReplyDeleteहमें मालूम न था कि यूं भी खफा होते है लोग !
ReplyDeleteखफा किस बात पर हो जायेंगे लोग क्या पता !!
सुन्दर रचना
बहुत सुन्दर रचना है ...
ReplyDeleteइंसान के चरित्र पर सही कटाक्ष !
बहुत खुबसुरत लगी आप की यह रचना. धन्यवाद
ReplyDeleteवाह वाह!! बहुत खूब!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर... वफा-जफा का संयोग..
ReplyDeletewaah
ReplyDeleteदिल और आँख के रिश्तों की, अजब दास्तां हमने भी देखी,
नजर देखे, दिल शकूं पाए,समझदार यूं भी नफ़ा होते है लोग !
bahut khoob
वाह !.......खूब लिखा है ....
ReplyDeleteExcellent !
ReplyDeleteआजकल तो आपकी नज्में.... कहर ढहा रही हैं..... बहुत ही गहराई लिए हुए सुंदर रचना....
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब रचना.
ReplyDeleteरामराम.
नजर देखे, दिल शकूं
ReplyDeletewah...................wah.........
निसार राहे वफ़ा करके जाना कि राहे जफा होते है लोग,
ReplyDeleteसच में, हमें मालूम न था कि यूं भी खफा होते है लोग
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल...
बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteachhi ghazal hai godiyal saab ...
ReplyDeletewaise log .. "wafa" nahi hote..ta to .. "baawafa" hote hain ya "wafadar" hote hain ...qafiye ke lihaaz se baawafa hona chahiye...
ग़ज़ल के माध्यम से आपने जो कुछ भी उजागर किया है, इसके लिए बहुत शुक्रिया !!
ReplyDelete@ स्वप्निल कुमार 'आतिश'जी, आपका शुक्रिया , आपने बहुत उत्तम बात कही ! और आपके सुझाव के हिसाब से उसे सुधार दिया है!
ReplyDeleteनिसार राहे वफ़ा करके जाना कि राहे जफा होते है लोग,
ReplyDeleteसच में, हमें मालूम न था कि यूं भी खफा होते है लोग !
...vah...vah...vah.
प्यार के खातिर सबकुछ न्योछावर करने का दम भरने वाले,
ReplyDeleteखुद का भरोसा बेच दे सरे राह,यूं भी बावफा होते है लोग!
Vaah .. kya kamaal ki baat .. bahut imaandaari se likha hai ... lajawaab ..
ji bahut badhiya......
ReplyDeleteआग लगा जाते है घरों में, दनल से नफरत करने वालों के,
बेवक्त नीर बहाने वाले, उस वक्त ही क्यों दफा होते है लोग !
kunwar ji,
gr8!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी रचना गोदियाल साहब।
ReplyDeleteवाह गोदियाल जी । बहुत सुन्दर रचना लिखी है आज। बधाई।
ReplyDelete....अच्छी रचना गोदियाल साहब।
ReplyDeleteMaaf kijiyga kai dino busy hone ke kaaran blog par nahi aa skaa
ReplyDeleteप्रभावशाली सुन्दर रचना..
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