'कॉमन वेल्थ' यानि जतो नाम ततो गुण! सचमुच कुछ लोगो के लिए तो यह मानो हड़पने हेतु कॉमन वेल्थ जैसी ही है। यह किसी की व्यक्तिगत वेल्थ नहीं, बस कॉमन वेल्थ है। देश ने कॉमन वेल्थ के नाम से जिस सफ़ेद हाथी को पाला था। जब यह पैदा हुआ था तो लोगो को इसके माध्यम से बड़े-बड़े सब्जबाग दिखाए गए थे। उन्हें इसकी पीठ पर बिठाकर दिल्ली में सरपट दौड़ाने के ख्वाब दिखाए गए थे, दिल्ली वाले भी खूब उत्साहित थे, मगर इन फस्ट अप्रैल के मारों को ये नहीं मालूम था कि हाथी खरीदना आसान है, पालना मुश्किल। यहाँ की सडको पर हाथी तो क्या चूहा भी सरपट नहीं भाग पा रहा । हाँ , जनता के पैसों और जान की कीमत पर इन्होने जिस सफ़ेद हाथी को पाला पोसा और बड़ा किया, उसे ये खुद ही नोचने लगे है। स्थिति यह है कि अब वह भी मरियल सा हो गया है। इन्हें मालूम है कि मरा हुआ हाथी भी लाख का होता है, मांस में जब ख़ास कुछ नहीं बचेगा तो गिद्ध दृष्ठि अभी से अस्थि-पंजरों पर चली गई है। और कॉमन वेल्थ खेल गाँव में जो दो कमरों का फ्लैट आम जनता के लिए एक करोड़ के आस पास का रखा गया था, सुना है कि वहां पर उससे भी उच्च स्तर का फ्लैट निकट भविष्य में इन्हें मुफ्त में मिलने वाला है।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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पैसों की बर्बादी आप भारत सरकार से सीख सकते हैं. अब जहां तंत्र में लूटने वाले लोग बैठे हों तो फिर इस तरह की बातें तो होंगी ही।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया चित्र खींचा है आज तो!
ReplyDeleteबहुत सही कहा!!
ReplyDeleteयहाँ की सडको पर हाथी तो क्या चूहा भी सरपट नहीं भाग पा रहा
ReplyDeletebilkul thik kaha aapne
yaha ki sadko ki badhaali jagjahir hain
thekedaar material kha jata h aur sadke intejaar me rah dekhti rah jaati hain.
सही कहा जी
ReplyDeleteप्रणाम
सटीक निशाना
ReplyDeleteसच कह रहे हैं गौदियाल जी ....
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