सत्ता पर काविज नेतावों की तो खैर जुबां की कोई कीमत नहीं रही , मगर अभी कुछ समय पहले देश के थल-सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह ने कहा था कि "The Naxalite problem is a law and order problem, which is a state subject not army problem " आज वायु सेनाध्यक्ष पीवी नाईक ने कहा " "Therefore, I am not in favour of use of Air Force in situations like the Naxal problem,"
देश के अर्धसैनिक बलों को न तो पूर्ण प्रशिक्षित इस नक्सल- माओ कायरता से निपटने के लिए किया गया है और न उन्हें आधुनिक हथियार मुहैया कराये गए है, कल की घटना इसका जीता जागता उदाहरण है, जिसमे देश ने अपने बेशकीमती ( नेताओं और माओआंकाओ के लिए तो कीड़े मकोड़े है ये लोग ) ८० के आसपास जवानो को बेवजह मौत के मुह में धकेल दिया !
तो अब मैं कुछ सवाल इस देश के अपने बुद्धिजीवी वर्ग से पूछना चाहूँगा;
१. एक समय में एक अकेले डाकू मान सिंह को मारने के लिए सेना ( गोरखा रेजिमेंट के जवान बाबर सिंह थापा के नेतृत्व में ) पी.ए. सी के रूप में झोंक दिए गए !
२. पंजाब में जनरैल सिंह भिंडरवाला के लिए पूरी सेना की बटालियन ही झोंक दी गई !
३. अगर हमारे निहायत बेशर्म पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान सीधे युद्ध के बजाये, हमारे साथ छद्म युद्ध लड़ते है! देश में मौजूद गद्दारों को हथियार और प्रशिक्षण मुहैया कराते है, क्या बाहरी ख़तरा और आंतरिक खतरे में ज्यादा अंतर रह जाता है ?
४. अन्तराष्ट्रीय मुद्दे ; चीन ने थाईमेंन स्क्वायर में सेना का प्रयोग कर सेकड़ो छात्र मौत के घाट उतार दिए ! पाकिस्तान ने लाल मस्जिद में सेना का इस्तेमाल कर सेकड़ो को मौत के घाट उतार दिया !
५. श्रीलंका ने एल टी.टी. का सफाया कैंसे किया आप सब जानते है !
तो क्या हमारी सेनाओं का यह दर्शन ठीक है या ये भी इन नेताओं की गिरफ्त में है ? क्या देश इन नक्सलियों से खतरे में नहीं ?यदि है तो हम इंतज़ार किस बात का कर रहे है ?
मेरे एक मित्र संतोष जी के शब्दों में ;"Who in their right mind will believe that these are merely internal threats and not larger designs
of our unfriendly countries. Just by disguising, an external threat doesn't become an internal threat.
Only an Indian politician and a fool can be hood winked into believing that.
( It was Roosvelt or somebody else, who asked his audience that if you count a dog's tail as a leg then how many legs a dog have ? Many in audience said the dog would have five legs. Roosvelt said , you are wrong , the dog still have four legs , just because of your saying tail is a leg , the tail doesn't become a leg.)
While we be waiting for the enemy on the order to open fire, as it turns out the enemy is already inside
killing people".
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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नक्सलवाद बहुत बड़ी समस्या है समाधान जरूरी
ReplyDeleteये बड़े दुःख की बात है की नेताओं की सुरक्षा के लिए जेड श्रेणी की सुरक्षा है पर देश के लिए कुच्छ नहीं!आखिर सेना का प्रयोग क्यूँ नहीं किया जाता?जब दवाइयों से बात नहीं बनती तो आपरेशन जरूरी हो जाता है...
ReplyDeleteवांमपंथी और मुसलिम आतंकवाद का अंत करने के लिए हमें अपने पास मौजूद हर साधन का उपयोग करना चाहिए।
ReplyDeleteनक्सलवाद बहुत बड़ी समस्या है
ReplyDeleteसही कहा..
ReplyDeleteयह एक नासूर सी बन गई है समस्या.
आप द्वारा उठाये गए सवाल विचारणीय हैं। कुछ तो करना ही पड़ेगा । वर्ना हमारे ज़वान यूँ ही मरते रहेंगे ।
ReplyDelete"३. अगर हमारे निहायत बेशर्म पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान सीधे युद्ध के बजाये, हमारे साथ छद्म युद्ध लड़ते है! देश में मौजूद गद्दारों को हथियार और प्रशिक्षण मुहैया कराते है, क्या बाहरी ख़तरा और आंतरिक खतरे में ज्यादा अंतर रह जाता है ?
ReplyDelete४. अन्तराष्ट्रीय मुद्दे ; चीन ने थाईमेंन स्क्वायर में सेना का प्रयोग कर सेकड़ो छात्र मौत के घाट उतार दिए ! पाकिस्तान ने लाल मस्जिद में सेना का इस्तेमाल कर सेकड़ो को मौत के घाट उतार दिया !
५. श्रीलंका ने एल टी.टी. का सफाया कैंसे किया आप सब जानते है !
तो क्या हमारी सेनाओं का यह दर्शन ठीक है या ये भी इन नेताओं की गिरफ्त में है ? क्या देश इन नक्सलियों से खतरे में नहीं ?यदि है तो हम इंतज़ार किस बात का कर रहे है ?"
बिलकुल जायज़ से सवाल है जी!
कुंवर जी,
अरे सरकार तो सरकार होती है भई!चाहे तो क्या नहीं कर सकती!1984 कोई ज्यादा पुरानी बात है क्या?अभी हाल ही में गुडगाँव में होंडा के कर्मचारियों वाली घटना तो एक दम ताज़ी है!वो अलग बात है की वो करना चाहती है या नहीं!और क्यों?इसका जवाब तो खुद सरकार भी ढूंढती रहती है!
कुंवर जी,
इस देश से भ्रष्ट अफसर और नेता सूली पर चढ़ा दिये जायें, हर समस्या स्वत: खत्म हो जायेगी..
ReplyDeleteनक्सलवाद से अभी तक निपट नहीं पायें और मंच से चिल्लाते हैं सपनो के भारत की.
ReplyDeleteआपने सही दिशा में लिखा है ... आजकल मीडीया एक्स सैनिकों के चर्चा कर के क्या करना चाहता है ... इस विषय पर भी बहस होनी ज़रूरी है ...
ReplyDeleteनक्सलवाद से अभी तक निपट नहीं पायें
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