...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Thursday, August 14, 2025
Friday, August 8, 2025
साम्यवादी कीड़ा !
लगे है दिल्ली दानव सी,
उन्हें जन्नत लगे कराची है,
तवायफ बनकर लेखनी जिनकी,
भरे दरवारों में नाची है।
हैं साहित्य मनीषी या फिर
वो अपने हित के आदी हैं,
चमचे हैं राज घरानों के जो
निरा वैचारिक उन्मादी हैं।
अभी सिर्फ एक दशक में ही
जिनको, मुल्क लगा दंगाई है,
देश के अन्दर अभी के उनको
विद्वेष, नफ़रत दी दिखलाई है।
पहली बार दिखी है ताईद,
मानों पहली बार बबाल हुए,
पहली बार पिटा है मोमिन
ये पहली बार सवाल हुए।
चाचा से मनमोहन तक मानो
वतन में शांति अनूठी थी,
अब जाकर ही खुली हैं इनकी
अबतक आंखें शायद फूटी थी।
नहीं साध सका भद्र जिस दनुज को
वो बनता खुद सव्यसाची है,
लगे है दिल्ली दानव सी जिनको
उन्हें जन्नत लगे कराची है।
Wednesday, May 14, 2025
वक्त की परछाइयां !
उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी,
हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी,
अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहना,
रसूखदार हवेली के मालिकों की, धमक हुआ करती थी।
वक्त की परछाइयों तले, आज सबकुछ वीरान हो गया,
चोखट वीरान,देहरी ख़ामोश,आंगन में रमक हुआ करती थी।
मज़ाक
ऐ दीवान-ए-हज़रत-ए-'ग़ालिब,
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नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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हाथ जोड़कर पहले कहे देता हूँ, ज्यादा नहीं लिखूंगा, क्योंकि इन जड़-बुद्धि स्वदेशियों की समझ में ख़ास कुछ नहीं घुसने वाला ! मगर क्या करू कहना, ...

