Tuesday, March 16, 2010

दूसरे का तो ये बुर्के पर बनाया कार्टून भी नहीं बर्दाश्त कर पाते और ...


किसी और के धर्म पर कीचड उछालने, अश्लील बाते लिखने, छद्म नामो से लिखने और टिपण्णी करने में इन्हें ज़रा भी परहेज नहीं । यहाँ देखे , यही नहीं कि इनका एक तथाकथित बुद्धिजीवी ही कीचड उछाल रहा हो, यहाँ हिन्दी ब्लॉगजगत में मौजूद इनके अधिकाँश बुद्धिजीवियों के यही हाल है । और वहीं दूसरी तरफ अगर बुर्के का किसी ने कार्टून भी बना दिया तो ये कुछ आदिम जाति के लोग पत्थर फेंकने पर उतर आते है, और कहते है कि इस्लाम का मतलब होता है शांति ! :) इनसे तो कुछ कहना कीचड में पत्थर मारने जैसा है! मैं उन तथाकथित हिन्दू बुद्धिजीवियों से एक निवेदन करूँगा कि आप इन्हें अलग-थलग क्यों नहीं करते? इनके ब्लॉग पर जाकर अगर आप कुछ नया और सृजनात्मक पढने की उम्मीद रखते है तो आप खुद ही मूर्ख है ! हाँ, अगर आप लोगो को मुस्लिम बुद्धिजीवियों के लेख पढने का इतना ही शौक है तो कृपया निरंतर इसे पढ़े, जो सच्चाई बयाँ करते है, लेकिन आपको तो सच पढने की आदत ही नहीं !!!!!! :)
अब खबर पढ़े :
टोरंटो, 15 मार्च (आईएएनएस)। कनाडा के मांट्रियल शहर के एक समाचार पत्र में बुर्के पर छपे एक कार्टून से नया विवाद खड़ा हो गया। इस कार्टून को लेकर मुस्लिम समुदाय में रोष है।
यह कार्टून 'मांट्रियल गजट' में बीते सप्ताहांत छपा। इस कार्टून को नईमा आतिफ अहमद नाम की उस मुस्लिम महिला को पृष्ठभूमि में रखकर बनाया गया था जिसने बीते साल नवंबर में एक कॉलेज में चहरे से पर्दा हटाने से मना कर दिया था। बाद में इस महिला ने अपने धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन किए जाने के आरोप लगाते हुए कॉलेज ही छोड़ दिया था।इस कार्टून में दिखाया गया है कि सिर से लेकर पांव तक नकाब में ढकी एक महिला जेल में बंद है। कार्टून को बनाने वाले कार्टूनिस्ट टेरी मॉशर ने कहा कि उन्होंने यह काटरून महिला के तर्क के विरोध में बनाया है जिसका हवाला देकर उसने पर्दे को सही ठहराया था। उन्होंने कहा कि वह इस मसले बहस छेड़ना चाहते हैं।

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।