...धीरे-धीरे शाम का धुंधलका जमीन पर पसरने लगा था, मैं फिर चलने के लिए खडा हुआ तो वह वह भी उठ खडी हो गई। अभी तक की इस मुलाक़ात से मानो किसी अधिकार पूर्ण अंदाज में जब एक बार फिर से मैंने उसे साथ चलने का इशारा किया, तो वह भी तुरंत मेरे साथ चल दी। पार्क के बाहर खडी गाडी के पास पहुँच मैंने गाडी की ड्राइविंग सीट के बगल वाली सीट के सामने का दरवाजा खोला तो वह झट से गाडी में चढ़कर सीट पर बैठ गई। और फिर मैं ड्राइव करता हुआ इंडिया गेट पहुंचा । अब तक घुप अँधेरे में पूरा इलाका डूब चुका था, मगर इंडिया गेट पर बिखरी बिजली की रोशनी से पूरा राजपथ जगमगा रहा था। एक जगह गाडी को पार्क कर हम गाडी में ही बैठे रहे। नए साल की पूर्व संध्या होने की वजह से मैंने अपने खाने-पीने का भी पहले से ही गाडी में पूरा इंतजाम रख छोड़ा था। वहाँ घूमते लोगो, ख़ासकर नए जोड़ो को निहारते और व्हिश्की के हल्के घूंटो के साथ मैं चिकन का सेवन करता और एक चिकन पीस उसकी तरफ बढ़ा देता था। वह भी बड़े चाव से आराम से बैठ कर खा रही थी, सलीके के साथ। फिर जब अचानक आकाश में कुछ आतिशबाजी दिखी, तो मैं समझ गया कि रात के बारह बज चुके है। ड्रिंक और खाने-पीने का सामान भी समाप्त हो चुका था। हमारी दिन भर की इतनी लम्बी मुलाक़ात के बावजूद भी अब तक दोनों के बीच एक भी लफ्ज का आदान-प्रदान नहीं हुआ था, बस इशारों में ही बाते हुई थी । अत: मैंने एक बार फिर से उसके सिर पर हाथ फिरते हुए कहा 'हैप्पी न्यू इयर माई डियर', अगर मैं तुम्हे 'स्वीटी' कहकर पुकारू तो तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ? मेरा इतना कहना था कि उसने एक हल्की कूँ-कूँ की आवाज गले से निकाली और जोर से अपनी पूँछ हिलाते हुए, अपने दोनों अगले पंजे मेरे कंधे पर रखते हुए, दो बार भौ-भौ किया, तो मैं समझ गया कि इसे मेरे द्वारा दिया गया नाम पसंद आ गया है । बस फिर मैंने झट से गाडी स्टार्ट की और अपनी लिखी कविता की इन लाइनों को गुनगुनाता हुआ उसे अपने घर ले आया, और तबसे वह मेरे साथ है ;
कल उषा की पहली किरण पर
दिनकर उगेगा नव-बर्ष का,
उज्जवलित कण-कण तुषार का
जगत को पैगाम देगा हर्ष का !
साक्षी बनेगा रोशनी का बांकपन ,
भोर शीतल सुहाने दृष्ठि बंधन का,
मृदु विहगों का कलरव संगीत और
लय भरा जीवन सृष्ठि स्पंदन का !
अब और न व्यग्र जीवन होगा
अस्तित्व के संघर्ष का,
नव उमंग और नव तरंग संग
उदय होगा उत्कर्ष का !
हो सभी की इच्छाए पूर्ण
ऐसा उस उदित प्रभा को बनायें,
नूतन बर्ष की नव बेला पर
सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाये !
Wishing you & all your family members a very joyous new year-2010 !!!!
कल उषा की पहली किरण पर
दिनकर उगेगा नव-बर्ष का,
उज्जवलित कण-कण तुषार का
जगत को पैगाम देगा हर्ष का !
साक्षी बनेगा रोशनी का बांकपन ,
भोर शीतल सुहाने दृष्ठि बंधन का,
मृदु विहगों का कलरव संगीत और
लय भरा जीवन सृष्ठि स्पंदन का !
अब और न व्यग्र जीवन होगा
अस्तित्व के संघर्ष का,
नव उमंग और नव तरंग संग
उदय होगा उत्कर्ष का !
हो सभी की इच्छाए पूर्ण
ऐसा उस उदित प्रभा को बनायें,
नूतन बर्ष की नव बेला पर
सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाये !
Wishing you & all your family members a very joyous new year-2010 !!!!