आज यह बड़े दुःख की बात है कि हमारे देश के भीतर ही मौजूद गद्दारों ने छत्तीसगढ़ में सी आर पी एफ के ७० से ज्यादा हमारे जवानो को मौत के घाट उतार दिया ! पता नहीं कब तक ये रोजी-रोटी के भूखे हमारे पढ़े-लिखे नौजवान इसतरह सत्ता पर काविज और परदे के पीछे छिपे बैठे चोर-चोर मौसेरे भाइयों द्वारा खेले जा रहे गंदे खेल में बेमौत मरते रहेंगे! जितने जवानो को इन कायर बुद्धिविहीन लोगो ने सियासत के गंदे खेल में अपने पिछड़ेपन और सरकार द्वारा उपेक्षा की आड़ में पिछले चंद सालों में मार डाला, उतने जवान तो कारगिल युद्ध में भी नहीं मरे थे! पता नहीं कुछ नपुन्शकों को कब शर्म आयेगी ! भगवन उन बेसहाय गरीब जवानो के परिवारों को इस कष्ट को झेलने की शक्ति दे !
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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god bless him
ReplyDeleteभगवान सैनिकों की आत्मा को शांति प्रदान कर व उनके परिवारों को यह अपूर्णीय क्षति सहने की ताकत प्रदान करे ।भगवान से हमारी सही प्रार्थना है कि देश को यथाशीघ्र इन हिजड़े गद्दार नेताओं से मुक्त करवाये।
ReplyDeleteबहुत दर्दनाक और बेहयाई की दुर्घटना है।
ReplyDeleteसरकार को सख्ताई से निपटना चाहिए ।
शहीदों के परिवारों के लिए दिल रोता है।
बहुत ही कायराना कृत्य,
ReplyDeleteअफ़सोस जनक,
शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि
"इस घटना की समीक्षा के लिए प्रतिक्रियावादियों के प्रचार तंत्र को समझना होगा। वास्तव में ये हत्याएँ नहीं क्रांति की ओर बढ़ते कदमों की उपलब्धियाँ हैं जिन्हें पूँजीवादी तंत्र हत्या का नाम दे लोकतांत्रिक आन्दोलन को बदनाम और बरगलाने की कोशिश कर रहा है।
ReplyDeleteइस घटना के साम्प्रदायिक पक्ष भी है। . . ."
कुछ इस तरह खास प्रकार के प्रगतिशील लोग बाते कर रहे होंगे। बाहर निकलेंगे तो उनकी खामोशी आप को बहरा बनाने के लिए पर्याप्त होगी। समूचा तंत्र ही बहुत बड़ी उलटबाँसी हो गया है जहाँ 'अनदेखई' सारी हदें पार कर चुकी है।
अनाथ हुए बच्चों और उनकी माताएँ/परिजन दु:ख को झेल ज़िन्दगी में आगे चल सकें, बस यही चाहना है।
यह खेल बेहद खतरनाक है और सरकारी आतंकवाद के नाम पर अनपढ़ ग्राम वासियों को जिस तरह हथियार उठाने के लिए सिखाया जाता है उसपर पूरे देश को गहन चिंता होनी आवश्यक है ! बदला लेने की भावना निर्दोषों का खून बहते भी समय कुछ नहीं सोचती ! मानवता के खिलाफ इसकी भर्त्सना होनी ही चाहिए !
ReplyDeleteअच्छा और सामयिक लेख
अभी जांच कमीशन बेठेगा, फ़िर गोल मेज पर बात होगी, फ़िर सरकार सोचेगी कि इन मरने वालो को शहीद कहे या ना कहे.....
ReplyDeleteबहुत दुख होता है जब ऎसे ही देश के नोजवान शहीद होते है.... क्य इन शहीदो मै कोई इन नेताओ का बेटा भी था.???
सभी जाँबाज शहीदों को श्रद्धांजलि!
ReplyDeleteहम बस श्रद्धांजलि के सिवाय और क्या दे सकते हैं? परसो ही चिदम्बरम का बयान आया था कि हम दो-तीन साल में नक्सलवाद को समाप्त कर देंगे और कल उन्होंने अपनी ताकत बता दी। क्या चिदम्बरम नहीं जानते कि इनके पोषक कौन है? सप्लाई लाइन तो जारी रखेंगे क्योंकि वहाँ तो धार्मिक मामला आ जाता है, वोट आ जाते हैं। बस मरने दो सैनिकों को।
ReplyDeleteकुछ भी तो कहते नहीं बन रहा है सर जी,
ReplyDeleteआक थू है उन हत्यारों पर.....
चिदंबरम आज आ रहे हैं छत्तीसगढ।दो आंसू वो भी बहायेंगे।अफ़सोस तो इस बात का है कि इन लोगों को जरा भी शर्म नही आती निंदा करते हुये?क्या सिर्फ़ निंदा ही करते रहेंगे?कारवाई करेंगे भी या नही?
ReplyDeleteye sab bimaar hain aur hamare napunsak rajneta inke sahas ko aur badha rahe h
ReplyDeleteबहुत शर्मनक और कायराना कृत्य. आखिर कब तक यह सब चलेगा?
ReplyDeleteशहीदों को नमन.
रामराम.
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ReplyDelete.
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सी आर पी एफ के उन शहीद जवानों को नमन और श्रद्धांजलि !
मैं ज्यादा चिंतित इस बात से हूँ कि किस तरह सशस्त्र जवानों की एक पूरी कंपनी जो आपरेशन मोड में थी व रोड ओपनिंग करने के बाद वापस आ रही थी... इस तरह एंबुश कर दी गई... और जवाब में कुछ विशेष नुकसान नहीं कर पाये वो दुश्मन का... सी आर पी एफ की ट्रेनिंग, 'बैटल प्रिपेयर्डनेस' व 'एवलेबल ग्राउंड लेवल इंटैलिजेन्स' के बारे में बहुत बड़े सवाल उठाती है यह घटना... सुविधाभोगी IPS कैडर के बूते नहीं छोड़ा जा सकता है यह 'बल'... मनोबल बढ़ाने के लिये जल्द ही कुछ जोशीले, Directly commissioned आफिसर भेजने की जरूरत पड़ेगी शायद जल्द ही... वह जो जवान के साथ-साथ लड़-मर सकें।