...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रलय जारी
चहुॅं ओर काली स्याह रात, मेघ गर्जना, झमाझम बरसात, जीने को मजबूर हैं इन्सान, पहाड़ों पर पहाड़ सी जिंदगी, फटते बादल, डरावना मंजर, कलयुग का यह ...

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नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
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पहाड़ी प्रदेश , प्राइमरी स्कूल था दिगोली, चौंरा। गांव से करीब दो किलोमीटर दूर। अपने गांव से पहाड़ी पगडंडी पर पैदल चलते हुए जब तीसरी कक्षा क...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
नेकी और पूछ-पूछ!
ReplyDeleteआपने याद दिलाया , तो हमें याद आया ---
ReplyDeleteयाद दिलाने के लिए शुक्रिया भाई जी ! सायं ८:३० से ९:३० तक बिजली बंद करके इस अछे कार्य में कुछ योगदान करते हैं ! बहुत अच्छा प्रयत्न है !
ReplyDeleteहा हा हा तीखा व्यंग
ReplyDeleteअर्थ हावर ..
ReplyDeleteये क्या है?
एक बीच रास्ते खड़ी गाड़ी को धक्का मारकर आया हूँ, कहीं उन्होंने आपका ब्लॉग तो नहीं पढ़ लिया था।
ReplyDeleteएक घंटे गाड़ी न चलायेंगे तो कुछ बिगड़ेगा नहीं. :)
ReplyDeleteअजी एक घंटा?... अजी इंजन बन्द कर के किसी अच्छे से होटल मै खाना खाये
ReplyDeleteमैं तो हेडलाईट बन्द कर देता हूं अक्सर और बिजली बचा लेता हूं.
ReplyDeleteबिजली बचाने के लिये अच्छा प्रयास , किंतु कुछ सवाल -
ReplyDelete१-तमाम समारोहों में सजावट के नाम पर
२-आई पी एल के रात्रिकालीन मैच में
३-बड़े बड़े होट्लों और आलीशान दफ़्तरों में
बिजली का कितना दुरुपयोग होता है , इसे रोकें तो अर्थ आवर की आवश्यकता नही होगी ।
अजय जी ने काफी कुछ कह दिया है.........
ReplyDeleteकुंवर जी,