...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सहज-अनुभूति!
निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना, कि...
-
पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
-
आज तडके, दूर गगन में, एक अरसे के बाद, फुरसत से, सूरज अपनी महबूबा, चाँद से मिला, और कुछ पलों तक दोनों एक दूसरे को निहारते रहे, जी...
-
स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
दोनों समझ कर पढ़ ली
ReplyDelete@ संदीप पवाँर (Jatdevta):
ReplyDeleteशुक्रिया, आभार !
महोदय, किसी भी सभ्यता की समय-तालिका अथवा वर्ष-तालिका का सम्मान रखते, विश्व में इसवी सन दिनांक 21-12-2012 अभी पूर्ण नहीं हुयी । कुछ राष्ट्रों में अभी अभी ही सूर्योदय हुआ है और अगले कुछ कलाको तक कोई ना कोई भू भाग में लगातार सूर्योदय होता रहेगा। इसके पश्चात सूर्यास्त और तत्पश्चात रात्रि के 12.01 बजे अ-प्रलय की पुष्टि संभव है । अ-प्रलय के चलते कुछ महत्वपूर्ण कार्य भी करने होंगे, अब आपको तो अनुमान होगा इस बात का । कृपया धैर्य रखे और आस्था-प्रार्थना बनाये रखें ।
ReplyDelete@uchchairghosh :
ReplyDeleteढाढस बंधाने हेतु आभार सर जी :)
तेल की धार तो जगह पर ही गिरी है..
ReplyDeleteफिर तो कालिए के लिए प्रलय निश्चित है। :)
ReplyDeleteबढ़िया लेखन, बधाई !!
ReplyDeleteतारीख पे तारीख...
ReplyDeleteहा हा ... कालिया तो गया ...
ReplyDelete