आज अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर मैं कुछ भी बोलने लायक नहीं हूँ, क्योंकि जो मैंने आज यहाँ अपने ब्लॉग पर लोगो के लिए बोलना था वह मेरी धर्म-पत्नी सुबह-सुबह मेरे लिए बोल चुकी ! :) लेकिन आज के एक राष्ट्रीय दैनिक हिन्दी अखबार में "प्रसिद्ध बांग्लादेशी कथाकार" तसलीमा नसरीन का एक सुन्दर लेख 'लड़ाई बराबरी की है पश्चिम की नहीं, पढ़ा था! लेख की कर्तन लेना भूल गया, मगर नेट पर यहाँ आप भी उसे पढ़ सकते है!
मुझे लेख के अंत में दिए गए एक लघु नोट को पढ़कर आश्चर्य हुआ कि महिलाओं को बराबरी का हक़ देने की पुरजोर वकालत करने वाले हम, इस देश के लोग हकीकत में क्या है! अखबार ने लेख के नीचे एक नोट लगाया है जिसमे लिखा है "लेख में व्यक्त विचार लेखिका के निजी हैं" !मैं अखबार या किसी को इसके लिए दोष नहीं दे रहा , और मानता हूँ कि अक्सर अखबार इस तरह किसी के विचारों को छापते वक्त सावधानी की वजह से ऐसे नोट लगाते है , मगर जहां तक मैं समझता हूँ, लगभग हर ख्याति प्राप्त लेखक अपने लेख में अपने ही निजी बिचार रखता है किसी और के नहीं! और पढने वाला भी बखूबी समझता है कि जिस लेख को वह पढ़ रहा है उसको लिखने वाले का नाम वहा दर्ज है ! फिर इस तरह का नोट लगाने की जरुरत क्यों पड़ती है ? शायद किसी अनजाने भय और आशंका की वजह से ! क्या यही इस देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का आशय है कि कही एक ख़ास समुदाय भड़क न जाए और अपनी तुच्छ हरकते सार्वजनिक न कर दे ? हद होती है आतंक की भी !!!!
मुझे लेख के अंत में दिए गए एक लघु नोट को पढ़कर आश्चर्य हुआ कि महिलाओं को बराबरी का हक़ देने की पुरजोर वकालत करने वाले हम, इस देश के लोग हकीकत में क्या है! अखबार ने लेख के नीचे एक नोट लगाया है जिसमे लिखा है "लेख में व्यक्त विचार लेखिका के निजी हैं" !मैं अखबार या किसी को इसके लिए दोष नहीं दे रहा , और मानता हूँ कि अक्सर अखबार इस तरह किसी के विचारों को छापते वक्त सावधानी की वजह से ऐसे नोट लगाते है , मगर जहां तक मैं समझता हूँ, लगभग हर ख्याति प्राप्त लेखक अपने लेख में अपने ही निजी बिचार रखता है किसी और के नहीं! और पढने वाला भी बखूबी समझता है कि जिस लेख को वह पढ़ रहा है उसको लिखने वाले का नाम वहा दर्ज है ! फिर इस तरह का नोट लगाने की जरुरत क्यों पड़ती है ? शायद किसी अनजाने भय और आशंका की वजह से ! क्या यही इस देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का आशय है कि कही एक ख़ास समुदाय भड़क न जाए और अपनी तुच्छ हरकते सार्वजनिक न कर दे ? हद होती है आतंक की भी !!!!
No comments:
Post a Comment