Friday, March 26, 2010

ऐसी नहीं तो वैसी आयेगी, मगर आयेगी जरूर !


कल ही एक खबर पर ध्यान गया था, खबर थी ; भारत और बांग्लादेश पिछले 30 साल से बंगाल की खाड़ी में स्थित एक छोटे से टापू पर अपना अपना दावा ठोक रहे थे। ग्लोबल वार्मिग ने इसे शांत कर दिया। सुंदरवन का यह न्यू मूर टापू सागर में समा गया। विस्तृत खबर यहाँ पढ़ सकते है "जिसके लिए 30 साल से लड़ रहे थे, वह डूब गया !" यानि कुदरत ने झगडे की जड़ ही मिटा कर रख दी । जैसा कि आप लोग भी जानते है कि काफी समय से एक ख़ास आशंका इलेक्ट्रोनिक मीडिया में और अंतर्जाल पर खासा चर्चा का विषय रहा है कि २०१२ के अंत तक पृथ्वी पर प्रलय आने वाली है। में न तो अन्धविश्वाशी हूँ और न ही में यह जानता हूँ कि यह प्रलय कब और कैसे आयेगी, लेकिन जिस तरह से पृथ्वी पर हालात बन रहे है, जिन्हें आप और हम लगातार महसूस भी कर रहे है तो आपको भी नहीं लगता कि देर-सबेर कुछ न कुछ तो जरूर होने वाला है। आइसलैंड में एक ज्वालामुखी पिछले हफ्ते भर से धधक रहा है और उसने अगर पूरे क्षेत्र (१०० वर्ग कि. मी.) की बर्फ पिघला दी तो क्या होगा ? में आपको डराने की कोशिश नहीं कर रहा, बल्कि सच्चाई से रूबरू करवा रहा हूँ । मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि कुदरत भी अब कपटी इंसान से दो-दो हाथ कर लेने के मूड में है। खैर, यह एक अनिश्चित किस्म की आशंका है, जो हो भी सकती है और नहीं भी।

लेकिन एक को निश्चित किस्म की आशंका मैं यहाँ व्यक्त करने जा रहा हूँ, वह है पाकिस्तान की तरफ से बढ़ता परमाणु ख़तरा। हमें इस गलत फहमी में नहीं रहना होगा कि पाकिस्तान ऐसा नहीं करेगा, क्योंकि उसे भी ऐसा करने से पूर्व अपने अस्तित्व के बारे में सोचना होगा। पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है, और भारत का कट्टर दुश्मन। अत: वहाँ के हालात, लोगो की मानसिकता, पाकिस्तान की अविश्वसनीयता और पूर्व इतिहास को देखकर यह कहा जा सकता है कि वहाँ की सियासी सत्ता के चार केन्द्रों सेना, सरकार,आईएसआई और आतंकी संगठनों में बैठा कब कोई सिरफिरा कठमुल्ला अपनी भड़ास निकालने के लिए ऐसी नादानी कर बैठे, कहा नहीं जा सकता। दूसरी बात यह भी है कि कि जिस अमेरिका को हम अपना दोस्त मानकर चलते है वह निहायत एक ... क़िस्म का स्वार्थी दूकानदार है, जो सिर्फ उसे सलाम करता है जो उसकी दुकान पर माल खरीदने जाता है,अथवा जहां उसे अपना फायदा दिखता है। बराक ओबामा को ही देख लीजिये चुनाव के समय क्या लम्बी-लम्बी छोड़ रहे थे जनाव, और अब असली रंग दिखाने लगे। मैं तो थोड़ा हटकर यह कहूंगा कि हमारे ऊपर जो अमेरिका और चीन की छत्रछाया तले पाकिस्तान के परमाणु बम की तलवार लटकी है, वह कभी न कभी हमें तो कष्ट पहुंचाएगी ही, मगर अमेरिका के व्यवहार को देखते हुए हम भी यह दुआ करे कि ओसामा कभी भी उसके हाथ न लगे, और ओसामा की भी परमाणु इच्छा पूरी हो , ताकि प्रलय आये तो पूरा विश्व डूबे, अकेले हम क्यों ?

15 comments:

  1. ये तू शुरुवात है ..प्रकृति के साथ जितना दुर्वव्हार हमने किया है उसका फल तो मिलना ही है अगर ये कम पडा तो विनाश को तीली दिखने ने के लिए कितने भस्मासुर तैयार बैठे है .
    विचारोतेजक लेख

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  2. प्रकृति का जितना दोहन पाँच लाख साल में नहीं हुआ, उतना 50 साल में किया है. संतुलन के लिए जरूरी है कि बड़ी संख्याँ में मनुष्य जाती नष्ट हो जाए ताकि पृथ्वी पर जीवन बच सके.

    अमेरिका की ओर मूँह ताकना बेकार है. खूद को शक्ति बनाना होगा.

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  3. क्रिया को प्रतिक्रिया तो जरुर मिलेगी साहब ,
    जैसा बोवोगे वैसा ही काटोगे.
    या यूँ कह लीजिये की जैसा लादेन ने बोया था वैसा ही अमेरिका ने काट लिया.

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  4. विलकुल सही कहा आपने

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  5. "जिसके लिए 30 साल से लड़ रहे थे, वह डूब गया !"
    प्रकृति का जब डंडा चलता है तो --------

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  6. अब तो ऊपर वाला ही बचाएगा । प्रकृति से भी और पाकिस्तान से भी।

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  7. मैंने भी गूगल पर दक्षिण बंगाल की खाड़ी में स्थित इस द्वीप को सर्च करने की कोशिश की है .... आने वाले समय में कई द्वीप मालदीप, श्रीलंका डूब जायेंगे . . पर्यावरण से खिलवाड़ करने के नतीजे भुगतने तो पड़ेंगे. यह तो तैय है ... बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....

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  8. जैसी करनी होती वैसी ही भरनी तो पड़ती है!
    भुगतने थोडा समय लग सकता है,पर भुगतनी जरुर पड़ती है!
    अब वो चाहे मनुष्य की प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने की भुगतनी हो
    या अमरीका को लादेन का पोषण करने की!जब उसने लादेन रूपी झाड़ बोया था तो कांटे भी झेले उस ने!
    लेकिन दुकानदार है,घाटे के बाद भी मुनाफे की और ही नज़र रहेगी उसकी!
    हो सकता है जल्दी ही कोई नया लादेन(हथियार) तयार कर लेगा ये दुकानदार मुसलमानों के खिलाफ!
    भारत के खिलाफ तो उसने तयार कर ही लिया है!अरे अपने मन्नू!नहीं समझे,P M साहब!
    लेकिन अभी बो तो P M साहब(या साहिबा) भी रहे है!काटेंगे एक दिन!
    कुंवर जी,

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  9. गौदियाल जी, हम भी आप ही की तरह बस इन्तजार में बैठे हैं..वैसे ये तय है कि वो आयेगी तो जरूर...

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  10. ताकि प्रलय आये तो पूरा विश्व डूबे, अकेले हम क्यों ?


    Bahut hi accha likha hai aapne , lekin sabse pahle Pakistan Hi khatm hoga. Shiya aur Sunni aapas main hi lad arke mar jayenge.

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  11. सादर वन्दे!
    आपने सही पहचाना ग्लोबल वार्मिंग और ग्लोबल आतंकवाद अगले प्रलय के ये दो मुख्य कारण हैं, ये कब होगा यही देखना बाकी है.......
    रत्नेश त्रिपाठी

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  12. ग्लोबल वार्मिंग के माध्यम से आपने पाकिस्तान के बारे में जो विचार रखे हैं, सोचने पर मजबूर करते हैं। मैं तो एक कदम और आगे की सोचता हूं तो लगता है कि पाकिस्तान का जो नुकसान होना है वो अमेरिका ही करेगा, भारत नहीं। मेरा ये विचार रखने का एक कारण ये भी है कि हम अपने रहनुमाओं को जानते हैं कि इन बाजुओं से क्या क्या हो सकता है। आप पिछले उदाहरण देख लीजिये, सद्दाम हुसैन, अफ़गानिस्तान, लादेन, फ़लस्तीन - जिस पर अमेरिका ने नजरें इनायत कीं, कुछ समय के बाद वही अमेरिका को खाने को झपटे हैं और अंतत: नेस्तनाबूद हुये हैं। ’हुये तुम दोस्त जिसके, दुश्मन उसका आसमां क्यूं हो’
    पाकिस्तान पर अमेरिका का प्रेम जगजाहिर है, देर सवेर इतिहास स्वयं को दुहरायेगा। दुख इसी बात का है कि चंद खुराफ़ाती लोगों के कारण समस्त देशवासियों को नुकसान पड़ता है, नहीं तो आम आदमी चाहे भारत का हो या पाकिस्तान का उसकी मानसिकता एक सी ही है।
    गोंदियाल साहब, अच्छा लगा।

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  13. यदि हम नहीं सुधरें तो .. भविष्‍य के जीव जंतुओं के सुख सुविधा के लिए वर्तमान के नालायकों को मारने में प्रकृति तनिक भी देर नहीं करेगी .. आपने बिल्‍कुल सही लिखा है !!

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  14. अब्बल तो आज किसी को डरने की फुर्सत नहीं है दूसरे कुदरत कपटी इंसान से नहीं बल्कि इंसान से दो दो हाथ करने के मूड में है |सिवाय दुआ के और कुछ किया भी तो नहीं जा सकता

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  15. चाँद तो बहुत बार इस जमीं पर आया
    चाहत है सूरज भी हमें चूम ले
    देर सबेर आएगा आने वाला...
    -
    राष्ट्र जागरण धर्म हमारा > लम्हों ने खता की और सदियों ने सजा पाई http://myblogistan.wordpress.com/

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।