Friday, February 26, 2010

नफरत बसाने से फायदा क्या !

दर्द जुबाँ पे आने दो  
दबाने से फायदा क्या ,
अश्रुओ को छलक जाने दो 

छुपाने से फायदा क्या।  

खिला फूल किसे नहीं भाता
मुरझाने  से फायदा क्या ,
रख पाओ तो  खिला चेहरा  
सुजाने  से फायदा क्या।  

ज़िन्दगी को  नजदीकियां मिलें ,,
दूरियां बढ़ाने से फायदा क्या,

सुर ही भटक जाएँ रियाज में,
तो नज्म सुनाने से फायदा क्या।

भला है हाथ बटाना किसी संग
टांग अड़ाने से फायदा क्या ,
प्यार समायोजन की  गुंजाइश हो,
तो
नफरत बसाने से फायदा क्या। 

1 comment:

  1. ... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

    ReplyDelete

मौन-सून!

ये सच है, तुम्हारी बेरुखी हमको, मानों कुछ यूं इस कदर भा गई, सावन-भादों, ज्यूं बरसात आई,  गरजी, बरसी और बदली छा गई। मैं तो कर रहा था कबसे तुम...