घृणा-नफरत की पौध के दाने से पले हो,
सारा जग गुणहीन है, बस, तुम ही भले हो !
मिंया, अपनी तो ठीक से धुल नहीं पाते,
और ज्ञानी बनकर दूसरों की धुलने चले हो !!
तनिक दूसरों पर पंक उछालने से पहले,
खुद की गरेवाँ में भी झांक लिया करो !
हर बात पे जिसका वास्ता देते हो तुम,
भले-मानुष कम से कम उससे तो डरो !!
जो तुम्हारी न सुने वो काफिर नजर आये,
गैर की आस्था से क्यों इस कदर जले हो!
मिंया, अपनी तो ठीक से धुल नहीं पाते,
और ज्ञानी बनकर दूसरों की धुलने चले हो !!
मुंह से निकलती भले हो अमन की बाते,
मगर कृत्य ने सदा खून-खराबा दिखाया !
कथनी और करनी में फर्क इंतना क्यों ,
सदाचार ऐसा यह तुमको किसने सिखाया !!
जिस सांचे में प्रभु ने तमाम दुनिया ढली,
मत भूलो उसी सांचे में तुम भी ढले हो !
मिंया, अपनी तो ठीक से धुल नहीं पाते,
और ज्ञानी बनकर दूसरों की धुलने चले हो !!
आप के लेख ओर राय से सहमत है, धन्यवाद
ReplyDelete"दूसरे की भावनाओं को भड्काओगे , दूसरे ने भी चूड़ियाँ नहीं पहन रखी, कोई कब तक चुप रहेगा?"
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने!
धैर्य और सहनशीलता की भी आखिर एक सीमा होती है।
गोदियाल जी नमस्कार , बड़ा मुस्किल है इन्हें सुधारना , लेकिन कोई बात नहीं हम भी हार मानने वाले नहीं है। ये हिंदुस्तान है यंहा पर कठ्मुल्लावो की नहीं चलने देंगे। चलेगी मगर साथ - साथ मिलकर एक समझदार भारतीय की तरह।
ReplyDeleteदरअसल दिक्कत इनके सिस्टम मैं हैं , इनकी गलती नहीं है। ये लोग अपने सिस्टम को सुधारना ही नहीं चाहते।
सूरा ५, अल-मईदा, पेज नो. १६० पारा ६
ReplyDeleteये इमान लाने वालो! तुम यहूदियों और इसाई को अपना मित्र (राजदार) मत बनावो. वे (तुम्हारे विरुद्ध) परस्पर एक – दुसरे के मित्र हैं. तुममे से जो कोई उनको अपना मित्र बनाएगा, वह उन्ही लोगो मे से होगा. निःसंदेह अल्लाह अत्याचारियों को मार्ग नहीं दिखता.
तो जब ये लोग ऐसे बातो को रोज पढेंगे तो उसका नतीजा तो येही होगा न।
aapki baat khari hai
ReplyDeleteaapka vichaar bhi nirvikar hai
आपके विचारों से इत्तेफाक है...सच्चा धर्मिक वही है जो सामने वाले की भी आस्था को उतना ही सम्मान देता है जितना कि खुद की!
ReplyDeleteचाहे कोई भी धर्म हो, यही सिखाता है कि "जियो और जीने दो"....
mai aap ki baat se 100%sehmat hon hindu or muslman hai to dono hi insaan.
Deletesundar , dharapravaah , tark poorn chintan.
ReplyDeleteघृणा फैलाने की बजाये हम आपसी भाई-चारा बढ़ाएं , ताकि समूची मानव जाति का भला हो !
ReplyDelete--यह विचारणीय है.
सौ प्रतिशत से अधिक नहीं दिया जा सकता इसलिये खरी और सही बात के लिये पूरे सौ प्रतिशत.
ReplyDelete@ Tarkeshwar Giri
ReplyDeleteगिरी साहब, बिलकुल सही कहा आपने ! अपनी खाइयों से बही किताबे तो पवित्र हो गई और दूसरों की कूड़ा, इन्हें पूछा जाए कि जब अल्लाह मिंया ने वह किताब लाकर दी और कहा कि सब कुछ इस किताब में लिखे के हिसाब से करो तो इन्हें यह क्यों नहीं बता गए वो आल्हा मिंया कि इनकी वो तथाकथित जन्नत अथवा नरक (Hell) है कहाँ पर ?
सहमत हूं आपसे शत-प्रतिशत।
ReplyDelete:)
ReplyDeletebilkul durust kaha godiyaal sahab
ReplyDeletegodiyaal ji... bahut achche.... lage raho... itne saal gumnaami k baad 1 din jarur aayega ..... caay on.....
ReplyDeleteसहमत हूं आपसे शत-प्रतिशत।
ReplyDeletepar main sehmat nahi hun ma dear friends keun ki ap sab galat ho islam dharam me kesi dharam ko galat nahi bola gea, or islam ka dusra naam mohabbat hai nd har dharam me do tarhan k insan hote hai ek ache or ek bure lagta hai apne my name is khan nahi dekhi i thnk u shd c dt movie 1st dn u cn relice wht u r did nd jab tak kisi dharam ki puri jankari na ho tb tk bolne se pehle sochna ok nd also c O MY GOD movie
ReplyDeletekisi ko kisi ke dharam ke bare me bura bhla nhi bolna chahiye kyuki hm muslim log kisi ke dharam ke bare me bura nhi bolte toh aap hindu logo ko koi haq nhi hmare dharam ke bare me bura bhla bole
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