Tuesday, February 23, 2010

होली पर एक धमकी भरी गजल !

हिम्मत बा तोहरा में त अबकी तू,
गुजर कर देख हमार गली से,
नाम हमरा मुंती ना गर,
मरवा न देत तोहरा के कौनो नक्सली से!

डराय करत रहनी जो कबो तोरा से,
समझिएगा न हमका वो मुंती,
खूब चलत है अब आपन,
पूरा आदिवासी विरादरी हमरी है सुनती !

गुलाल डालकर छेड़ना तो दूर,
अब के सूरत देख ले हमार भली से,
नाम हमरा मुंती ना गर,
मरवा न देत तोहरा के कौनो नक्सली से!

तू अब इ न समझि ,
बन्दूक चलावे के सिर्फ तोहरे के आवत बा,
ए.के. सैंतालीस चलावेके,
अपने किशनजी हमरो के सिखावत बा!

खूबे बर्जिस हम हूँ करत बानि,
पहलवान कम नाही कौनो खली से,
हिम्मत बा तोहरा में त अबकी तू,
गुजर कर देख हमार गली से !

नाम हमरा मुंती ना गर,
मरवा न देत तोहरा के कौनो नक्सली से!!


भोजपुरी नाम-मात्र की जानता हूँ, अत: भाषाई त्रुटियों के लिए अग्रिम क्षमा !

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।