...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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मौन-सून!
ये सच है, तुम्हारी बेरुखी हमको, मानों कुछ यूं इस कदर भा गई, सावन-भादों, ज्यूं बरसात आई, गरजी, बरसी और बदली छा गई। मैं तो कर रहा था कबसे तुम...
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नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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बेहद सटीक... :)
ReplyDeleteवाह .. क्या बात है ...
ReplyDeleteछापा मारने की दिल उनका चोरी हो गया ...
चोरी गयी चीज मिली या नहीं..
ReplyDeleteक्षमा सहित -
ReplyDeleteइत्तिफाक से मिल गयी, नंगा झोरी होय ।
फोटो-कॉपी से मिला, यो ही छोरी होय ।
यो ही छोरी होय, रखे दिल-बड़ी तिजोरी ।
रही रोज अब धोय, पुलिस ने पकड़ी चोरी ।
यह अंधड़ घनघोर, झरे अब अश्रु आँख से ।
बसी कहाँ प्रियतमा, डरूं इस इत्तिफाक से ।।
@भारतीय नागरिक - Indian Citizen:
ReplyDeleteतलाश जारी है............ :)
नमस्ते जी
ReplyDeleteयथार्थ की अभिब्यक्ति बहुत ही अच्छी सटीक कबिता ने बयां किया है,
वाह, दिल आया भी तो किस पर।
ReplyDeleteवाह...क्या बात है
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