सिकवे जुबाँ पे आये जब, हम ओंठों को सी लिए ,
दिल से निकले जो अश्क थे, वो आँखों ने पी लिए।
जुल्म-ए-सितम छुपाये न ही अपने गम दिखाए,
हर बात सह गए किसी इक बात का यकीं लिए।
खुशियों के कारवां निकल गए बीच राह छोड़कर,
हम अकेले ही चलते रहे अपनी बदनशीं लिए।
यूं ,आसान है गले लगाना मुसीबत में मौत को ,
गफलत में ही सही, चलो, कुछ पल तो जी लिए।
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