बालकनी अथवा
घर की खिडकी से
बाहर गली में झांकना ,
यानि कि
दो सम्भाव्यताओं का उदय।
या तो चक्षुओं को
सकून अथवा पीड़ा का अनुभव ,
या फिर कानों को कटु-मीठी श्रुति प्राप्ति ॥
पड़ोस के मकान की छत पर,
कोई चांद टहलता सा दिखे ,
तो चक्षुओं को सकूँ मिलना निश्चित।
और यदि नीचे गली में
खम्बे की ओंट मे खड़ा
कोई चकोर भी नजर आये
तो मधुर कर्ण-श्रुति प्राप्ति संभव ॥
किन्तु, यदि अचानक,
उस खुशनुमा वातावरण को
प्रदूषित करने हेतु
अमावस्या छत पर आ जाये ।
चकोर फुदककर भाग खड़ा हो ,
चांद दुबककर कहीं छुप जाए
तो कानो को कटु श्रुति
और चक्षुओं को पीड़ा का अनुभव होना अपरिहार्य ॥
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