Monday, March 29, 2010

हमारे सरकारी विभाग नहीं सुधरेंगे !

सरकारी विज्ञापन मे पहले तो एक पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी को अपने देश का आइकॉन बना डाला, फिर दिल्ली को पाकिस्तान मे दिखा दिया, और अब कुछ दिनों से समाचार पत्रों मे रोज प्रकाशित हो रहे केन्द्रीय उत्पाद एंव सेवा कर विभाग के एक विज्ञापन ने सेवा करदाताओं को खासा भ्रमित कर रखा है। एक के बाद दूसरी और दूसरी के बाद तीसरी गलती। कभी-कभी लगता है कि आरक्षण, भ्रष्ठ नेताओं और अफ़सरशाहों की चमचागिरी और चाटुकारिता तथा घूस लेकर अयोग्य व्यक्तियों को सरकारी पदों पर रखने के दुष्परिणाम अब खुलकर सामने आने लगे है। जबाबदेही नाम की तो कोई चीज ही नही रह गई। अब आप देखिये इस विज्ञापन को, जिसमे रिटर्न जमा करने की अन्तिम तिथि ३१ मार्च बताई गई है, जबकि ३१ मार्च टै़क्स जमा करने की अन्तिम तिथि है। करदाता भ्रमित है, और पूछ रहे है कि जब टैक्स जमा करने की अन्तिम तिथि ही ३१ मार्च है तो भला उसी दिन पर कोई रिटर्न कैसे फाइल कर सकता है । लगता है कि शायद विज्ञापनदाताओं को यही मालूम नही कि टै़क्स जमा करने और रिटर्न भरने मे क्या अन्तर है, या फिर कोई इस और गौर करने की जुर्रत ही नहीं कर रहा ? लोग परेशान हों तो हों। ऐसी छोटी-मोटी गलतियां तो हो ही जाती है !


कृपया चित्र पर क्लिक करें

6 comments:

  1. ये रिटर्न वर्ष 2009-10 के लिये है, जिन लोगों ने अभी तक भरा वो अभी भर सकते हैं। आप पहले विज्ञापन को ध्यान से पढ़ें।

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  2. कबीर दास जी कह गए है "करता था क्यों करी रहा, अब करी क्यों पछताए, बोए पेड़ बबुल का तो अम्बुआ कहाँ ते खाए" .. जब आरक्षण के नाम पर योग्यता को कुचल कर अयोग्य लोगो को बिना काबिल बनाये सर पर बैठाएंगे तो ऐसे ही नतीजे होंगे...
    जितना विज्ञापन इस पोस्ट में दिखाया गया है उसे देख कर, ये नहीं पता चलता कि ये रिटर्न किस वर्ष के लिये है ?

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  3. @ BS सर, मैंने पूरा विज्ञापन गौर से पढ़ा, ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि यह २००९-१० के लिए है ! अत: करदाता कैसे यह अंदाज लगाएगा कि यह २००९-१० के लिए है ?

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  4. निकृष्टों को भी सम्मानित किया जाना चाहिये.

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  5. नीचे से ऊपर तक टका सेर भाजी ताका सेर खाजा जैसी है क्या कहें सर सब व्यवस्था का दोष है ...

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  6. godiyal sahab ab kis baat ka maakta kare.
    jab system hi aisa ho gaya h ki nikkame bharti ho gaye h reservation ka fayda uthkar .

    sarkaari daftaro me bahut bura haal .
    bilkul thik kaha aapne

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।