इस कदर करता
किस बात पर अभिमान है ,
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है।
भाई-भतीजा, गांव-गदेरा,
जाना तय है और
अन्तकाल मा कोई न तेरा,
फिर किस बात का,
तुझे इतना गुमान है।
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है।।
अच्छा -बुरा नीति-अनीति ,
इनमे से ही है तय करना,
निष्पादन जैसा ,
प्रतिफल भी वैसा ही भरना,
कुछ ऐसा ही जगत का
अपना एक विधान है।
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है।।
चरित्र मुट्ठी में बंद बालू है
फिसल न जाये,पकड के रख,
प्रतिष्ठा गतिवान है
खिसक न जाए ,जकड के रख,
लोभ की आंधियो में
जो डगमगाये वो ईमान है।
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है ।।
सत्य को पकड के रख
ReplyDeleteजरुरत से ज्यादा चिकना है यह
कब हाथ से फिसल जाये पता नही ॥
बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है और सच्चाई बयान करती है!
"अच्छा और बुरा ,
ReplyDeleteइन्ही दोनो मे ही तुझे कुछ करना,
यह भी तय है कि जैसा करेगा,
प्रतिफल भी है उसका भरना,"
सुन्दर!
किन्तु;
आज के जमाने में यदि
तू अच्छा करेगा
तो यह भी समझ ले कि
हरदम भूखा ही मरेगा
और यदि बुराई
के रास्ते को चुनेगा
तो निश्चय जान कि
जल्दी ही धनकुबेर बनेगा
यहां बर्गलाने को,
ReplyDeleteस्वार्थ की आंधियां बहुत चलती है,
इसमे जो डगमगा गया ,
वही तो तेरा ईमान है !
बहुत सुंदर,
लेकिन अवधिया जी अभी से ही बरगलाने लगे,
ये "रंडापा" काटने दे तो..............
बहुत अच्छा लिखा
ReplyDeleteबहुत सटीक और चिकना सत्य कहती रचना. एक एक शब्द बोल रहा है. नमन है आपको.
ReplyDeleteरामराम.
सार्थक व्यंग्य।
ReplyDelete------------------
भीड़ है कयामत की, फिरभी हम अकेले हैं।
इस चर्चित पेन्टिंग को तो पहचानते ही होंगे?
bahut hi badiya
ReplyDeleteवाह ज़नाब , पूरी गीता का सार प्रस्तुत कर दिया, चंद शब्दों में।
ReplyDeleteबधाई।
daarshnik rachna hai , achchha laga
ReplyDeleteअच्छा और बुरा ,
ReplyDeleteइन्ही दोनो मे ही तुझे कुछ करना,
यह भी तय है कि जैसा करेगा,
प्रतिफल भी है उसका भरना,
सार्थक बातें सरल और सुन्दर ढंग से
हम्म्म
ReplyDeleteसहमत हूं
चलायमान न होती तो आज हम यहां नहीं पहुंचते
आप की बात से सहमत है जी
ReplyDeleteरचना जीवन की अभिव्यक्ति है।
ReplyDeleteयहां बर्गलाने को,
ReplyDeleteस्वार्थ की आंधियां बहुत चलती है,
इसमे जो डगमगा गया ,
वही तो तेरा ईमान है !
ये दुनियां चलायमान है मूरख,
ये दुनियां चलायमान है !!
वाह्! गोदियाल जी, आपने तो इस रचना में गहरा दर्शन समेट डाला....
बहुत ही बढिया!!
मन विरक्ति से भर गया...धन्य हैं आप!!!
ReplyDeleteशानदार!
शानदार रचना !!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगी यह रचना.....
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कृपया मेरी नई पोस्ट देखिएगा.....
BAHUT HI GAHRE BHAV.
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