यह तो सभी जानते है कि 'फूट डालो और राज करो', यह गुरु-मन्त्र कौंग्रेस को विरासत में अंग्रेजो से मिला था, मगर वोट के लिए वे इतने छोटे दर्जे की राजनीति पर उतर आयेंगे कि इनके सिपहसलार यह भी भूल जांए कि उनके इस गैर-जिम्मेदाराना कदम से देश की सुरक्षा पर क्या असर पडेगा, तो निश्चित तौर पर यह सब इस देश के लिए एक चिंता का विषय है ! तुष्टीकरण और वोट बैंक की अपनी राजनीति के तहत कौंग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने जिस तरह आजमगढ़ के संजरपुर जाकर उन परिवारों से मिलकर , जिनके घर के युवा दहशतगर्दी में आरोपित हैं, बाद में बटला हाउस मुठभेड़ पर सवाल उठाते हुए यह कहा कि उन्होंने खुद बाटला हाउस में हुए मुठभेड़ में मारे गए दो युवकों के फोटोग्राफ देखे थे, जिसमें एक लड़के की सिर में गोली लगी थी, मुठभेड़ में सामने से गोली चलेगी तो पेट या सीने में लगेगी न कि सिर पर !
अब इनके इस बयान को हास्यास्पद न कहा जाए तो और क्या कहेंगे ? इन जनाव को इतना भी अहसास नहीं कि जब सामने से गोलियों की बौछार आ रही हो तो निशाने पर खडा व्यक्ति अपने को बचाने के लिए स्वाभाविक तौर पर सिर नीचे झुकाता है, और यदि पहले ही पेट में गोली लग गई हो तो गिरते वक्त आगे को झुकता है, तो सिर पर गोली लगना लाजमी है ! मगर लगता है, वोट बैंक ने इनकी इतना सोचने की क्षमता भी ख़त्म कर दी है ! IBN7 की ताजा खबर के मुताविक, किरकिरी होते देख श्री सिंह ने अब कहा है कि उन्होंने आजमगढ़ जाने के लिए श्रीमती सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी से अनुमति ली थी ! अगर यह बात सच है तो विषय और भी चिंताजनक हो जाता है, क्योंकि श्रीमती सोनिया गांधी यह भूल रही है कि मुठभेड़ के समय केंद्र और राज्य दोनों में उन्ही की सरकार थी, जिन्हें वे खुद ही परोक्ष रूप से चला रही है ! और यदि मुठभेड़ झूठी थी, तो उनकी नैतिक जिम्मेदारी क्या बनती है? खैर, कौंग्रेस की इस राजनीति से तो सभी वाकिफ है मगर आश्चर्य इस बात का है कि हमारे इन तथाकथित सेक्युलरों के मुह पर क्यों ताले लगे है? अगर यही सब कुछ बीजेपी ने किया होता तो अब तक इनका संगीत फुल वोल्यूम पर होता !
अब इनके इस बयान को हास्यास्पद न कहा जाए तो और क्या कहेंगे ? इन जनाव को इतना भी अहसास नहीं कि जब सामने से गोलियों की बौछार आ रही हो तो निशाने पर खडा व्यक्ति अपने को बचाने के लिए स्वाभाविक तौर पर सिर नीचे झुकाता है, और यदि पहले ही पेट में गोली लग गई हो तो गिरते वक्त आगे को झुकता है, तो सिर पर गोली लगना लाजमी है ! मगर लगता है, वोट बैंक ने इनकी इतना सोचने की क्षमता भी ख़त्म कर दी है ! IBN7 की ताजा खबर के मुताविक, किरकिरी होते देख श्री सिंह ने अब कहा है कि उन्होंने आजमगढ़ जाने के लिए श्रीमती सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी से अनुमति ली थी ! अगर यह बात सच है तो विषय और भी चिंताजनक हो जाता है, क्योंकि श्रीमती सोनिया गांधी यह भूल रही है कि मुठभेड़ के समय केंद्र और राज्य दोनों में उन्ही की सरकार थी, जिन्हें वे खुद ही परोक्ष रूप से चला रही है ! और यदि मुठभेड़ झूठी थी, तो उनकी नैतिक जिम्मेदारी क्या बनती है? खैर, कौंग्रेस की इस राजनीति से तो सभी वाकिफ है मगर आश्चर्य इस बात का है कि हमारे इन तथाकथित सेक्युलरों के मुह पर क्यों ताले लगे है? अगर यही सब कुछ बीजेपी ने किया होता तो अब तक इनका संगीत फुल वोल्यूम पर होता !
सरकार सेक्युलरों की, भोंपू बजाने वाले सेक्युलर, काम सेक्युलरों जैसा हुआ है तो मुँह में ताला ही लगेगा ना.
ReplyDeleteयह साले कांग्रेस वाले... बिन पेंदे के लोटे हैं.... फ़िज़ूल में सबके रहनुमा बने हुए हैं.... यह लोग खुद आतंकवाद का सपोर्ट कर के .... सब मुसलमानों को आतंकवादी कह रहे हैं.... और मुसलमान तो और तीन हाथ आगे हैं.... अरे! जब कोई आतंकवादी है तो है.... इनका किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं होता है.... मुसलमानों को शिक्षा की बड़ी ज़रूरत है... नहीं ऐसे सो काल्ड सेकूलर बहकाते रहेंगे.... और यह लोग बहकते रहेंगे....
ReplyDeleteजबकि आप यह देखेंगे ...कि बी.जे.पी. के राज में मुसलमान ज्यादा सिक्युर था... कोई इशु नहीं था... और हर जगह मुसलमान टॉप कर रहा था... बी.जे.पी. के ही राज में सबसे ज्यादा नौकरियां मुसलमानों को मिली थीं....तीन साल सिविल सेवा में मुसलमानों ने ही टॉप किया था... रेलवेज़, पुलिस, बैंकिंग.... आर्मी... हर जगह मुसलमान बराबरी पर था... सिर्फ यह सेकूलर लोग दहशत बैठा कर... इन लोगों को बरगला रहे हैं.... जबसे यह कांग्रेस आई है... तबसे रोज़ कोई ना कोई बात होती ही रहती है...
कॉँग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जो सबको साथ लेकर चल रही है!
ReplyDeleteशरम आती है ऐसे लोगों पर और इनकी घिनौनी राजनीति पर
ReplyDeleteमैं पहले भी कह चुका हूं, आगे भी कहूंगा… कि सेकुलरिज़्म का लबादा ओढ़कर इस देश में कुछ भी किया जा सकता है,,, "देशद्रोह" भी, फ़िर भी माफ़ हो जायेगा…
ReplyDelete@ शास्त्री जी, जोक पसंद आया !
ReplyDeleteमहफूज भाई गाली नही बकते हैं?
ReplyDeleteसभी के रिश्तेदार विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में है!
राजनीति की दलदल में कोई भी पार्टी पाक-साफ नही है!
आदरणीय शास्त्री जी....
ReplyDeleteगाली लिखने के लिए माफ़ी चाहता हूँ... थोडा रौ में लिख बैठा... माफ़ी चाहता हूँ....
मैं सिस्टम से बहुत परेशां हूँ...... इसीलिए ज़बान खराब हो ही जाती है... माफ़ी चाहता हूँ....
अब देखिये ना... उत्तर प्रदेश पी.सी.एस. में सेलेक्शन होने के बावजूद भी आज तक जोइनिंग नहीं मिली है.... अगर सही समय पर जोइनिंग मिल जाती तो आज कहीं का डी.एम. होता.
ReplyDeleteमहफूज भाई, वाकई आपके धैर्य को नमन ! अगर कोई और होता या फिर उ.प. में बीजेपी सत्ता में होती तो अपने ही बहुत सारे सेक्युलर यह आरोप मढ़ चुके होते कि इनके(संघियों ) राज में अल्पसंख्यको के साथ भेदभाव हो रहा है !
ReplyDeleteआपको मालूम होना चाहिए कि जो 'खालिस धर्मनिरपेक्ष' होते हैं, वो लिखते कम सुनते ज्यादा हैं। यहां यह भी जोड़ लें; ये लोग तस्लीमा के मुद्दे पर मुंह बंद रखते हैं लेकिन फिदा हुसैन पर... क्या कहूं।
ReplyDeleteऐसी हरकतें करके कांग्रेस क्या हासिल करना चाहती है ? खुद धर्म की राजनीति करते हैं , दूसरे को साम्प्रदायिक कहते हैं ।
ReplyDeleteसच कह रहे हैं ........ मीडीया ने इस बात को इतनी मजबूती से नही उठाया .......... आख़िर मैडम का राज है .........
ReplyDeleteनो कमेंट!
ReplyDeleteअरे सर ऐसा सच मत कहिये... आलाकमान नाराज़ हो जायेगा... वो ग़ज़ल नहीं सुनी क्या?-- 'सच्ची बात कही थी मैंने... लोगों ने सूली पे चढ़ाया.... मुझको ज़हर का जाम पिलाया...'
ReplyDeleteजय हिंद... जय बुंदेलखंड
गोदियाल जी! राजनीति के विषय में अपने तो अज्ञानी ही हैं फिर भी इतना अवश्य जानते हैं कि आपने सही लिखा है कि "फूट डालो और राज करो', यह गुरु-मन्त्र कौंग्रेस को विरासत में अंग्रेजो से मिला ..."।
ReplyDeleteदिग्विजय जी से मध्यप्रदेश में कुछ करते न बना तो अब आला कमान को कुश करने के लिये (तुष्टीकरण) आजमगढ चले गये पर पांसा उलटा पड गया । पार्टी कोई भी हो वोटों की राजनीती कर के सत्ता में जमे रहना ही असली मकसद है ।
ReplyDeleteअपन देश में तो एक ही राज परिवार है. वैसे भी गांधी जी ने अपना ठेका सिर्फ नेहरु को दिया था. नेहरु जी तो ज्ञानी आदमी थे, विदेशी नवाबों के संगत में थे. सारे फार्मूले वे जानते थे. इंदिरा जी से सोनिया और प्रियंका तक ये फार्मूले पहुँच गए. लेकिन अपने भोंदू राजुकुमार इन फार्मूले पर चलना नहीं सीख पा रहे हैं. ये तो चमचे की फ़ौज है सो वे मैदान में कूद गए.
ReplyDeleteमजाल है कोई और जमीनी कांग्रेसी नेता अपने इस देश का नेत्रित्व अपने हाथ में ले ले.
बहरहाल सेकुलरों को भड़कने के लिए एक इशारा काफी होता है. मगर असली चाभी तो विदेशों में गिरवी रखी हुई है.