कल मेरे ब्लॉग पर एक टिप्पणीकार ने निम्नलिखित टिपण्णी दी , तो सोचा क्यों न उनकी ख्वाइश के मुताविक आज मैं भी एक अच्छी पोस्ट लिख डालूँ ;
Kumar Jaljala said...
"महीने दो महीने में एकाध पोस्ट अच्छी भी लिखो करो गोदियाल साहब। सब लोग वेरी गुड-वेरी गुड कर सकते हैं क्योंकि आप इनकी पोस्टों पर जाकर वेरी गु़ड और हा... हा.. हा...करते हो। इससे ब्लाग जगत का कोई फायदा नहीं होने वाला। बाकी आपकी फोटो देखने से तो लगता है कि आप समझदार हो।"
ये जनाव , वैसे तो जाने पहचाने और डाक्टर घोटा विरादरी के अच्छे लोगो में से सुमार है, और पहले भी ब्लॉग जगत पर अपनी किस्मत बहुत से फर्जी नामो जैसे राहुल, निखिल, रोहित इत्यादि से आजमा चुके है , लेकिन ख़ास सफलता इन्हें हासिल नहीं हुई ! आइये इसबार हम सब मिलकर खुदा से इनके लिए यह दुआ मांगे कि खुदा इन्हें सदबुद्धि दे, और ये एक सफल ब्लॉगर बने !
अब आपको अपनी एक आप बीती सुनाता हूँ ;
सुबह तैयार होकर जब घर से दफ्तर या अपने किसी गंतव्य की और ड्राइव करते हुए निकलों तो शुरु होती है दिल्ली की भीड-भाड वाली सड़क, आगे-पीछे दांये-बाएं से रेंगती गाडिया, बायाँ हाथ गियर पर, दांया हाथ स्टेयरिंग पर, बांया पैर कभी कलच के ऊपर, कभी कलच के बगल में नीचे, और एक्सीलेटर तथा ब्रेक के ऊपर कत्थक डांस कर रहा होता है दायिना पैर , नजरें कभी सामने सड़क पर तो कभी साइड मीरर पर ! बस, यही सब कुछ चलता है घर से मंजिल तक के सफ़र की जद्दोजहद में !
अभी कुछ दिन पहले की बात है, घर से जब दफ्तर के लिए निकला था तो इस बात का ज़रा भी अहसास नहीं था कि मेरे संग एक और प्राणी भी यात्रा कर रहा है ! हल्के-फुल्के जाम में गाडी करीब ३५-४० की स्पीड पर थी, कि अचानक मुझे लगा कि मेरे दाहिने पैर में कुछ हलचल हो रही है, सोचा कि हो सकता है कि दाहिने पैर की एक्सीलेटर और ब्रेक पैडलों के ऊपर हो रही एक्सरसाइज की वजह से कोई नस-वस फड़क रही होगी ! करीब तीन मिनट बाद फिर वही हलचल हुई, और अचानक किसी जीव के मेरे घुटने की तरफ धीरे-धीरे बढ़ने का अहसास हुआ ! मैं तिलमिला कर रह गया कि क्या करू, एक तो गाडी जाम में थी, तुरंत कहीं अगलबगल साइड लगाकर रोक भी नहीं सकता था, जहां था अगर वहीं ब्रेक मार देता तो पीछे वाले हार्न बजा-बजा के जीना हराम कर देते !
एक अच्छे पर्वतारोही की भांति वह प्राणी धीरे-धीरे टांग में ऊपर की ओर चड़ता जा रहा था! इस अचानक आई मुसीबत से कैसे निपटू यही सोच रहा था कि उस जीव ने अपनी कंटीली टांगों से अपनी गति बढ़ा दी ! मैंने भी आव देखा न ताव, और पैंट के बाहर से ही अपनी जांघ पर जनाव को धर धबोचा! मगर इस कुश्ती के दरमियान ध्यान बंट जाने से अपने आगे चल रही मारुती ८०० के बम्पर को हल्के से ठोक दिया ! बस फिर क्या था, इधर मैं अपनी गाडी की ड्राविंग सीट पर कॉकरोच महाराज को अपनी पैंट के अन्दर जांघ पर दबोचे बैठा था, और उधर उस मारुती ८०० में सफ़र कर रहे दम्पति, जोकि ३०-३२ की उम्र के रहे होंगे , बाहें बिटोते हुए अपनी गाडी से उतर कर अपनी मधुर बाणी में शब्द्कीर्तन करते हुए मेरी गाडी की ड्राइविंग सीट वाली विंडो की तरफ बढे !
ए सी चला होने की वजह से खिड़की का शीशा बंद था, वरना तो जिस हाव-भाव में वे दिख रहे थे, तो गाडी के बाहर से ही मेरा कचूमर निकाल देते ! मैंने चेहरे पर शान्ति बनाए रखते हुए उन्हें बांये हाथ से कुछ इशारा किया! चूँकि दाहिने हाथ ने 'कॉकरोच श्री' को दबोच रखा था इसलिए उस हाथ से गाडी का दरवाजा भी नहीं खोल सकता था , फिर बाएं हाथ से दरवाजे को खोला और आहिस्ता से पैर बाहर निकाला ! वे दम्पति महोदय बोले ही जा रहे थे और साथ में मेरे सब्र की भी शायद अन्दर ही अन्दर दाद भी दे रहे होंगे कि इतना सुनने के बाद भी इस बेशर्म शख्स ने अभी तक एक भी शब्द जुबां से नहीं निकाला! राह चलते कुछ और तमाशबीन भी इर्द-गिर्द खड़े हो गए थे! मैं धीरे से बाहर निकल एक तरफ आधा झुकी हुए स्थिति में ही खडा हो गया ! और फिर मैंने उस भीड़ में खड़े उस दम्पति को अपनी तरफ बुलाया और बोला, सॉरी , आप लोगों को तकलीफ हुई , इसके लिए क्षमा चाहता हूँ , मगर आप इधर देखिये , मैंने बाए हाथ से उस ओर इशारा किया जिस तरफ दाहिने हाथ से जांघ के ऊपर कॉकरोच को पकडे रखा था ! सभी की नजर अब उसी तरफ थी , मैंने धीरे से बांये हाथ से अपनी पैंट के उस हिस्से को थोड़ा ऊपर उठाते हुए कॉकरोच को छोड़ा, तो वह एकदम सड़क पर आ गिरा और तेजी से एक तरफ को भागा !
उस विषम परिस्थिति में भी हल्की सी मुस्कान चेहरे पर लाते हुए, शांत स्वर में मैंने उन दम्पति महोदय से पूछा , अब आप ही बताइये कि खुदा न करे , अगर यह कॉकरोच आपके घुस गया होता तो आप क्या करते ? मेरे इस मासूम सवाल को सुनकर न सिर्फ वह दम्पति अपितु और वहाँ खड़े तमाशा देख रहे लोग भी जोर से हँसे और अपने-अपने गंतव्य को चल दिए ! मैंने भी अपनी गाडी का दरवाजा खोला और पुन: ड्राइविंग सीट पर बैठ , गाडी स्टार्ट की और एक पुराने गीत को इस अंदाज में गाते हुए मंजिल की ओर चल पडा ;
अगर तुम, ड्राइव करते हुए कहीं जा रहे हों, और कॉकरोच घुस जाये............... !