Thursday, August 5, 2010

जैचंद की तो फितरत है पीठ पे छुरा घोंपना, इस वोट-बैंक का कोई तो विकल्प ढूंढो यारों !!

हाथ जोड़कर पहले कहे देता हूँ, ज्यादा नहीं लिखूंगा, क्योंकि इन जड़-बुद्धि स्वदेशियों की समझ में ख़ास कुछ नहीं घुसने वाला ! मगर क्या करू कहना, लिखना, उपदेश देना अपना पैदाइसी डिस-ऑर्डर है, इसलिए खाली-पीली ही सही , मगर थोड़ा-बहुत शकुन पाने के वास्ते कुछ जरूर लिखूंगा ;

भाइयों, ये कदापि मत सोचियेगा, कि मैं किसी वर्ग विशेष के खिलाफ लिख रहा हूँ, या फिर भावनाए भड़का रहा हूँ ! कहने को तो मैं भी मौके के हिसाब से एक क्षुद्र आस्तिक बनाम नास्तिक (ज्यादातर अपने सेक्युलरों की तरह ) हूँ, मगर क्या करू, सच उगलना भी अपनी मजबूरी है !

- कभी सोचा आपने कि आज जो कुछ देश में हो रहा है, घपले , भ्रष्टाचार और लूटमार और ऊपर से किसी की कोई जबाबदेही नहीं, वह क्यों हो रहा है? क्योंकि हर कोई जानता है कि इस देश के लोग कायर है , अपनी निजी जरूरतों से बाहर नहीं झाँकने वाले, जब तक कोई सिकंदर, बाबर और फिरंगी आकर इनकी ................................................ !

-कि जब कोई विजय का बिगुल इनके सिर के ऊपर बजा देता है तभी ये जागते है, वरना तो दिल्ली की गद्दी पर कौन राज कर रहा है इन्हें कोई परवाह ही नहीं .......!

अब असल बात पे आता हूँ; इस कौंग्रेस के पिछले ६-७ साल के ( उससे पिछ्ला तो भूल जाइए क्योंकि यही हमारी आदत है ) शासन काल में जिस तरह खुलकर देश की दुर्गति की गई, वह किस सोच के आधार पर हुई ?

वह इस सोच के आधार पर हुई कि हम जो भी कर लें , २० से २५ % वोट मुस्लिमों के , करीब ८ % नव् ईसाईयों के, १० % फिक्स दलितों के उनके पक्ष में से कहीं नहीं गए, चाहे कितना भी बड़ा देश-द्रोही काम कर लो ! इस आत्म विश्वास ने हर चोर-उचक्के के हौंसले इतने बढ़ा दिए कि वह सोचता है कि मैं अगर दो चार का खून भी कर लूं तो कुछ नहीं होने वाला !

भाइयों करवद्ध होकर यही प्राथना करूंगा कि इस बारे में सोचियेगा जरूर !

वक्त हो तो इस पर भी गौर करिए ;
NEW DELHI: A new outfit is under scanner in Kerala for its alleged anti-India ideology. The Popular Front of India (PFI) calls India its enemy and asks for 'total Muslim empowerment'. Times Now has access to documents seized from activists of the controversial outfit, which prove its anti-national ideology. The documents portray the nation as its enemy and calls to work towards 'total Muslim empowerment’. Read more: New Kerala outfit on terror radar - India - The Times of India http://timesofindia.indiatimes.com/india/New-Kerala-outfit-on-terror-radar/articleshow/6260122.cms#ixzz0vjwgTj1m

While a section of the secular pack in the media and establishment is busy creating the myth of ‘Hindu terror’, the real terrorists have made deep inroads into the ‘secular’ bastion of Kerala, a state which has never elected a BJP nominee to the State Assembly since Independence। The recent hacking of the hand of a Christian college teacher T J Joseph in Muvattupuzha in Kerala allegedly by jihadi extremists has been closely followed by an attempted derailing of an entire passenger train in Nilambur in Kerala.

2 kids buried under sacks in FCI godown
UDAIPUR: Two children, aged 12 and 13 years, were found dead in the FCI godown in Chittorgarh town on Tuesday। It is suspected that they had gone there to steal wheat grains when sacks skidded over them. Their fathers are in jail and a life in penury might have forced them to steal foodgrains, said sources. What can we do if our orders not obeyed: SC New Delhi: Hearing a plea seeking arrest of a politician's musclemen, the Supreme Court Tuesday said policing is not a part of its mandate and it could not help if its orders were not being executed by the law enforcing agencies. "If our orders are not being obeyed, then what can we do? We are not police," said an apex court bench of Justice Markandey Katju and Justice T.S. Thakur.

What can we do if our orders not obeyed: SC New Delhi: Hearing a plea seeking arrest of a politician's musclemen, the Supreme Court Tuesday said policing is not a part of its mandate and it could not help if its orders were not being executed by the law enforcing agencies। "If our orders are not being obeyed, then what can we do? We are not police," said an apex court bench of Justice Markandey Katju and Justice T।S. Thakur.


ये सब इसलिए यहाँ लगा रहा हूँ कि आप सोच सकें कि यह सब क्यों हो रहा है ? क्यों पनपा इस देश में ? सोचो-सोचो अभी भी वक्त हाथ से नहीं फिसला , वरना सन १५२६ की स्थित फिर से आ सकती है , जिसकी वजह से बाबरी को आज तक भुगत रहे है, और आगे भी भुगतना होगा !
धन्यवाद !

33 comments:

  1. सांप्रदायिक और भ्रष्ट ताकतों के खिलाफ आप जैसे कलम के सिपाही कि आज अत्यंत आवश्यकता है. शानदार लेख.

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  2. बहुत बढिया लिखा है आपने, जरुरत है ऐसे ही और लेखों की।

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  3. तुष्टिकरण की नीति के घातक परिणाम सामने तो आयेंगे ही।
    समानता अत्यावश्यक है।

    आभार

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  4. इस जन-जागरण में मैं भी आपके साथ हूँ!

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  5. सार्थक और विचारणीय लेख ..

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  6. मुझे नही ल्गता कोई जागे..... सब को अपनी अपनी पडी है..... आप ने बहुत सही ओर सुंदर लिखा है, धन्यवाद

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  7. एक बेहद उम्दा और सार्थक पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

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  8. बहुत अच्छा लगा कि आपने प्रगतिशील (?) बनने के चक्कर में वस्तुस्थिति से मुंह नहीं पलटा। असल बात यह है कि इस देश में इस समय बहुत कुछ गड़बड़ चल रही है, लेकिन लोग अपनी ढफली अपना राग अलाप रहे हैं। सच किसी को नहीं दिख रहा। सच कहने वाला यहा साम्प्रदायिक या दकियानूस घोषित कर दिया जाता है। और वोट के खेल की तो आप पूछिए ही नहीं। उसके चक्कर में तो नेता लोग बांग्लादेश से करोड़ों की संख्या में आए और आ रहे घुसपैठियों को बसा रही है उनके राशन-पानी की व्यवस्था में लगी है, चाहे इस देश की जनता भूखी मर जाए। इतना ही नहीं उन्हें चुनाव में अपनी पार्टी से टिकट देकर चुनाव भी लड़ाया जा रहा है। क्या-क्या चल रहा है वोट बैंक और सेक्यूलर खेल में कुछ कहा नहीं जाता...... आपकी यह आवाज बुलंद होनी चाहिए। एक देश एक समान कानून लागू होना ही चाहिए। बेरोजगार और गरीब सिर्फ एक कौम विशेष के लोग ही नहीं है कि उन्हें विशेष सुविधाएं मुहैया कराईं जाएं।

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  9. गोदियाल जी, ये तो आप भी जानते है कि जब तक देश में अशिक्षा, गरीबी, भुखमरी, पिछड़े, अति पिछड़े, अति अति पिछड़े आदि रहेंगे तब तक वोट की राजनीति चलेगी और बिल्लियों की लड़ाई में बन्दर सबका हिस्सा खा जायेंगे.
    हाल ही में अमेरिका की एक आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत इस्लामी समूहों की ओर से आतंकवादी खतरे का ‘सतत’ सामना कर रहा है, लेकिन आतंकवाद से निपटने के उसके प्रयास उसके पुराने कानून एवं विधि तंत्र की वजह से प्रभावित हो रहे हैं। गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने दिसंबर में संसद को बताया था कि राज्य में 700 विदेशी चरमपंथी सक्रिय हैं |
    नेता और सरकारी अफसर देश के नाम पर मिलने वाले पैसे से ही तो अपना घर बनाते है. अगर कही देश का भला हो गया तो ये कुर्सी पर फेविकोल की तरह चिपके लोग अपना खुद का भला कैसे करेंगे.

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  10. गोदियाल जी जब तक हमारे सर पे डंडा नहीं पड़ता तब तक तो यही गाते रहते हैं "कोई कहे कहता रहे कितना भी हम को .... " |

    पिछले ५-७ वर्षों में कांग्रेस की सरकार ने एक भी अच्छा काम नहीं किया लेकिन जनता गद्दी के लिए कांग्रेस को ही उपयुक्त समझ वोते कर रही है.... जो थोड़े पढ़े लिखे समझदार लोग हैं उनमें से कई वोट ही नहीं करते | समाज यदि ऐसा ही निष्क्रिय, संवेदनहीन और स्वार्थी रहा तो परिस्थितियाँ मुग़ल काल से भी बदतर हो जायेंगी ...

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  11. @ लोकेन्द्र जी ,
    आपसे सहमत ! यहाँ अपने लेख पर जो केरल से सम्बंधित एक अंगरेजी दैनिक की खबर मैंने लगाईं , उसका उद्देश भी यही बताना है कि इन हरामखोर पोलिटिशियनो ने अपने तात्कालिक लाभ के लिए दक्षिण में भी आतंकवाद के बीज बो दिए ! आप देखना, अब इस देश में आतंकवाद का जो अगला शिकार होगा वह है केरल का सेक्युलर ( माई फूट !) और नौन-सेक्युलर हिन्दू ! ( कुछ हद तक क्रिश्चियन भी ) मगर इनका यह हश्र होना ही चाहिए क्योंकि इन हरा***** ने खुद अपने पैर पर कुल्हाडी मारी है ! मैं जब १९९७ में पहली बार केरल यात्रा पर गया था, तो वहा किसी भी शहर में एक्का-दुक्का मस्जिदें ही नजर आती थी , अब जाकर देखिये , हर चार कदम पर एक मस्जिद बनी है और इनमे तैयार हो रहा है आतंकवाद ! सिर्फ वोटों के चक्कर में ये जैचंद की औलादे इनसे आँखे फेरती रही और प्रोत्साहित करती रही ! वहाँ हिन्दुओ पर आकारमान होते थे मगरे कोई कुछ भी नहीं करता था और अब जबकि एक क्रिश्चियन मास्टर का हाथ इन्होने काटा तो ये मिशनरियों के पाले हुए भाड़े के टट्टू चूं-चां करने लगे ! पहले स्थित बिगाड़ दी मगर हिन्दू आतकवाद की दुहाई देते रहे और अब कह रहे है कि हम उनपर प्रतिवंध लगायेंगे, जब पानी सर के ऊपर निकल गया !

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  12. @ भावेश जी ,
    बिलकुल सहमत, देश में अशिक्षा, गरीबी, भुखमरी अगर हट गई तो इस भ्रष्ट कौंग्रेस को पूछेगा कौन ? मगर इन्होने तो अंग्रेजों से गुरु दक्षिणा में यही शिक्षा पाई है कि जनता को दाल-रोटी के चक्कर में ही उलझाये रखो ताकि ये और कुछ सोचने का अवसर ही न प्राप्त कर सके ! १९४७ में बंटवारे के समय एक सुनियोजित और न्यायपूर्ण ढंग से बंटवारा न करने देने का इनका एक मूल उद्देश्य यही था कि ये इस्लाम रूपी तलवार इस देश के लोगो के सर पर सदा लटकाकर खुद मजे लूटें !एक कल्पना करो कि जब बँटवारा हो ही रहा था तो पूरे तरीके से करते तो आज इतने सालों से देश उस कमीने बाबर का रोना क्यों रोता ? मगर देश का दुर्भाग्य यही है कि सदियों से इसने जयचंद पाले है और थोक में पाले है !

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  13. गोदियाल जी,
    इतिहास तक तो हमें फ़ैब्र्केटिड करके पढ़ाया जा रहा है, कहां से आयेगा वो जज़्बा जो कुछ देश के बारे में सोचने के लिये मजबूर करे।
    राजनीतिक विषय पर मैं यह कहना चाहता हूं कि सभी पार्टियां एक दूसरे की ए टीम बी टीम हैं, जिसे कुर्सी का स्वाद लग गया, वो वही पैंतरेबाजी करने लगती है। और मैं तो और कहता हूं कि कांग्रेस पर मुझे अब इतना गुस्सा नहीं आता है, ’अब’ शब्द पर विशेष ध्यान देने का आग्रह करता हूं, क्योंकि दूसरों को भी देख लिया है।

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  14. गोदियाल जी जब तक हमारे सर पे डंडा नहीं पड़ता तब तक तो यही गाते रहते हैं "कोई कहे कहता रहे कितना भी हम को .... " |

    @ राकेश जी ,
    दुर्भाग्यबश यही सच्चाई है , क्या करें खून में ही गुलामी और भ्रष्टाचार के जीवाणु /कीटाणु इस कदर रचे बसे है कि एक दायरे से बाहर तो हम झाँक ही नहीं पाते ! याद कीजिये कि एक विदेशी लुटेरा डाकू बाबर १५२६ में भारत आया ( तब जबकि बस , ट्रेन हवाईजहाज नहीं होते थे) और १५२८ में उस हरामखोर ने अयोध्या में मस्जिद भी बना डाली ! ये निकम्मे कायर हिन्दू तो दो साल में काबुल से दिल्ली भी पैदल चलकर पहुँच जाते तो खुद को खुदा समझ बैठते ! हाँ, बाबर का सामान ढोने में ये मीलों नंगे पाँव चल गए होंगे तो अपने को धन्य समझ बैठे होंगे ! जब दुश्मन इनके लिए मौत का सामान इकठ्ठा कर रहा होता है , उस समे ये सेक्युलर बनकर बैठे रहते है और जब इनके पिछवाड़े कुछ फूट जाता है तब ये जागते है मगर तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ! अगर हम इमानदारी से अपने पिछले १०००-१२०० साले के इतिहास का इमानदारी से आंकलन करे तो पायेंगे कि एग्जेक्टली यही हुआ !
    अब इस ब्लॉग जगत में ही देखिये न, इलाहबाद हाईकोर्ट ने बाबरी मामले में अपना फैसला क्या सुरक्षित किया इन आस्तीन के साँपों ने अपनी सुगबुगाहट शुरू कर दी ! मैं अनेक पत्र-पत्रिकाओं के कॉलमों पर भी नजर रखता हूँ , आप पाओगे कि आजकल हर तथाकथित मुस्लिम बुद्धिजीवी बस इसी बात का उल्लेख किये जा रहा है ! अगर ऐसा हिन्दू लोग करते तो ये कहते कि देखो जी न्यायालय ने अभी फैसला तो दिया नहीं और इन्होने उस पर राजनीति करनी शुरू कर दी ! देश आज भर्ष्टाचार और महंगाई से सुलग रहा है, मगर आप देखिये कि कहीं भी इस बाबत कोई मुस्लिम कुछ कह रहा हों ! उसे तो सिर्फ अपने धर्म और अपनी स्वार्थपूर्ण, घृणा फैलाने वाली बैटन से ही फुरशत नहीं ! और ये जो भर्ष्टाचार का खेल खेल रहे है वे भेई इनकी नब्ज को खूब पहचानते है इसलिए गुजरात में सोराबुद्दीन और यदा-कदा इसी तरह के फांसे फेककर इनका २५-३० % वोट्बैक अपने लिए सुरक्षित रखे है ! आप सितम्बर के आखिर में आने वाले फैसले का अंदाजा भी इसी रूप में लगा सकते है !

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  15. @ Mausam Kaun ji;
    Agreed. No doubt that all are CHOR but would like to say that atleast others ( ??!!) are slightly better than that of Congress. (its now a matter of good chor and bad chor )

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  16. बहुत शानदार और हॉट लेख...

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  17. बहुत शानदार और हॉट लेख...

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  18. बहुत शानदार और हॉट लेख...

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  19. बहुत शानदार और हॉट लेख...

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  20. बहुत शानदार और हॉट लेख...

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  21. हमारे डाटाबेस पर वाइरस का ज़बरदस्त हमला हुआ है और हमारा अनुमान है कि यह किसी टिपण्णी के द्वारा वाइरस भेजने से हुआ है. इस कारण हमारे सर्वर के एंटी वाइरस ने डाटाबेस को उड़ा दिया है, हम बैकअप के द्वारा फिर से डाटा वापिस लाने की कोशिश कर रहे हैं. आपसे भी अनुरोध है की टिपण्णी को जाँच कर ही स्वीकृत करें तथा अपने ब्लॉग पर फोटो भी एंटी वाइरस से जाँच करके ही अपलोड करें. आपका अकाउंट भी इस तरह हैक अथवा समाप्त हो सकता है. कृपया सावधान रहें, आपका अकाउंट बंद करवाने के लिए टिपण्णी में कोडिंग के द्वारा आपके ब्लॉग में वाइरस भेजा सकता हैं.

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  22. अभी-अभी डॉ अरविन्द मिश्रा जी ने एक ब्लॉग पर लिखा है - "तुम लोगों का कोई इलाज नहीं है -एक लाईलाज नासूर हो इस समाज के ....."

    यह बात, नेताओं-अफ़सरों-जेहादियों और सेकुलरों पर एकदम फ़िट बैठती है…।

    आज केरल में यह सिद्ध हुआ है कल असम में होगा, परसों पश्चिम बंगाल में होगा… जहाँ-जहाँ भी मुस्लिम जनसंख्या 40-50% के आसपास या ऊपर होगी, उस जगह साम्प्रदायिकता और अलगाववाद उफ़ान मारेगा ही… इतिहास इसका गवाह है और वर्तमान भी।

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  23. बिल्कुल सही व विचारणीय बात कही है...बहुत बढिया आलेख है...लेकिन कोई असर नही होने का क्योकि युवा शक्ति को ऐसे मकड़ जाल मे फँसा दिया गया है कि वह निकल नही सकता...और यह सब किस की देन है कहने की जरुरत नही....सब जानते हैं...

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  24. गौदियाल जी मुझे ये कबूल करने में लेशमात्र भी हिचक नहीं है कि "जी हाँ हम लोग वाकई में कायर हैं और देख लीजिएगा इसी कायरता की बजह से ये देश आने वाले 10-20 सालों में ही या तो टूट कर पूरी तरह से बिखर चुका होगा या फिर से इसे विदेशियों की गुलामी का दंश झेलना पडेगा".
    देख लीजिएगा सबकुछ देख कर भी अनदेखा करने की हिन्दू समाज की ये आदत बहुत जल्द देश को ले डूबने वाली है.....

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  25. दुश्यंत जी ने कहा है " गिड़गिड़ाने का यहाँ कोई असर होता नही/ पेट भर कर गालियाँ दो आह भर कर बद्दुआ " सही कहा है ।

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  26. आप और हम चाहे कितना ही कह लें मगर जागे हुयों को कोई कैसे जगाये? सोये को तो जगा सकते हैं आप मगर जो देखकर भी आंख मूंद ले ,सुनकर भी बहरा बन जाये और जुबाँ होते हुये भी बेजुबाँ बन जाये उस जनता को कोई कैसे जगा सकता है जो खुद अपना भला बुरा नही जानना चाहती।

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  27. मौसम कौन जी से पूरी तरह सहमत।
    भाजपा भी तो इसी वोट बैंक के लालच में अपना नुक्सान कर बैठी।
    इस वोट बैंक का विकल्प तो हमेशा से है लेकिन लेने लायक तो कोई भी नहीं है।
    अडवानी क्यों नरेन्द्र मोदी से आगे खडे हो जाते हैं।

    आपका आलेख बहुत पसन्द आया जी
    प्रणाम

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  28. गोदियाल जी प्रणाम , बहुत दिनों बाद आपका लेख पढ़ा , ऑंखें खोल दी आपने, लेकिन; हम लोगों की आँखें तो पहले ही खुली हैं जिनकी बंद हैं उनके लिए क्या हो ? किसी ने टिपण्णी लिखी है सोये को जगाया हा सकता है जगे को नहीं एक दम सही बात है |
    इस विषय में "कोई" कुछ कर सकता है (आज के दौर में ) तो वह है "स्वामी रामदेव जी महाराज" | वह कर ही नहीं सकते अपितु उन्होंने करना शुरू भी दिया है , आज सभी राजनीतिक दल और सेकुलर "सज्जन" न कुछ बोल पा रहे हैं न कुछकर पा रहे हैं |

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  29. हाथ जोड़कर पहले कहे देता हूँ, ज्यादा नहीं लिखूंगा, ...
    थोड़े मे जनिहें सयाने ...

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  30. बेहद सटीक और सामयिक आलेख. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  31. बिल्कुल सही व विचारणीय बात कही है...बहुत बढिया आलेख है

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  32. इसमें कोई शक नहीं कि आज हालात खराब हैं। लेकिन घबराइए मत देश का बेड़ा गर्क नहीं होने जा रहा। बस एक महाभारत की तैयारी और हो रही है जो दोनो तरफ के कट्टरपंथियों को खत्म कर देगा। ये सो कॉल्ड धर्मनिरपेक्ष औऱ इस्र्लाम के नाम पर दूसरे के धर्म को गरियाने वाले लोग, आतंक का सहारा लेकर सनातन धर्म को बदनाम करने वाले लोगों इन सबकी उस महायुद्ध में आहूति होने वाली है। देश का युवा अभी इतन कमीना नहीं हुआ है. उसके बाजुओं में ताकत है, दिल में देश का जज्बा है। वो न हिदू है न मुसलमान है न ईसाई है न सिख है। देशभक्तों की तादाद ज्यादा है। बस जरा कान्हा का इंतजार है। सारथी बने कान्हा रुपी सेनापति का इंतजार है जो ज्यादा दूर नहीं है। जमीन तैयार हो रही है बस उनके आने का इंतजार है। तब तक हम आप जमीन बना ही रहे हैं।

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सहज-अनुभूति!

निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना,  कि...