कद्र जहां शान्ति की हो , वहां शान्ति का इजहार कर,
किंतु, वैरी न माने प्यार से तो, पलटकर वार कर।
हम तो सदा से शान्ति के, पथ पर ही चलते आये है,
किन्तु ऐवज मे अमूमन,जख्म ही देह ऊपर पाये है,
जिल्लत उठाई है बहुत,मुगल,फिरंगियो से हारकर,
अब अगर वैरी न माने प्यार से ,पलटकर वार कर।
आखिर इसतरह कब तक सहेंगे ,जुल्म सहना पाप है,
है दुष्ट-दानव दर पे बैठा, जो मानवता पर अभिशाप है,
छद्म युद्ध थोंपा है हमपर ,निरपराधों का नरसंहार कर,
अब अगर वैरी न माने प्यार से ,पलटकर वार कर।
बेइंसाफी की आहटों पर, चुप न बैठों नजरें फेरकर ,
दुश्मन लगे लांघने हदें जब , तो मोरो उसे घेरकर,
पहल खुद से ना हो अन्याय की, ऐंसा व्यवहार कर
अब अगर वैरी न माने प्यार से ,पलटकर वार कर।
दिन प्रतिदिन दुश्मनो का हौंसला,हो रहा उन्मत्त है,
उठ, जाग मुसाफ़िर जाग, अभी भी पास तेरे वक्त है,
कोई समझे न बात को शिष्टता से, उससे तकरार कर,
अब अगर वैरी न माने प्यार से ,पलटकर वार कर।
किंतु, वैरी न माने प्यार से तो, पलटकर वार कर।
हम तो सदा से शान्ति के, पथ पर ही चलते आये है,
किन्तु ऐवज मे अमूमन,जख्म ही देह ऊपर पाये है,
जिल्लत उठाई है बहुत,मुगल,फिरंगियो से हारकर,
अब अगर वैरी न माने प्यार से ,पलटकर वार कर।
आखिर इसतरह कब तक सहेंगे ,जुल्म सहना पाप है,
है दुष्ट-दानव दर पे बैठा, जो मानवता पर अभिशाप है,
छद्म युद्ध थोंपा है हमपर ,निरपराधों का नरसंहार कर,
अब अगर वैरी न माने प्यार से ,पलटकर वार कर।
बेइंसाफी की आहटों पर, चुप न बैठों नजरें फेरकर ,
दुश्मन लगे लांघने हदें जब , तो मोरो उसे घेरकर,
पहल खुद से ना हो अन्याय की, ऐंसा व्यवहार कर
अब अगर वैरी न माने प्यार से ,पलटकर वार कर।
दिन प्रतिदिन दुश्मनो का हौंसला,हो रहा उन्मत्त है,
उठ, जाग मुसाफ़िर जाग, अभी भी पास तेरे वक्त है,
कोई समझे न बात को शिष्टता से, उससे तकरार कर,
अब अगर वैरी न माने प्यार से ,पलटकर वार कर।
"पर दुश्मन न माने प्यार से, पलटकर तू वार कर!"
ReplyDeleteयही श्री कृष्ण ने अर्जुन से भी कहा था!
जो प्यार दे उसे प्यार करो
ReplyDeleteप्यार से ना माने उसका संहार करो
जय हिंद
अन्याय की आहट पे गर, तू खुद ही नजरें फेर लेगा,
ReplyDeleteइसे शत्रु अशक्तता समझकर, आ तुझे फिर घेर लेगा,
लोग कायर समझ बैठे , ऐंसा न कोई व्यवहार कर,
गर दुश्मन न माने विनम्रता से, पलटकर वार कर !
और आखिरी पहरा बहुत ही अच्छा लगा लाजवाब रचना है बधाई
अगर दुश्मन न माने प्यार से, पलटकर वार कर !
ReplyDeleteसत्य वचन...
आज हँसते रहो पर गाँधी जी के साथ आपकी फोटो लगाई है... http://hansteraho.blogspot.com/2009/11/blog-post_26.html
गर दुश्मन न माने विनम्रता से, पलटकर वार कर !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव, एवं सत्यता के निकट हर पंक्ति, आभार के साथ शुभकामनायें ।
Godiyal ji..... RAM....RAM....
ReplyDeleteछिपकर सदा की तरह, वैरी का तुझपर वार होगा,
खुद ही लड्ना है तुझे, कोई न तेरा मददगार होगा ,
जो समझे न बात को शिष्टता से, उससे तकरार कर,
गर दुश्मन न माने विनम्रता से, पलटकर वार कर !
in panktiyon ne dil ko chhoo liya....
bahut sunder abhivyakti....
soye huye ko jagana aasan hota hai magar jage huye ko kaise koi jagaye..........aapki koshish lajawaab hai.
ReplyDeletepls read-------http://redrose-vandana.blogspot.com
बहुत सटीक और मार्मिक अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteरामराम.
सरहदो पर हौंसला असुर का, हो रहा नित सशक्त है,
ReplyDeleteउठ,जाग मुसाफ़िर जाग, अभी भी पास तेरे वक्त है,
तू दे जबाब मुहतोड उसको, घाट मृत्यु के उतार कर,
अगर दुश्मन न माने विनम्रता से, पलटकर वार कर !
जब दुश्मन आकर छाती पर सवार हो जाएगा...तब सोच लेंगें कि कैसे निपटना है...अभी तो बस सोने दीजिए जनाब्!
सही है- हम कब तक दोस्ती का खेल खेलेंगे
ReplyDeletepalat kar tu vaar ka.......bahut achhe
ReplyDeleteहमें तो आपकी इस ब्लॉग पोस्ट पर तोप तलवार तीर ही नजर आये, लगा साक्षात युद्ध ही छिड़ गया है बहुत ज्यादा प्रभावशाली थे ये शब्द।
ReplyDeleteसही है शब्द भी तो बम बारूद जैसे ही होते हैं। पर खतरनाक बात तो ये है कि इंसान ही इनका इस्तेमाल कर पाता है। और उसके बाद 2012 नाम की फिल्म तो है ही।
मुफलिसों के तलवों जिन्दगी,
ReplyDeleteघुट-घुट के ही खो जायेगी ,
जाग मुसाफिर जाग,
वरना बहुत देर हो जायेगी,
फिर फायदा क्या,
अगर पछताना पड़े थक-हार कर,
अगर दुश्मन न माने प्यार से,
पलटकर तू वार कर !
दुशमन और प्यार.
आप भी क्या बात करते हैं सरकार!
करो दुश्मन से दुश्मनी
और मित्र से प्यार!
सच कह रहे है सरकार ६० वर्षो से सो रही है .. सटीक अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteपथ अहिंसा का नितान्त, यहाँ एक श्रेष्ठतम मार्ग है,
ReplyDeleteपर दुश्मन न माने प्यार से, पलटकर तू वार कर !
पूरी तरह सहमत।
आज के परिवेश में यह अत्यन्त आवश्यक है।
छिपकर सदा की तरह, वैरी का तुझपर वार होगा,
ReplyDeleteखुद ही लड्ना है तुझे, कोई न तेरा मददगार होगा ,
जो समझे न बात को शिष्टता से, उससे तकरार कर,
गर दुश्मन न माने विनम्रता से, पलटकर वार कर !
आत्मविश्वास बढ़ाती और सार्थक संदेश देती हुई रचना ..हर लाइन लाज़वाब हौसला बढ़ जाता है ऐसी कविताओं के पान से..
धन्यवाद गोदियाल जी रचना बढ़िया लगी
लोग कायर समझ बैठे , ऐंसा न कोई व्यवहार कर,
ReplyDeleteगर दुश्मन न माने विनम्रता से, पलटकर वार कर !
बहुत सुंदर कविता धन्यवाद
अजी कसाव की मां कहा गई.... मै तो पढने आया था?
ReplyDeleteयूं हम सदा से शान्ति के, पथ पर ही चलते आये है,
ReplyDeleteकिन्तु ऐवज मे हमने हमेशा, जख्म ही तो पाये है,
SACH LIKHA HAI GOUDIYAAL JI ... AAJ JAROORAT HAI TALWAAR UTHAANE KI....PALAT KAR VAAR KARNE KI ... BAHUT UTTAM RACHNA HAI ..
सटीक!! जय हो!! जय हिन्द!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, सठिक, मार्मिक और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गई ! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!
ReplyDeleteअगर दुश्मन न माने प्यार से, पलटकर तू वार कर !
ReplyDeleteबिलकुल सही यही है गीता का सार ।
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