Saturday, April 24, 2010

आई पी एल ही क्या यहाँ तो सभी कुछ फिक्स है !

आजादी के बाद से ही हमारा यह देश विवादों और जांच में ही संतृप्त रहा ! अपनी सहूलियत और फायदे के हिसाब से हमने सब कुछ पहले से फिक्स करके रख छोड़ा ! अपना उल्लू सीधा करने के लिए कब किस विवाद को उठाना है, कब किस तरह जनता की आँखों में धूल झोंकनी है और मूर्खों को मूर्ख बनाना है, कब किस तल्वाचाट खबरिया माध्यम के मार्फ़त क्या खबर/ सन्देश लोगो तक पहुंचाना है, सब फिक्स है! यह भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए, यदि कल को हमको/ आपको यह सुनने को मिले कि २८ दिसंबर १८८५ को गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज, बोम्बे में ही यह भी फिक्स हो गया था कि इस देश को आजादी कब दी जायेगी !

आज देश की अनेको ज्वलंत समस्याओं को दरकिनार कर हरजगह आई पी एल ही छाया हुआ है! आपको याद होगा कि अभी कुछ महीनो पहले, वक्त की महता और कुछ लोगो की सहूलियत के हिसाब से कोड़ा प्रकरण भी इसी तरह छा गया था, उसके बाद उसका क्या हुआ कोई नहीं जानता, और न कोई पूछने की जुर्रत करना चाहता है! आज भी हरतरफ से प्रधानमंत्री, सुपर प्रधानमंत्री और वे सभी लोग, चाहे वे इसमें हिस्सेदार है अथवा नहीं, इस विवाद में सम्मिलित हो रहे है, जिन्हें अपनी रोटियाँ सेकनी है ! तसल्ली के लिए अब लोगो को बताया जा रहा है कि कैसे मूर्खों को मूर्ख बनाने और अंधी कमाई के लिए आई पी एल के खेल पहले से फिक्स किये गए थे , मानो इस बात का कलतक इन्हें बिलकुल भी पता न रहा हो कि यहाँ क्या खिचडी पक रही है?

बोलीवुड और क्रिकेट, पैसे के मामले में खासकर ये दो ऐसे क्षेत्र है जहां ये तो क्या एक आम हिन्दुस्तानी भी जानता है कि मैच फिक्सिंग, काला धन, प्रॉक्सी मालिक, समाज विरोधी तत्व ,यहाँ तक कि राष्ट्र विरोधी तत्व भी इस क्षेत्र में हमेशा से शामिल रहे है ! सभी कुछ फिक्स रहता है यहाँ, यह भी कि कौन क्या खिचडी पकाएगा और यह भी कि बर्तन में उबाल कब तक लाना है ! एक तीर- दो शिकार ; एक शिकार वह जो कुछ समय पहले से अपनी उल-जुलूल हरकतों से पार्टी के लिए मुसीबतें खडी कर रहा था, अत: उसे चुप कराने का इससे बेहतर और क्या नुख्सा हो सकता था! और दूसरा शिकार वह जो अपने दल को इनकी पार्टी के साथ पूर्ण समर्पित न करके इनके विरोधियों से हाथ मिलाकर कुछ समय से इनके लिए एक राज्य में चुनौती खडी कर रहा था! अब जांच में फँस जाएगा, इसलिए अपनी भंवे नहीं तान पायेगा, कुछ वक्त के लिए ! ऐसा नहीं कि इन्हें मालूम न हो कि कौन कितना दूध का धुला है और कौन कितने पानी मैं है ?

हमारे भ्रष्ट नेता लोग विवादों की इस सोने की खान में हमेशा ही डुबकी लगाने के लिए तत्पर रहते है, ताकि वो असली जांच, जो वास्तव में की जानी चाहिए, को रोका जा सके !

15 comments:

  1. चलो लोगो को पता तो चलेगा कि जिन टीमों को वे शाहरूख, शिल्पा वगेरे की मान रहे थे, वास्तव में उसके पीछे राजनेता, व्यवसायी, माफिया न जाने कौन कौन है.

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  2. जनता को बेवकूफ बनाने की एक और साजिश....

    वैसे बने बनाए को और क्या बेवकूफ बनाया जाये? खुद को बचने के तरीके हैं ये सब राजनीति में ...बढ़िया पोस्ट

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  3. आप सही कह रहे हैं कि सभी कुछ फिक्‍स है। इस खेल में इतने अरबों का व्‍यापार हो गया तो मीडिया वालों को लगा कि हमें भी बहती गंगा में हाथ धोना चाहिए तो लगे हैं उछालने। जब उन्‍हें हिस्‍सा मिल जाएगा तो शान्ति पड़ जाएगी। हमाम में सारे ही एक से हो तो क्‍या किया जा सकता है?

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  4. सादर वन्दे !
    सारा खेल दलाली का है | यक़ीनन किसी (मीडिया या नेता वगैरह..... ) की दलाली में लोचा हुआ होगा सो उसने फोड़ दी सबकी.......
    और सभी फिक्श हुयी बात को ताड़पिन का तेल डालकर जो फेविकोल का मजबूत जोड़ था उसे छुड़ा दिया|
    रत्नेश त्रिपाठी

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  5. हर शाख पे उल्लू बैठा है,
    अन्ज़ामे गुलिस्ताँ क्या होगा?

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  6. इस देश मै सब कुछ हो सकता है सिर्फ़... एक इमानदारी को छोड कर...शॆतान भी जब इस तरफ़ देखता होगा तो शरमा जाता होगा कि किस तरह भुखे कुते की तरह से लगे है यह चंद लोग देश को लुटने के लिये.... पेसो के लिये इन्होने अपनी बेटिया, बहिने ओर पता नही क्या क्या झोंक दिया,लानत लानत ओर लानत है इन्हे

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  7. हमारे देश में तो सत्ता का महल ही भ्रष्टाचार की नींव पर बनी हुई है।

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  8. दुनिया लुटती है लूटने वाला चाहिए। आज के ' लानती ' कल के नेता होंगे। अजहरुदीन कल का मैच फिक्सिंग की लानत का मारा आज कांग्रस का एम् पी है । जिन पाक खिलाडिओं के लिए हमारा सेकुलर मिडिया 'रुदाली' हुआ जा रहा था वे अपने ही वतन में मैच फिक्सिंग के दाग दार निकले। इन नेताओं ने इस देश को 'मंडी 'बना छोड़ा है।
    यहाँ हर चीज़ बिकती है...बोलोजी तुम क्या क्या खरीदोगे !

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  9. हमारे भ्रष्ट नेता लोग विवादों की इस सोने की खान में हमेशा ही डुबकी लगाने के लिए तत्पर रहते है, ताकि वो असली जांच, जो वास्तव में की जानी चाहिए, को रोका जा सके !
    ..
    छोड़छाड़ कर काम अपनालगे मैच देखने
    मार चौका, लगा छक्केलगे एडवाइस देने
    पर जब लगता सट्टा या मैच होता फिक्स
    फिर कहाँ फोर, कैसा सिक्स!
    कमबख्त किसने ये खेल बिगाड़ा ऐसा
    सबको नाच नचाता पैसा!
    सबको नाच नचाता पैसा!

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  10. जब तक ताऊ टी वी को उसका हिस्सा नही मिलेगा ऐसे ही धूंआधार रिपोर्टिंग चालू रहेगी.

    रामराम.

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  11. असलियत सामने आएगी लगता नही ... कोई बलि का बकरा तैयार किया जा रहा होगा इसलिए बस अफ़रातफ़री मची हुई है ...

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  12. सामयिक और सार्थक पोस्ट गोदियाल जी ,

    मगर एक साथ ब्लोगवाणी पर दो पोस्टें दिख रही हैं आपकी शायद कोई गडबड हुई है , लगता है दो बार अलग अलग पोस्ट हो गई है या ऐसा ही कुछ हुआ है

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  13. पता नही कितने गर्त में जाना बाकी है ।



    नेट की समस्या थी इसलिये ब्लाग जगत से दूर था

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  14. mujhe to is baat ka taajjub hota hain ki itne bharastachaari , itne dalal, itne riswatkhor, fir bhi desh ka kaam kaise chal rha h jabki ek sarkari clerk bhi bade maje ke saath ek chhote se kaam ke liye bhi 100 rs aaram se maang leta h aur yaha to bharat roopi mahasagar me pata nhi kitne magarmacch h

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सहज-अनुभूति!

निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना,  कि...