इस ब्लॉग जगत पर कल दुबे जी का आलेख कि क्या आप हिन्दू है, एवं चिपलूनकर जी का आलेख कश्मीर का रजनीश पढा तो मन व्यथित था! आज यह खबर का टुकडा हाथ लगा तो सोचा कि क्यों न आपके साथ शेयर करू और ब्लॉग पर ठेल दूं ! अपने इन हिन्दुस्तानी भाइयों को जो इस धर्म की बखिया उदेड़ने से ज़रा भी नहीं चूकते, कुछ तो ज्ञान प्राप्त होगा ! एक कहावत है कि हीरे की परख जौहरी ही कर पाता है, और हीरा हीरा ही होता और रहता है, चाहे देर सबेर ही लोग उसकी महता को समझे ! मैं लोगो की भांति यह तो दावा नहीं करूँगा कि हमारा धर्म तीब्रगामी और सबसे तेज है मगर यह जरूर कहूंगा कि कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमा हमारा !
आपने मथुरा और अन्य धार्मिक स्थानों पर गोरी चमड़ी के श्रधालुओ को तो बड़ी मात्र में देखा ही होगा लेकिन यह जानकर आपको भी खुशी होगी कि अमेरिका में लोग तेजी से हिन्दू धर्म की और इसके प्राचीनतम ग्रन्थ ऋग्वेद की महता को समझने लगे है और वहाँ की आवादी के २४ प्रतिशत लोग हिन्दू रीति के हिसाब से अपने दाह- संस्कार के पक्ष में है ! पन्द्रह अगस्त को अमेरिका की मशहूर पत्रिका न्यूज़ वीक में छपा आलेख आप खुद ही पढ़ लीजिये ;
===*We Are All Hindus Now* ===*By Lisa Miller NEWSWEEK * Aug 15, 2009 ==America is not a Christian nation. We are, it is true, a nation founded by Christians, and according to a 2008 survey, 76 percent of us continue to identify as Christian (still, that`s the lowest percentage inAmerican history). Of course, we are not a Hindu—or Muslim, or Jewish, or Wiccan—nation, either. A million-plus Hindus live in the United States,a fraction of the billion who live on Earth. But recent poll data show that conceptually, at least, we are slowly becoming more like Hindus and less like traditional Christians in the ways we think about God, our selves, each other, and eternity. The Rig Veda, the most ancient Hindu scripture, says this: `Truth is One, but the sages speak of it by many names.` A Hindu believes there are many paths to God. None is better than any other; all are equal. The most traditional, conservative Christians have not been taught to think like this. They learn in Sunday school that their religion is true, and others are false. Jesus said, `I am the way, the truth, and the life. No one comes to the father except through me.` Americans are no longer buying it. According to a 2008 Pew Forum survey, 65 percent of us believe that `many religions can lead to eternal life`—including 37 percent of white evangelicals, the group most likely to believe that salvation is theirs alone. Also, the number of people who seek spiritual truth outside church is growing. Thirty percent of Americans call themselves `spiritual, not religious,` according to a 2009 NEWSWEEK Poll, up from 24 percent in 2005. Stephen Prothero, religion professor at Boston University, has long framed the American propensity for `the divine-deli-cafeteria religion` as `very much in the spirit of Hinduism. You`re not picking and choosing from different religions, because they`re all the same,` he says. `It isn`t about orthodoxy. It`s about whatever works. If going to yoga works, great—and if going to Catholic mass works, great. And if going to Catholic mass plus the yoga plus the Buddhist retreat works, that`s great, too.` Then there`s the question of what happens when you die. Christians traditionally believe that bodies and souls are sacred, that together they comprise the `self,` and that at the end of time they will be reunited in the Resurrection. You need both, in other words, and you need them forever. Hindus believe no such thing. At death, the body burns on a pyre, while the spirit—where identity resides—escapes. In reincarnation, central to Hinduism, selves come back to earth again and again in different bodies. So here is another way in which Americans are becoming more Hindu: 24 percent of Americans say they believe in reincarnation, according to a 2008 Harris poll. So agnostic are we about the ultimate fates of our bodies that we`re burning them—like Hindus—after death. More than a third of Americans now choose cremation, according to the Cremation Association of North America, up from 6 percent in 1975. `I do think the more spiritual role of religion tends to deemphasize some of the more starkly literal interpretations of the Resurrection,` agrees Diana Eck, professor of comparative religion at Harvard. So let us all say `om.`
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
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गोदियाल जी बादलों में छुप जाने से या किसी उल्लू को न दिखाई पड़ने से सूर्य का अस्तित्व तो नहीं समाप्त हो जाता।
ReplyDelete@ गोदियाल जी-आपने अच्छी जानकारी दी जो पंथ प्रकृति के नियमो को जानते हुए उनके साथ चलता है वो ही स्थाई होता है और कभी समाप्त नही होता, ये पंथ विज्ञान सम्मत होने के कारण ही सनातन से चला आ रहा है,रही अंतिम संस्कार विधि की बात तो मान्यतानुसार जब नवीन शरीर ही धारण करना है तो पुराने की आवश्यक्ता नही रहती, माटी माटी मे ही मिल जाती है नया रुप धारण करने के लिए-आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार करके गोरे भी अब विज्ञान सम्मत पंथ की ओर अग्रसर हो रहे है।-जानकारी के लिए आभार
ReplyDeleteYes! We all are basically Hindus...... mere paas aise bahut se saboot hain jo is baat ki pushti karte hain......... chahe musalmaan ho , isaai ho....... ya phir koi bhi dharm ho......... sabki jaden hinduism mein hi hain.........
ReplyDeleteIbn batuta ki kitaab.... Al- hamidin mein is baat ka ullekh page sankhya 67 mein poore saboot ke saath hai.... jo ki pictorial language mein hai..... jiski mool bhasha moroccon hai........
agar aap islamic text bhi utha kar dekhen to kai cheezen RAM se shuru hoti hai........ aur RAm naam ka ullekh har religious text mein hai........
ForEx: RAMZAAN, RAMDHAN.......
poori detail ek post tayyar karke likhoonga.........saboot ke saath thoda waqt dijiye....... kareeb mahine bhar ka......
हिन्दू अब जागृत हो और धर्म का विस्तार करे प्रण करे अब वो किसी से दमित नहीं होंगे बल्कि अब दमन करने आये का दमन करेंगे !
ReplyDeleteयाद करे कृष्ण ने उपदेश दिया है "संघे शक्ति कल्युगे " और ये कलयुग ही है !!! भाइयो से निवेदन है आपसी भेद मिटा राष्ट्रहित में एकजुट हो!
Main yeh saabit kar doonga.....ki duniya ka har insaan............. living thing-non living thing sab basically hindu hi hain.........
ReplyDeletebas ! thoda sa waqt dijiye......
अमेरिका ही नही, धीरे धीरे पूरा विश्व भारत को अपना गुरू मानेगा।
ReplyDeleteजोर से बोलो जय श्रीराम
अभी तो अमेरिका ने ही माना है लेकिन वह दिन दूर नही जब पूरी दुनिया यह मानेगी कि हम हिन्दू थे।
ReplyDeleteहा आशावान है!
बहुत बढिया लेख है
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
जय राम जी की
HINDU ki avdharna me duniya samahit he...america ab sochne lagaa he...
ReplyDeleteहमारी भी यही चाहत है कि पुरी दुनियाँ हिन्दुत्व स्विकार करे।
ReplyDeleteहिन्दुत्व की परिभाषा ही यह कहती है कि यह एक जीवन पद्धति है। मजहब की संकीर्ण दीवारों से हिन्दुत्व को परिबद्ध नहीं किया जा सकता। एक मुस्लिम मुस्लिम होते हुए और ईसाई ईसाई होते हुए भी सिर्फ इसी जीवनपद्धति के बूते हिन्दू रह सकता है।
ReplyDeleteशेष सब महफूज़ भाई ने कह ही दिया है...
सब सब से पहले इंसान बन जाये फ़िर कुछ भी बने,
ReplyDeleteराज भाटिया जी ने बहुत अच्छी बात कही हैं......हिन्दू बनने से पहले.....इंसान बनने से शुरुआत करें वो....
ReplyDeleteये सचमुच गर्व की बात है कि शेष दुनिया नें भी हिन्दुत्व की महता को स्वीकारना प्रारंभ कर दिया है....
ReplyDeleteकिन्तु ये देखकर मन में त्रास भी होता है कि आज अपने ही देश में हिन्दू हिन्दूत्व से दूर होता जा रहा है......
sabse pahle to ye kahunga ki jeevan paddhati aur dharm aaj do alag alag cheejein maani jaane lagi hai aur is context mein dharm ka koi importance nahi rah jaata jeevan paddhati ke samne aur ethnicity jyada important ho jati hai... doosri baat ye ki pahle clear kar lein ki "SANATAN" ka kya matlab hai aur "Hindu" ka kya matlab hai.. iske baad bahas saarthak ho sakti hai.. waise baat ki baat Bhatiya sahab bol chuke hain...
ReplyDeletejai hind...
जो धर्म समय के साथ चलता है, किसी अन्य धर्म को गलत नही कहता, प्रकृति के नियमों का पालन करता है, इस नश्वर देह से अनासक्त रहना सिखाता है, वह है हिंदु धर्म । पर क्या हम हिंदू इस धर्म को सही माने में मानते हैं ?
ReplyDeleteवन्दे मातरम! यह कैसा धर्म है जो राष्ट्र धर्म के आड़े आए?
ReplyDeleteमहफ़ूज़ भाई की सोच श्रेष्ठता लिए हुए है. इनकी टिप्पणियों, लेखों में हमेशा से प्रेम और सद्भाव सर्वोपरि रहा है.
Apni ek alag soch aur apna ek alag path jisko Hindu Dharma sweekar karta hai. Ye liberty kisi aur Dharm main sweekar nahi ki jati. Mahashakti aur Antim Sach (Truth & Spiritual Power) sirf Hindu Dharm ka darshan hai. ...Bhaut khoob bhai....
ReplyDeleteअरे वाह, आपने बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई। शुक्रिया।
ReplyDelete------------------
परा मनोविज्ञान- यानि की अलौकिक बातों का विज्ञान।
ओबामा जी, 75 अरब डालर नहीं, सिर्फ 70 डॉलर में लादेन से निपटिए।
बहुत बढ़िया पोस्ट लिखी है आपने।मै भी ऐसा ही मानता हूँ कि हम अपनी मान्यताओ की तुलना.....दूसरों से करना क्युँ चाहते हैं क्या हमे पता नही की हमारी मान्यता हमारे लिए क्या महत्व रखती है।.....
ReplyDeletehello
ReplyDeleteMujhe jaana hai ki shashidhar naam ka matlab kya hota hai agar aap bata saketo
Mehrbaani hogi
Plz
Thanks
www.escortsdelhiindia.com
ReplyDeleteWww.elitedelhiescorts.com