आप लोगो ने भी अकसर यह सुना होगा कि फलां-फलां महत्वपूर्ण प्रोजक्ट मे तकनीकी जटिलताओ के कारण फलां फलां देश ने चीन, जापान, अमेरिका और युरोप के इन्जीनियरों की मदद ली। लेकिन यह बहुत ही कम सुना होगा कि उन्होने उस खास काम के लिये भारतीय इंजीनियरों की भी मदद ली । इसका मतलब यह कदापि नही निकाला जाना चाहिये कि हमारे देश मे इतने कुशल और गुणवान इंजीनियर नही है, जिनकी ये सेवायें ले सके। हमारे देश मे भी एक से बढकर एक कुशल इंजीनियरों की भरमार है, लेकिन उनमे कमी है तो बस उचित अवसरों की। यहां उचित अवसर से मेरा सिर्फ़ यह आशय नही है कि उनको रोजगार के साधनों की उपलब्धता, बल्कि उन्हे नये-नये तकनीकी शोध के पर्याप्त अवसर और साधन मुहैया कराना, ताकि वे अपनी प्रतिभा को निखार सके। अब फिर सवाल यह उठ्ता है कि उचित अवसर मुहैया कराना किसकी जिम्मेदारी है ? सीधी सी बात है कि यह जिम्मेदारी हमारी सरकारों की है, मगर फिर समस्या यह है कि सरकारें तो इसे लोग चला रहे है, जिनकी देश और जनहित में कोई दिलचस्पी नहीं। अभी हाल मे महाराष्ट्र सरकार का एक बयान खासी चर्चा का विषय बना रहा था , जिसमे सरकार ने यह घोषणा की थी कि वे अरबों रुपये की लागत से मुम्बई बीच पर स्टेचु आफ़ लिबर्टी से भी ऊंचा, शिवाजी का स्मारक बनायेंगे । कितनी अच्छी सोच है , हमारे नेताओं और नौकरशाहों की, जो वे देश का नाम इस तरह रोशन करना चाहते है और साथ ही अपना घर भी, ठेकेदारों के मार्फ़त। मगर किसी भी महापुरुष को इस बात की ज़रा भी फिक्र नही कि दिन-प्रतिदिन पीने के पानी की भयावह होती समस्या से मुम्बई को निजात दिलाने के लिये क्यों न कोई युरोप स्थित ईडन ग्रीन हाउस प्रोजेक्ट जैसा समुद्री भाप से शुद्द पीने के पानी का प्रोजेक्ट हम भी लगाये, ताकि एक लम्बे समय के लिये मुम्बई की पानी की समस्या हल हो सके ,और साथ ही हमारे इन्जीनियरों को भी कुछ अलग सीखने का मौका मिल सके। ताकि आगे चलकर देश के अन्य भागों मे भी उसी तरह के प्रोजक्ट को कार्यान्वित किया जा सके।
लेकिन नही, अगर ये सभी समस्यायें इस तरह हल हो गई तो हमारे ये नेता अगली बार वोट किस मुद्दे पर लडेगें ? यूपी का भी एक ताजा उदाहरण देता हूं, अभी पिछले रविवार को मेरी एक मित्र से, जोकि मायावती जी के डाई-हार्ड समर्थक है, प्रदेश में किसानो की मांगो पर चर्चा हो रही थी। मैंने बात यहाँ से शुरू की कि मायावती जी आज किसानो के हर रोने को केंद्र के मत्थे मढ़ रही है किन्तु अगर उन्हें लोगो की चिंता होती तो जो सरकारी धन उन्होंने मूर्तियों पर व्यर्थ गवाया, उसका अगर कुछ हिस्सा किसानो पर खर्च करती, तो किसान भी खुश रहते और खाद्यानों की महंगाई की समस्या से भी निजात मिलती। तो इस पर उन जनाव का तर्क सुनकर मैं दंग रह गया; एक बात बताऊ गोदियालजी, ये जो आज हम लाल किला, पुराना किला, ताज महल, क़ुतुब मीनार जैसी प्राचीन इमारतों और ढांचों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करके, हर साल अरबो रूपये इन पर खर्च कर रहे है, जब ये बने थे तो तब भी लोगो ने ऐसा ही ऐतराज किया होगा, कई लोगो के पेट काटकर, कई लोगो को इनमे ज़िंदा दफनाकर उन्होंने ये स्मारक बनाए ! अगर आज मायावती जी भी अपने जो स्मारक बना रही है, वे भी कल हमी लोग राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संजोकर रखेंगे ।
उन जनाव की बात सुन मैं भी कुछ पल के लिए निरुत्तर हो गया, बस इतना ही मुह से निकला- मेरा भारत महान !
गोदियाल साहब मैं आप की बात से सहमत हूँ. अजी यू पी,बिहार में भुखमरी ऐसे ही नहीं है एक तो जिनका जिक्र आपने किया और दूसरे कोड़ा जी
ReplyDeleteखामख्वाह ही हमलोग हल्ला करते हैं .. हमें भी अपने सोंच का दायरा ऐसा ही रखना चाहिए . कल से सभी ब्लागर अपने पेट काटकर इंटरनेट का खर्च कम कर ऐसे कार्यां के लिए चंदे भेज दिया करें .. हम सहयोग करेंगे तो नेताओं को थोडी सुविधा हो जाएगी !!
ReplyDeleteसच मुच मेरा भारत महान ............ रोज़ रोज़ की mara मारी से ही to netaon की dukaan chalti है ........
ReplyDeleteआज सभी जानते हैं कि चुनाव में जो लोग भी चुन कर जाते हैं वे जनसेवा और देशसेवा के लिये नहीं बल्कि स्वसेवा के लिये ही जाते हैं और जिन कार्यों में उनकी स्वार्थ सिद्धि होगी उन्हीं को वे जनसेवा और देशसेवा सिद्ध करके करेंगे। विडम्बना तो यह है कि हम लोग ही उन्हें चुन कर भेजते हैं।
ReplyDeleteजनता, उसमी समस्याए गयी भाड मे हमारी सरकार तो ऐसे ही चलेगी.
ReplyDeleteमेरा भारत ति बहुत महान है।जहाँ कोडा जैसे नेता होंगे महान क्यों नहीं होगा
ReplyDeleteयह हमारे देश और प्रदेश के नागरिकों की विडंबना है की उनके देश और राज्य का बागडोर ऐसे हाथो में है जिन्हे बस टालमटोल की ही आदत है..भला हैसे ऐसे विकास होगा....बढ़िया प्रसंग..धन्यवाद
ReplyDeleteकुछ नहीं होने वाला......सब ऎसा ही चलता जाएगा । जब तक इस भ्रष्टतन्त्र की जड को खत्म नहीं किया जाएगा..तब तक इस देश की राजनीति ऎसे ही कोडे,ठाकरे,मायावतियाँ को जन्म देती रहेगी....ओर साथ में पैदा करती रहेगी ऎसे अन्ध समर्थक जो कि अपनी बुद्धि को इन जैसों के चरणों में रखने को तैयार बैठे रहते हैं ।
ReplyDeleteसुन्दर जागरूकता फ़ैलाने वाला लेख है, आज ऐसे ही पोस्ट की जरूरत है हमें...
ReplyDeleteजय हिंद..