इन कोडा महाशय ने क्या महान कार्य किया इसके बारे में कुछ नहीं कहूंगा, क्योंकि कुछ बहुत ही संवेदनशील किस्म के खबरिया माध्यम, जो इसी चिंता में पतले हुए जा रहे थे कि यहाँ बहुत दिनों से कोई धमाकेदार वारदात नहीं हो रही है, और उन्हें टीआरपी की चिंता खाए जा रही थी कि अचानक बैठे-बिठाए दो मुद्दे मिल गए, एक जयपुर तेल हादसा और दूसरा कोडा ! उन्होंने पिछले कुछ दिनों में इनके पूरे बंश का की काला चिठ्ठा खोल डाला है ! अतः इनके बारे में मेरे ज्यादा कुछ कहने की जरुरत नहीं ! झारखंड राज्य बनने पर इनकी किस्मत के सितारे बुलंद हुए और यह एक आम आदिवासी से महापुरुष बन गया ! कोडा ने जो भी महान कार्य किये, उनका चिट्ठा तो अब खुलता ही जा रहा है, मगर इन्हें पाप करने के लिए मौका किसने दिया? सवाल यह है!
तथाकथित साम्प्रदायिकता और राष्ट्रवाद का विरोध करने वाले हमारे ये सेकुलर दल जिन्होंने सिर्फ बीजेपी से सत्ता छीनने के लिए झारखंड में एक नया ही इतिहास रच डाला, एक निर्दलीय को मुख्यमंत्री बनाकर, क्या वे इस बात की जिम्मेदारी लेंगे कि यह सब करके उन्होंने देश का कितना घोर नुकशान करवाया ? नहीं, इन्हें देश से क्या लेना-देना, इन्हें तो सिर्फ अपने लिए सत्ता चाहिए, वोट बैंक चाहिए, बस! एक व्यक्ति जब बीजेपी में होता है तो वह इनके लिए अछूत जैसा होता है, लेकिन जब वह बीजेपी छोड़ इनके दल में आ जाता है तो वह पवित्र हो जाता है! आपको याद होगा कि किस तरह उस समय सितम्बर २००६ के आसपास बीजेपी अपने विधायको को पाला बदलने और इनसे बचाने के लिए उन्हें दुसरे राज्यों में लेकर छुपाती फिरी थी! क्योंकि यह इंसान अपनी पाप की अंधी कमाई से उनकी खरीद-परोस्त कर रहा था ! अफ़सोस इस बात का है कि यह हम सब जान रहे होते है कि ये लोग हमारी आँखों में धुल झोंक रहे है, फिर भी हम सबकुछ अनदेखा कर जाते है !
और यह तो सिर्फ एक वाकया है, जो इसलिए सामने आ गया क्योंकि यह जनाव गुरूजी और कौंग्रेस के लिए आगामी चुनावों में ख़तरा साबित हो सकता था ! अगर इस देश का कानून और जांच एजेंसिया देश के एक-एक मंत्री और राजनेता के घर की इमानदारी से सफाई करे तो पता नहीं क्या-क्या उजागर हो जाए ! स्विस बैंक में खरबों रूपये का भण्डार ऐसे थोड़े ही पहुँच गया, कोडा तो बस एक अदनटा सा किरदार है इस पूरे रंगमंच पर! मगर हमें याद रखना होगा कि अपने फायदे के लिए कुछ राजनैतिक दल जो कुछ आज कर रहे है और ठीक उसी राह पर चल रहे है जिस राह पर हमारी राजनीति १९२०-१९४० के दशको में चली थी ! परिणाम देश ने भुगता १९४७ के रूप में ! जो ये आज कर रहे है अगर यही इनका राष्ट्रवाद है, तो मैं तो कहूंगा कि भगवान् बचाए इस देश को इनके इस राष्ट्रवाद से !
नहीं मालूम कि भारतीय राजनीति पर
भ्रष्टाचार का यह कोढ़ है या कोडा था,
इसे तो पकड़ लिया मगर उसे कौन पकडेगा ,
जिसने स्वहित में, इसको बनाया घोडा था?
फिर से यह कैसा नया यशस्वी आया है
जिसने ४ साल में ४००० करोड़ खाया है ?
हिन्दवासियों इस महापुरुष को नमन करो,
अमीर बनना है तो इसकी तरह गबन करो !
देश-वेश की कौन सोचता है , यहाँ तो
गद्दारी के बल पर हमने देश को तोडा था !
इसे तो पकड़ लिया मगर उसे कौन पकडेगा ,
जिसने स्वहित में, इसको बनाया घोडा था?
तथाकथित साम्प्रदायिकता और राष्ट्रवाद का विरोध करने वाले हमारे ये सेकुलर दल जिन्होंने सिर्फ बीजेपी से सत्ता छीनने के लिए झारखंड में एक नया ही इतिहास रच डाला, एक निर्दलीय को मुख्यमंत्री बनाकर, क्या वे इस बात की जिम्मेदारी लेंगे कि यह सब करके उन्होंने देश का कितना घोर नुकशान करवाया ? नहीं, इन्हें देश से क्या लेना-देना, इन्हें तो सिर्फ अपने लिए सत्ता चाहिए, वोट बैंक चाहिए, बस! एक व्यक्ति जब बीजेपी में होता है तो वह इनके लिए अछूत जैसा होता है, लेकिन जब वह बीजेपी छोड़ इनके दल में आ जाता है तो वह पवित्र हो जाता है! आपको याद होगा कि किस तरह उस समय सितम्बर २००६ के आसपास बीजेपी अपने विधायको को पाला बदलने और इनसे बचाने के लिए उन्हें दुसरे राज्यों में लेकर छुपाती फिरी थी! क्योंकि यह इंसान अपनी पाप की अंधी कमाई से उनकी खरीद-परोस्त कर रहा था ! अफ़सोस इस बात का है कि यह हम सब जान रहे होते है कि ये लोग हमारी आँखों में धुल झोंक रहे है, फिर भी हम सबकुछ अनदेखा कर जाते है !
और यह तो सिर्फ एक वाकया है, जो इसलिए सामने आ गया क्योंकि यह जनाव गुरूजी और कौंग्रेस के लिए आगामी चुनावों में ख़तरा साबित हो सकता था ! अगर इस देश का कानून और जांच एजेंसिया देश के एक-एक मंत्री और राजनेता के घर की इमानदारी से सफाई करे तो पता नहीं क्या-क्या उजागर हो जाए ! स्विस बैंक में खरबों रूपये का भण्डार ऐसे थोड़े ही पहुँच गया, कोडा तो बस एक अदनटा सा किरदार है इस पूरे रंगमंच पर! मगर हमें याद रखना होगा कि अपने फायदे के लिए कुछ राजनैतिक दल जो कुछ आज कर रहे है और ठीक उसी राह पर चल रहे है जिस राह पर हमारी राजनीति १९२०-१९४० के दशको में चली थी ! परिणाम देश ने भुगता १९४७ के रूप में ! जो ये आज कर रहे है अगर यही इनका राष्ट्रवाद है, तो मैं तो कहूंगा कि भगवान् बचाए इस देश को इनके इस राष्ट्रवाद से !
नहीं मालूम कि भारतीय राजनीति पर
भ्रष्टाचार का यह कोढ़ है या कोडा था,
इसे तो पकड़ लिया मगर उसे कौन पकडेगा ,
जिसने स्वहित में, इसको बनाया घोडा था?
फिर से यह कैसा नया यशस्वी आया है
जिसने ४ साल में ४००० करोड़ खाया है ?
हिन्दवासियों इस महापुरुष को नमन करो,
अमीर बनना है तो इसकी तरह गबन करो !
देश-वेश की कौन सोचता है , यहाँ तो
गद्दारी के बल पर हमने देश को तोडा था !
इसे तो पकड़ लिया मगर उसे कौन पकडेगा ,
जिसने स्वहित में, इसको बनाया घोडा था?
Sahii bat hai jimmedar to vahii hai jisne gadhe ko ghoda banaya.
ReplyDeleteपकडा गया तो चोर , नहीं तो माननीय
ReplyDeleteआज आपकी कविता में बहुत आक्रोश भरा है ........ सच लिखा है ऐसे लोग कोड हैं राजनीति में और कोग्रेस ऐसे कोड को अपने फायदे के चलते पोषित करती रहती है ........
ReplyDeleteरुपयों का पड़ गया तोड़ा
ReplyDeleteउसने जब खजाना फ़ोड़ा
जब जांच का आया घोड़ा
तो बेहोश हो गया कोड़ा
ये सब कोड़ा की पैतृक सम्पति है( मतलब बनने वाली थी)उसने "हक से मांगा था"
बिलकुल सही सोच अब इन्हें रोकेगा कौन ?
ReplyDeleteइसे तो पकड़ लिया मगर उसे कौन पकडेगा ,
ReplyDeleteजिसने स्वहित में, इसको बनाया घोडा था?
शायद यह भी तो छोटी मछली है
बडी मछलियाँ तो अभी भी --
मेरी काव्य- टिप्पणी यह है ...
ReplyDeleteयह तो देश का
फोड़ा है |
कॉमन नाउन
कोडा है ||
कोडा एक जाति का नाम है |
नेता जाति ...
अच्छा लेखन ...
आपके जज्बात को पढकर अभिभूत हूं।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
यह हमारे लोकतंत्र के रहनुमाओं की असली तस्वीर है ! फिर भी हम उन्हें चुनते हैं !
ReplyDeleteसही कहा आपने ..........यह तो एक छोटी मछ्ली है बडी मछ्लियो को कौन पकडेगा!
ReplyDeleteयह एक बडी समस्या है !
जाने कब वो दिन आयेगा?या आयेगा भी या नही!एक बडी समस्या है !
इन पर तो कोढा चलना चाहिए:)
ReplyDeleteअब समझ में आया कि
ReplyDeleteकोड़ा ने अपना नाम मधु क्यों रखा!
आप ने बिलकुल सही लिखा... लेकिन क्या लाभ कल यह उसी पार्टी के लिये लडेगा तो फ़िर से सब माफ़..... अभी तक लालू जेसो का क्या हुआ??? जो कोई इस कोडा का कर लेगा.
ReplyDeleteधन्यवाद
इसे तो पकड लिया मगर उसे कौन पकडेगा
ReplyDeleteजिसने इसको बनाया घोडा था ।
बहुत सही परमाया आपने । यह तो महज़ एक प्यादा होगा राजा और वजीर और हाथी और ऊँट भी होंगे ।
कृपया परमाया की जगह फरमाया पढें ।
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